
जालोर, 19 जनवरी। किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन व संवर्धन के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना के अंतर्गत जिला स्तरीय निगरानी समिति (डी-एमसी) की तृतीय बैठक जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय कुमार वासु की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं डी-एमसी के अध्यक्ष संजय कुमार वासु ने कृषि विज्ञानं केंद्र, केशवना के अधिकारियों को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर आहोर, जालोर ब्लॉको मे किसान उत्पादक समूहों का गठन सम्बंधित सहकारी अधिनियम के तहत सुनश्चित करने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि भारत सरकार के निर्देशानुसार किसान उत्पादक कंपनी के पंजीकरण के पश्चात कम से कम 300 किसान सदस्यो को मार्च माह के अंत से पहले जोड़ना सुनिश्चित किया जाए।
उन्होने अधिकाधिक संख्या में किसानो को एफ़पीओ से जोड़ने के लिए कृषि विज्ञानं केंद्र, केशवना क्लस्टर क्षेत्र में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करने तथा 15 से 20 किसानो के किसान हित समूहो (एफ़आईजी) का निर्माण करने के निर्देश दिये। उन्होने बैठक मे उपस्थित समिति के सभी सदस्यों से कृषि विज्ञानं केंद्र, केशवना को किसान उत्पादको के निर्माण के लिए आवश्यक सहायता संबन्धित विभाग द्वारा प्रदान करवाने की बात कही।
जिला अग्रिणी प्रबन्धक एवं जिला स्तरीय निगरानी समिति के सदस्य सचिव (डी-एमसी) एस. आर. माली ने कहा की समिति की दूसरी बैठक में जालोर जिले के आहोर, जालोर, सायला, जसवंतपुरा, चितलवाना तथा भीनमाल ब्लॉक में जीरा, मसाले और ऑयल सीड्स उत्पादो को चिन्हित कर निगरानी समिति द्वारा अनुमोदन किया गया था।
उन्होने बताया कि जालोर जिले के सायला, जसवंतपुरा, चितलवाना तथा भीनमाल ब्लॉक मे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन के लिए क्लस्टर आधारित व्यापार संगठन के रूप मे प्रधान संस्था तथा आहोर और जालोर ब्लाक में कृषि विज्ञानं केंद्र, केशवना का चयन किया गया था।
सहायक महाप्रबंधक नाबार्ड ने बताया की किसान उत्पादन संगठन के संवर्धन के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु नए एफपीओ को वित्तीय सहायता अधिकतम रु.18 लाख/एफपीओ या वास्तविक, जो भी कम हो, गठन के वर्ष से तीन वर्षों के दौरान प्रदान किया जाएगा। भारत सरकार इस योजना के तहत किसान उत्पादक संगठन को इक्विटी ग्रांट की मैचिंग ग्रांट के रूप में अधिकतम 15.00 लाख रुपये प्रति एफपीओ तक प्रदान करेगी। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा किसान उत्पादक संगठनो को संस्थागत ऋण के प्रवाह में तेजी लाने के लिए क्रेडिट गारंटी कवर प्रदान करने के लिए एक हजार करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी फंड (सीजीएफ) नाबार्ड मे स्थापित किया गया है, जिसके माध्यम से बैंको द्वारा दिये गए ऋण पर नाबार्ड क्रेडिट गारंटी कवरेज प्रदान करेगा।
बैठक में कृषि विभाग के उप निदेशक आर.बी. सिंह सहित सम्बंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।