- जिले की सहकारी समितियों (Cooperative Societies) के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है. राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण (State Cooperative Election Authority) के मुताबिक आगामी समय में चुनाव सम्पन्न करवा लिए जाएंगे.
जालोर I डिजिटल डेस्क I 5 जून I जिले सहित प्रदेश की ग्राम सेवा सहकारी समितियों (Cooperative Societies) में लोकतंत्र फिर से स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सालों से अटके समितियों के चुनावों की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है. राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण (State Cooperative Election Authority के मुताबिक जून-जुलाई माह में पांच चरण में ग्राम सेवा सहकारी समिति में चुनाव करवाया जाना प्रस्तावित है। इस बीच, जिले में वार्ड आधारित चुनाव करवाने की प्रक्रिया को पूर्ण करवाने के लिए प्रायः-प्रायः सभी पैक्स में उपनियमों के संशोधन को अंगीकार करते हुए, पंजीकृत कर दिया गया है। वार्डों के गठन और आरक्षण की प्रक्रिया का कार्य अंतिम चरण में है। जिले सहित प्रदेश की लगभग दो तिहाई समितियों में वार्डों के गठन एवं आरक्षण की प्रक्रिया को मूर्तरूप देते हुए इसकी सूचना इकाई रिटर्निंग अधिकारी को दी जा चुकी है।
पुराने बोर्ड संभाल रहे कामकाज
जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में चुनाव ड्यू हो चुके हैं लेकिन उनमें प्रशासक भी नहीं लगाए गए हैं. दरअसल प्रशासक किसी लोक सेवक को ही लगाया जा सकता है और इतने बड़े स्तर पर प्रशासकों की नियुक्ति बेहद मुश्किल है. ऐसे में कार्यकाल खत्म होने के बावजूद पुराने बोर्ड ही इन समितियों का जिम्मा संभाल रहे हैं लेकिन पूरे मन से काम नहीं कर पा रहे हैं. ग्राम सेवा समितियों के चुनाव नहीं होने से किसानों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि सहकारी समिति का कामकाज ठप होने से उन्हें समय पर और सस्ती दर पर खाद-बीज आदि नहीं मिल पा रहे हैं.
निर्वाचन की प्रक्रिया नीचे से ऊपर की ओर चलती है.
पंजीकृत सहकारी समितियों के चुनाव समय पर हो इसके लिए राज्य में वर्ष 2005 में ही राजस्थान राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण की स्थापना की थी. लेकिन प्राधिकरण को अधिकार कई बरसों बाद प्रदान किए गए. जुलाई 2017 के बाद से अब तक प्राधिकरण ने करीब 2 हजार समितियों के चुनाव संपन्न करवाए हैं. चूंकि सहकारी समितियों में निर्वाचन की प्रक्रिया नीचे से ऊपर की ओर चलती है लिहाजा छोटे स्तर की सहकारी समितियों के चुनाव नहीं होने से शीर्ष स्तर की समितियों के चुनाव भी पेंडिंग हैं.
सहकारी समितियों का जाल गांव-गांव में फैला हुआ है
उल्लेखनीय है कि ग्राम सेवा सहकारी समितियों के चुनाव लंबे समय से नहीं हुए हैं. प्रदेश में वर्ष 2016 के बाद से इनके चुनाव नहीं हुए हैं. ग्राम सेवा सहकारी समितियों का जाल राज्य के गांव-गांव में फैला हुआ है. पिछली बीजेपी सरकार राजनीतिक लाभ-हानि के चलते इन समितियों के चुनाव को टालती रही. अब कांग्रेस सरकार ने इन चुनावों को समय पर करवाने की प्रतिबद्धता जताई है.