| सहकारिता विभाग प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना के संबंध में समीक्षा बैठक मंगलवार को हुई। |

जयपुर । डिजिटल डेस्क I 7 सितम्बर I प्रदेश के किसानों को जल्द ही एक ही छत के नीचे कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी। वह बैंकिंग से लेकर कस्टम हायरिंग सेंटर तक का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए पैक्स को हाईटेक किया जा रहा है। प्रदेश की 6446 पैक्स जल्दी कंप्यूटरीकृत (6446 Pacs Early Computerized) हो जाएंगे। इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है। राजस्थान राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक बृजेन्द्र राजोरिया ने समस्त केन्द्रीय सहकारी बैंक प्रबंध निदेशक (Central Cooperative Bank Managing Director) को निर्देशित करते हुए कहा हैं कि पैक्स कंप्यूटराइजेशन के लिए आयोजित समीक्षा बैठक में नाबार्ड ने अवगत करवाया कि 6446 पैक्स में से 5332 पैक्स का डाटा अपलोड किया गया है। वही, अजमेर, बांसवाड़ा, जयपुर, कोटा, श्रीगंगानगर और जोधपुर जिले की कतिपय सहकारी समितियों का डाटा पोर्टल पर रिजेक्ट हो गया है। जिससे संबंधित समितियों के डाटा को रिमार्क या रीसबमिट करने के निर्देश दिये गये है।
पैक्स में सुधार के लिए केंद्र कर रहा काम
केंद्र में सहकारिता मंत्रालय बनने के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर पैक्स में सुधार की कोशिश शुरू की गई है. ताकि इसका आम लोगों तक फायदा पहुंचे. क्योंकि पैक्स के जरिए किसानों को सस्ते ब्याज पर लोन , खाद, बीज व खेती में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं. कंप्यूटराइजेशन से इनके काम में पारदर्शिता आएगी. क्योंकि इसमें काफी भ्रष्टाचार है. केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने पांच साल में करीब 3000 करोड़ रुपए खर्च करके देश की 97 हजार से अधिक पैक्स का डिजिटलीकरण करने का फैसला किया है. देश में 97,961 पैक्स हैं, जिनमें से करीब 65,000 ठीक तरीके से काम कर रही हैं. ये सहकारी सिद्धांतों पर आधारित गांव-स्तरीय ऋण देने वाली संस्थाएं हैं. इनकी गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए सबसे पहले कंप्यूटराइजेशन जरूरी है.
सीसीबी स्तर पर कमेटी गठित
पैक्स कंप्यूराइजेशन के प्रभावी पर्यवेक्षण और नियंत्रण हेतु 3 सदस्य पर्यवेक्षणीय कमेटी गठित की गई है। जिनमें सीसीबी प्रबंध निदेशक को अध्यक्ष, अधिशासी अधिकारी को सदस्य और सीसीबी कंप्यूटर प्रोग्रामर को सदस्य सचिव बनाया गया है। वही, जिला स्तरीय मॉनिटरिंग और क्रियान्वयन समिति की बैठक आयोजित कर 31 अगस्त तक वर्ष 2021-22 की पूर्ण की गई ऑडिट में पात्र पैक्स को इस योजना में सम्मिलित किए जाने की अनुशसा राज्य मॉनिटरिंग और क्रियान्वयन समिति को 12 सितम्बर तक करवाने के निर्देश दिए गए हैं ।
पायलट प्रोजेक्ट के लिए 5 पैक्स
नाबार्ड की पायलट प्रोजेक्ट के लिए 5 पैक्स को चुना गया हैं । जिनमें अलवर सीसीबी की ऊजौली पैक्स, दौसा की कोलाना, हनुमानगढ की मानकसर, जयपुर की हाथोज, जयपुर की मुरलीपुरा को शामिल किया गया है। इन पैक्स से संबंधित सूचना नाबार्ड द्वारा मांगी गई है।
कंप्यूटरीकरण की शुरु हुई कवायद
करीब 15 साल पहले विभाग की ओर से सहकारी समितियों को सामान्य लेखा प्रणाली अपनाने की सलाह दी गई थी। उसके बाद वर्ष 2016 में समितियों की कंप्यूटरीकरण की दिशा निर्देश मिली थी। लेकिन अब तक यह ठंडे बस्ते में ही रहा था। अब केन्द्र सरकार की ओर से देशभर की पैक्स का कंप्यूटरीकरण किए जाने की कवायद शुरु की गई है। ताकि कंप्यूटरीकरण होने से विभाग के अधिकारी कहीं भी बैठकर एक क्लिक करते ही कंप्यूटर स्क्रीन पर पैक्स के एक-एक डाटा से रूबरू हो सकेंगे। सहकारिता विभाग के आधिकारिक सुत्रों के मुताबिक विभाग के समन्वय से संचालित कई ऐसी समितियां भी है, जिनकी वर्षो से ऑडिट नहीं हुई है।


