कोविड-19 का संक्रमण काल सहकारिता से दी राहत अन्नदाता को मिला सरकार से संबल

जयपुर 23 जुलाई ! दुनिया कोरोना महामारी के संकट के दौर से गुजर रही है। जहां मानव जीवन को बचाने के लिए विश्व के सभी देश प्रयासरत हैं, वहीं भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी इस दिशा में लगातार कदम उठा रही हैं। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार के कोरोना काल में हुए कायार्ें की विश्व स्तर पर प्रंशसा हुई है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी  ने भी कोरोना से बचाव के लिए राज्य सरकार के प्रयासों को सराहा है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने संकट की इस घड़़ी में प्रत्येक वर्ग के हित में कदम उठाकर राहत देने का कार्य किया है। 
भारत में कृषि पर निर्भर दो तिहाई आबादी पूरे देश का खाद्यान्न उत्पादन कर रही है। राजस्थान की 60 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। राज्य की अर्थव्यवस्था में लगभग 25  प्रतिशत योगदान कृषि क्षेत्र का है एवं इसमें एक तिहाई योगदान पशुपालन गतिविधियों का है। आबादी का यह हिस्सा अपनी आय के लिए कृषि पर ही निर्भर है। कोरोना महामारी से बनी विपरीत परिस्थतियों ने किसान पर भी प्रहार किया है। ऎसे समय में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने सहकारिता के माध्यम से किसानों के हित में कदम उठाकर राहत देने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। कोरोना की पहली लहर के समय भी दूरदर्शितापूर्ण निर्णयों ने किसानों को राहत दी थी। सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना के शब्दों मेंश्श् प्रदेश का किसान राजस्थान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। कोरोना संकट के इस दौर में किसानों की समस्याओं को दूर कर उनके आर्थिक एवं सामाजिक विकास को सुनिश्चित करना राज्य सरकार का प्रमुख ध्येय है। इसके लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार किसानों से जुड़ी विभिन्न योजनाओं एवं किसान हित के निर्णयाें को पारदर्शी एवं प्रतिबद्धता के साथ लागू कर रही है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सहकारी अल्पकालीन फसली ऋण चुकाने की अवधि को बढ़ाना, समर्थन मूल्य खरीद में केन्द्रों की संख्या बढ़ाना, किसानों से सीधी खरीद हेतु जीएसएस को खरीद केन्द्र बनाना, सहकारी अल्पकालीन फसली ऋण वितरण कार्यक्रम , खाद एवं बीज का अग्रिम भंडारण,दीर्घकालीन कृषि ऋण की पांच प्रतिशत ब्याज अनुदान योजना की अवधि बढ़ाना जैसे निर्णय लेकर राज्य सरकार ने किसानों को राहत देने का विशेष कार्य किया है।

खरीफ ऋण की 30 जून एवं रबी ऋण की जमा अवधि 31 अगस्त तक बढ़ाई

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए प्रदेश के किसानों को राहत देते हुए खरीफ-2020 के सहकारी अल्पकालीन फसली ऋणों की चुकारा अवधि 31 मार्च, 2021 से 30 जून, 2021 तक बढ़ाकर ऋणी काश्तकारों को ऋण 30 जून तक जमा कराने की छूट प्रदान की गई। इसी प्रकार रबी फसली सहकारी ऋण की जमा अवधि को 30 जून से बढ़ाकर 31 अगस्त, 2021 की गई। इससे राज्य में केन्द्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से वर्ष 2020-2021 में खरीफ एवं रबी फसल के लिए ऋण लेने वाले करीब 26 लाख किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज सुविधा का लाभ मिला ।

5 प्रतिशत ब्याज अनुदान का लाभ 30 जून तक

सहकारी भूमि विकास बैंकों से दीर्घ कालीन कृषि ऋण लेने वाले काश्तकारों को 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान योजना की अवधि को 31 मार्च, 2021 से बढ़ाकर 30 जून, 2021 कर दिया गया है। समय पर ऋण का चुकारा करने वाले काश्तकारों को 5.30 प्रतिशत ब्याज दर से कृषि ऋण का लाभ मिला।कोरोना महामारी के चलते किसानों को योजना का पूरा लाभ नही मिल पा रहा था । दीर्घ कालीन कृषि ऋण 10.30 प्रतिशत की ब्याज दर पर देय होता है तथा समय पर ऋण चुकता करने वाले कृषकों को 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान देकर उन्हें राहत प्रदान की गई । सरकार के इस निर्णय से 30 जून तक सहकारी भूमि विकास बैंकों के ऋणों का चुकारा करने वाले किसानों को योजना का लाभ मिला।

