अवधिपार ऋणों की वसूली नहीं होने से कंगाल हो रही सहकारी समितियां

सार 

Barmer : ग्राम सेवा सहकारी समितियों में सर्वाधिक अवधिपार ऋणों की वसूली को लेकर तत्कालीन सीसीबी प्रबंध निदेशक अनिल विश्नोई ने उठाया था बड़ा कदम, वही गत साल बैंक अधिशासी अधिकारी ने सोसायटी समय पर खोलने के जारी किए थे निर्देश, हालांकि प्रबंध निदेशक का तबादला होना बताया जा रहा हैं अवधिपार ऋण वसूली के मामले में प्रभावशाली लोगो का राजनीतिक कदम

बबूल के पेड़ों की ओट में समाया कभी नहीं खुलने वाला बाड़मेर जिले की रानीगांव ग्राम सेवा सहकारी समिति का मुख्यालय (Photo Mkm News Barmer)

विस्तार 

बाड़मेर । डिजिटल डेस्क | 27 मार्च | जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियों (Pacs) में प्रभावशाली लोगो द्वारा लिया गया सहकारी ऋण अवधिपार होने के कारण सोसायटी के समक्ष गंभीर वित्तीय संकट खड़ा होता नजर आ रहा हैं, हाल ही में सीसीबी (CCB) बैंक की ओर से एक कार्यालय आदेश जारी कर मिठे का तला, रतरेडी, धारवी कल्ला, सरुपे का तला, बुरहान का तला, चेतरोड़ी, कोटड़ा, निम्बला, कोनरा, बिसासार, सेड़वा, बन्धड़ा, असाड़ी, सावा, जुना मीठा खेड़ा, मिठौड़ा, जानपालिया, बलाई सहकारी समितियों में अवधिपार ऋणों की स्थिती सर्वाधिक बताई गई हैं, साथ ही, इन अवधिपार ऋणों की वसूली को लेकर सीसीबी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक (M.D.) अनिल विश्नोई ने 6 जांच दलों का गठन करते हुए इन समितियों का सघन दौरा कर अवधिपार ऋणी सदस्य के ऋण एवं साख संबंधी पत्रावली तथा समिति स्तर पर बकाया अवधिपार ऋणों से संबंधित जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए जांच दल को निर्देशित किया था । लेकिन कार्यालय आदेश जारी करने वाले प्रबंध निदेशक अनिल विश्नोई का तबादला होना इस जिले के प्रभावशाली लोगो का राजनीतिक कदम बताया जा रहा है। इस प्रबंध निदेशक का तबादला होने के उपरांत जांच दल की कार्यावाही ठंडे बस्ते में चली गई हैं । जबकि इन समितियों से जुड़े सूत्रों का कहना हैं कि प्रभावशाली लोगों पर करोड़ो का कर्ज बकाया हैं, जिनमें कई राजनीतिक और सहकारी संस्थाओं से जुड़े रसूखदार लोग शामिल हैं। इन प्रभावशाली लोगों ने समितियों से लाखों रुपए का कर्ज तो ले लिया, लेकिन इसे चुकाने के बजाय अपनी सामाजिक और राजनीतिक पहुंच का फायदा उठाकर बकाया अवधिपार ऋण चुकाने के मामले को टाल रहे है।

कार्यालय समय में बंद पड़ा बाड़मेर जिले की राजडाल ग्राम सेवा सहकारी समिति का कार्यालय परिसर देवका (Photo Mkm News Barmer)

अवधिपार वसूली के मामले में पिछड़ रहा बैंक प्रबंधन

बाड़मेर सीसीबी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक अनिल विश्नोई ने सर्वाधिक अवधिपार ऋण को लेकर जांच दलों का गठन कर बढ़ते अवधिपार के कारणों की स्थिती को लेकर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किए थे। लेकिन सर्वाधिक अवधिपार वाली इन सोसायटी में किसानों द्वारा कर्ज नहीं लौटाने का दूसरा सबसे बड़ा कारण इन समितियों के व्यवस्थापकों की असक्रियता बताई जा रही हैं, इन सोसायटी के व्यवस्थापकों द्वारा अवधिपार ऋणों की वसूली के मामले में नियमानुसार कार्यवाही अमल में नहीं लाई जा रही है। हालांकि कार्यालय समय में भी इन सोसायटी के मुख्यालय पर अधिकांश समय में ताला लटकता ही रहता है। वही गत साल सीसीबी अधिशासी अधिकारी ने एक आदेश जारी कर जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियों को कार्यालय समय में सोसायटी मुख्यालय खुला रखने के साथ सहकारी साख सरंचना से आमजन को लाभान्वित करने के अलावा समिति में बकाया अवधिपार ऋणों की वसूली करने के स्पष्ट निर्देश जारी किए थे, लेकिन जिले की कई ग्राम सेवा सहकारी समितियों के व्यवस्थापक द्वारा अधिशासी अधिकारी के आदेश की पालना नहीं की जाकर सीसीबी की शाखा परिसर के ईद गिर्द सोसायटी कार्यालय स्थापित कर मनमाफिक कार्यगति को अंजाम दिया जा रहा है।

पहले भी हुए फर्जीवाड़े लेकिन कोई कार्यवाही नहीं

जिले की कई ग्राम सेवा सहकारी समितियों में ऋण माफी योजना की आड़ में लाखों की राशि नियमों को ताक में रखकर ऋण माफी करने वाले व्यवस्थापकों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई, अब जिले की कई ग्राम सेवा सहकारी समितियों में बढ़ते अवधिपार ऋणों के आंकड़ो पर नजर डालने पर यह सामने आया हैं कि ज्यादातर नाम उन्हीं लोगों के हैं, जो या तो सहकारी संस्थाओं के अधिकारी, कर्मचारी रह चुके हैं या फिर किसी न किसी राजनीतिक पद पर रहे हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि सहकारी संस्थाअ के ही अधिकारी और कर्मचारी बड़े बकायादारों में शामिल हैं।

एक्सपर्ट व्यू

सहकारिता के एक्सपर्टो का कहना हैं कि क्या सर्वाधिक अवधिपार वाली ग्राम सेवा सहकारी समितियों में वसूली की कार्यवाही हो पाएगी? या फिर राजनीतिक और सामाजिक पहुंच के कारण समितियां वसूली करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं, बढ़ते अवधिपार के कारण सहकारी समितियों की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। समितियों के पास न तो पर्याप्त पैसा बचा है और न ही वे नए किसानों को कर्ज देने की स्थिति में हैं। ऐसे में अगर जल्द ही बकाया अवधिपार राशि की वसूली नहीं हुई, तो आने वाले समय में समितियों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

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