किसान की ऋण सीमा के बराबर पहुंची सहकारी समिति गठन की हिस्सा राशि

सार 

Rajasthan : सहकारिता विभाग पंजीयक कार्यालय ने नवीन ग्राम सेवा सहकारी समिति के गठन हेतु निर्धारित मापदण्डों में संशोधन कर सामान्य क्षेत्र में सदस्यों से अमानत के तौर पर न्यूनतम 75 हजार एवं अनूसूचित जनजाति क्षेत्र में 50 हजार रुपए लेने के साथ नवगठित समिति की न्यूनतम सदस्य संख्या 150 तथा न्यूनतम हिस्सा राशि 1.50 लाख रुपए करने का किया प्रावधान 

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विस्तार 

जयपुर । डिजिटल डेस्क | 4 मार्च | राज्य में 35 लाख किसानों को इस वित्तीय वर्ष में 25 हजार करोड़ का “ब्याज मुक्त योजना” के तहत फसली ऋण बांटने की बजट घोषणा हुई हैं । साथ ही, ग्राम सेवा सहकारी समितियों के गठन से वंचित 2500 ग्राम पंचायत मुख्यालय पर नवीन जीएसएस का गठन भी किया जाएगा। जिसकी अनुपालना में हाल ही में सहकारिता विभाग पंजीयक (Registrar) कार्यालय ने नवीन ग्राम सेवा सहकारी समिति (GSS) के गठन हेतु निर्धारित मापदण्डों में संशोधन कर सामान्य क्षेत्र में सदस्यों से अमानत के तौर पर न्यूनतम 75 हजार एवं अनूसूचित जनजाति क्षेत्र में 50 हजार रुपए लेने के साथ नवगठित समिति की न्यूनतम सदस्य संख्या 150 तथा न्यूनतम हिस्सा राशि 1.50 लाख रुपए करने का प्रावधान किया हैं, इससे पूर्व यह हिस्सा राशि 3 लाख एवं सदस्य संख्या 300 थी । हालांकि प्रदेश में ब्याज मुक्त योजना के तहत अधिकतम 1.50 लाख तक का फसली सहकारी ऋण एक किसान को उसकी भूमि के आधार पर एमसीएल स्वीकृत कर ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से मुहैया करवाया जाता है। गौरतलब हैं कि वर्ष 2022 से पूर्व न्यूनतम 500 सदस्य एवं 5 लाख की हिस्सा राशि पर ही नवीन ग्राम सेवा सहकारी समिति का गठन किया जाता था । लेकिन इसमें सरकार ने दो बार संशोधन कर वर्तमान समय में 150 सदस्य एवं 1.50 लाख की हिस्सा राशि का प्रावधान निर्धारित कर दिया है।

कार्यालय में समय में बंद पड़ा जालोर जिले की जैसावास जीएसएस मुख्यालय (MKM NEWS Jalore)

3000 जीएसएस में व्यवस्थापक का पद खाली

पूर्ववर्ती सरकार के समय 300 सदस्य एवं 3 लाख की हिस्सा राशि का प्रावधान करने पर प्रदेश में क्रमशः 2000 से 2500  नवीन ग्राम सेवा सहकारी समितियों का गठन हो गया । लेकिन इन जीएसएस में कार्य करने के लिए मानव संसाधन के कोई प्रावधान नहीं किए गए, जबकि प्रदेश की 8500 में से लगभग 3000 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापक का पद रिक्त हैं और कर्मचारियों की कमी का आलम यह हैं कि एक-एक व्यवस्थापक के पास तीन से पांच जीएसएस का चार्ज हैं । इन्ही व्यवस्थापकों को सीसीबी के कार्यवाहक ऋण पर्यवेक्षक का पदभार भी मिला हुआ है।

इनका कहना हैं

सरकार को प्रदेश में नई ग्राम सेवा सहकारी समितियों को खोलने से पहले व्यवस्थापकों के रिक्त पदों को भरने के अलावा वर्तमान में कार्यशील पैक्स कर्मचारियों को बकाया वेतन भुगतान के मामले में कोई प्रावधान करना चाहिए, ताकि पैक्स का कुशल संचालन हो सकें और किसानों को नियमित सेवा भी मिल सकें ।
-हनुमानसिंह राजावत, प्रांतीय अध्यक्ष राजस्थान बहुउद्देशीय सहकारी सोसायटी कर्मचारी यूनियन जयपुर

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