16 हजार करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त फसली ऋण

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कोरोना की दूसरी लहर में किसानों को उनके कृषि कार्यो में कम से कम परेशानी हो, इसके लिए उनके हित में निरन्तर फैसले लिए है। प्रदेश के 26 लाख से अधिक किसानों को वर्ष  2021-22 में 16 हजार करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त अल्पकालीन फसली ऋण का वितरण किया जा रहा है। 10 हजार करोड़ रुपये खरीफ सीजन में तथा 6 हजार करोड़ रुपये रबी सीजन में वितरित किया जायेगा। इस वर्ष किसानों को खरीफ फसली ऋण के तहत 25 प्रतिशत तक फसली ऋण बढ़ाकर दिया जा रहा है।  इस वर्ष भी 3 लाख नए किसानों को फसली ऋण से जोड़ा जाएगा। केन्द्रीय सहकारी बैंकों द्वारा वितरित होने वाला अल्पकालीन फसली ऋण खरीफ सीजन में 1 अप्रेल से 31 अगस्त तक तथा रबी सीजन में 1 सितम्बर से 31 मार्च तक किसानों को वितरित किया जाता है। 

अवधिपार ऋणी किसानों को फसली ऋण सुविधा

राज्य सरकार द्वारा किसान हित में लिये फैसले से वर्ष 2018 एवं 2019 में ऋण माफी का लाभ लेने वाले साढ़े सात लाख से अधिक अवधिपार ऋणी किसानों को खरीफ 2021 फसली चक्र से फसली ऋण दिया जायेगा। प्रदेश में वर्ष 2018 एवं 2019 में हुई ऋण माफी मेें ऎसेे किसान जिनकी ओर 5 हजार रु. से अधिक राशि का अवधिपार फसली ऋण बकाया था तथा वर्तमान में कोई ऋण बकाया नहीं था, को फसली ऋण वितरित नहीं किया जा रहा था। जिससे ऎसेे किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। ऎसे किसानों को राशि 25 हजार रु. या उसकी साख सीमा जो भी कम हो के आधार पर जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों केे माध्यम से फसली ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। 5 हजार रु. से कम अवधिपार राशि के बकाया ऋण वाले किसानों को पहले से फसली ऋण उपलब्ध हो रहा है। 

अवधिपार ऋणी किसानों को 50 प्रतिशत ब्याज माफी की अवधि 30 जून तक बढाई

कोरोना संक्रमण के चलते किसान वर्ग को राहत देते हुए सहकारी भूमि विकास बैंकों से ऋण लेने वाले किसानों के हित में एक मुश्त समझौता योजना की अवधि को 31 मार्च,2021 से बढ़ाकर 30 जून,2021 तक लागू की गयी। इस योजना के तहत अवधिपार श्रेणी के किसानों द्वारा अवधिपार खाते का निस्तारण करने पर अवधिपार ब्याज एवं दण्डनीय ब्याज की 50 प्रतिशत तक राशि  माफ  करने का प्रावधान किया गया। योजना के तहत प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों के सभी प्रकार के कृषि एवं अकृषि ऋण जो 1 जुलाई, 2019 तक अवधिपार हो चुके है, ऎसे किसान को 30 जून, 2021 तक अपना  अवधिपार ऋण चुकाकर नियमित किसान की श्रेणी में आने की सुविधा दी गई । ऎसे अवधिपार ऋणी किसान जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उनके परिवार को किसान की मृत्यु तिथि से सम्पूर्ण बकाया ब्याज, दण्डनीय ब्याज एवं वसूली खर्च को पूर्णतया माफ कर राहत दी गई ।
इसी प्रकार कोरोना की दूसरी लहर में समर्थन मूल्य पर किसानों से सरसों एवं चना खरीद के लिए 1302 केन्द्र बनाए गए। जिसमें से ग्राम सेवा सहकारी समितियों के स्तर पर 387-387 एवं क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के स्तर पर 264-264 खरीद केन्द्र बनाए गए। जिससे किसानों को अपने खेत एवं गांव के समीप ही फसल बेचान की सुविधा उपलब्ध हो सकी। किसानों को 3 दिवस की अल्पावधि में ही उपज का भुगतान उनके खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर सुनिश्चित किया गया। राज्य सरकार ने कोरोना की पहली लहर के दौरान भी किसानों को राहत दी थी। पहली लहर के दौरान किसानों से सीधी खरीद के लिए उपज का लाभकारी मूल्य मिल सके इसके लिए 1522 से अधिक प्रसंस्करण इकाइयों को किसानों से सीधी खरीद करने की अनुमति दी थी। 592 सहकारी समितियों को निजी गौण मण्डी के रूप में अधिसूचित किया गया। इसके अलावा राजस्थान राज्य भण्डारण निगम के 93 गोदामों को भी निजी गौण मंडी घोषित किया था। इससे किसानों को उपज बेचने में परेशानी नही हुई।
किसानों के हमदर्द मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कोविड-19 जैसी आपदा में भी दूरदर्शितापूर्ण निर्णयों कर किसानों को राहत पहुंचाई है। 
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