सार
Barmer : केंद्र सरकार की पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना की आड़ में ऋण वितरण प्रतिबंधित होने से बाड़मेर जिले की 210 ग्राम सेवा सहकारी समितियों के 2 लाख से अधिक किसानों को इस खरीफ सीजन में नहीं मिल सकता हैं “ब्याज मुक्त योजना” के तहत अल्पकालीन फसली सहकारी ऋण

विस्तार
बाड़मेर । डिजिटल डेस्क | 12 अप्रैल | जिले में किसानों को खरीफ बुवाई के लिए सरकार की “ब्याज मुक्त योजना” के तहत फसली सहकारी ऋण नहीं मिलेगा, क्योकि पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना में सहकारिता विभाग पंजीयक कार्यालय की ओर 30 जनवरी 2025 को जारी निर्देशों की अनुपालना में एक आदेश जारी करते हुए सीसीबी प्रबंध निदेशक ने पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना में चयनित ग्राम सेवा सहकारी समितियों के गो-लाईव नहीं होने की तिथि तक वित्तीय वर्ष 2025-26 में खरीफ सीजन का ऋण वितरण प्रतिबंधित कर दिया हैं। साथ ही, सीसीबी प्रबंध निदेशक की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, सीसीबी प्रधान कार्यालय के कंप्यूटर प्रोग्रामर को पैक्स कंप्यूटराइजेशन परियोजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में 210 चयनित सहकारी समितियों, जो गो लाईव नहीं हो पाई हैं, उन समितियों की ऋण वितरण से संबंधित “एफ.आई.जी. आई.डी” को भी तुरंत प्रभाव से बंद करने के लिए निर्देशित किया हैं, गौरतलब हैं कि केंद्रीय सहकारी बैकों द्वारा सरकार की बजट घोषणा के तहत प्रदेश में 35 लाख किसानों को 25 हजार करोड़ का ऋण वितरण करने की मंशा पर पानी फेरने की शुरुआत पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना की आड़ की गई हैं ।
हालांकि केंद्रीय सहकारी बैकों में नाबार्ड एवं आरबीआई के “फिट एंड प्रॉपर क्राइटेरिया” के तहत प्रबंध निदेशकों की नियुक्ति को लेकर प्रदेश के सहकारी साख आंदोलन से जुड़े सूत्र गला फाड़-फाड़कर चिल्ला रहें हैं, लेकिन नाबार्ड एवं आरबीआई के “फिट एंड प्रॉपर क्राइटेरिया” के तहत सीसीबी में प्रबंध निदेशकों के पद पर सहकारिता सेवा के संयुक्त रजिस्ट्रार स्तर के अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने से ऐसे हालात बनते नजर आ रहे हैं,
भूल किसकी? भुगतना सिर्फ किसान को
केंद्रीय सहकारी बैंक बाड़मेर की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में सुविधा शुल्क की आड़ में बैंक प्रबंधन की ओर से बैकडोर नियुक्ति से चयनित व्यवस्थापकों द्वारा केंद्र सरकार की पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना में कार्य निष्पादित नहीं किया गया, जिसके चलते सीसीबी की ओर से ऋण वितरण प्रतिबंधित होने से राज्य सरकार की “ब्याज मुक्त योजना” से वंचित सिर्फ जिले के किसान ही रहेंगे । हालांकि वित्तीय वर्ष 2024-25 में शीर्ष सहकारी बैंक की ओर से केंद्रीय सहकारी बैंक बाड़मेर को “गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना” के तहत 41410 पात्र गोपालाकों को ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य आवंटन किया गया था, लेकिन इसमें भी महज खानापूर्ति कर सरकार की योजना को पंगु बनाने का कार्य सीसीबी प्रबंधन द्वारा किया गया हैं ।
945 करोड़ के ऋण वितरण पर कंप्यूटराइजेशन की काली छाया
केंद्र सरकार की पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना में ग्राम सेवा सहकारी समितियों को डिजिटलीकरण करने की कवायद राज्य सरकार की “ब्याज मुक्त योजना” पर भारी पड़ती नजर आ रही हैं, इस पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना में ग्राम सेवा सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण के मामले में जब व्यवस्थापकों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि एफ.आई.जी पोर्टल के माध्यम से ऋण वितरण प्रणाली होने के चलते उन्हें ERP (एंटरप्राइज़ रिसोर्स प्लानिंग) सॉफ्टवेयर पर सारी एंट्री मैनुअल तौर पर एक-एक करके करनी पड़ रही हैं, जिससे समय लग रहा हैं । उनका कहना था कि बैंक को एफ.आई.जी. से डायरेक्ट एंट्री ट्रांसफर कर ऑटोमेटिक व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे समय के साथ पैक्स कंप्यूटराइजेशन का कार्य निष्पादित किया जा सकें । जबकि खरीफ सीजन में बाड़मेर केंद्रीय सहकारी बैंक को 945 करोड़ के फसली ऋण वितरण का लक्ष्य आवंटित किया गया हैं ।

30 फीसदी सहकारी समितियों में पद रिक्त
जिले में 453 ग्राम सेवा सहकारी समितियां कार्यरत हैं, जिनमें 30 फीसदी ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों के पद रिक्त पड़े हैं और इनमें से कई व्यवस्थापकों के पास तो 3 से 4 ग्राम सेवा सहकारी समितियों का अतिरिक्त चार्ज के अलावा सीसीबी की संबंधित शाखा में ऋण पर्यवेक्षक का अतिरिक्त कार्यभार तक मिला हुआ हैं, नेहरू सहकार भवन जयपुर की बिल्डिंग में सहकारिता की नीति एवं पॉलिसी निर्धारित करने वाले अफसरों को जिलों से शायद जानकारी नहीं मिल रही हैं या यह अफसर जानबुझकर सहकारिता विभाग में सरकार की योजनाओं को पलीता लगाने में व्यस्त हैं ?