उर्वरकों की भंडारित मात्रा व पोस मशीन में उपलब्ध मात्रा में एकरूपता नहीं पाये जाने पर होगी कार्यवाही

जालोर 6 अक्टूबर। जिले में उर्वरक विक्रेता उर्वरकों द्वारा उर्वरकों की भंडारित मात्रा व पोस मशीन में उपलब्ध मात्रा में एकरूपता नहीं पाये जाने पर विधिक एवं प्रशासनिक कार्यवाही अमल में लाई जायेगीं
कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. आर.बी.सिंह ने बताया कि उर्वरक विक्रेताओं द्वारा उनके प्रतिष्ठान में भौतिक रूप से उपलब्ध उर्वरकों की भंडारित मात्रा एवं उर्वरक पोर्टल पर प्रदर्शित मात्रा में भिन्नता आ रही है जिस कारण भारत सरकार द्वारा मांग के अनुरूप उर्वरकों का आवंटन जिले को नहीं किया जा रहा है। इस संबंध में सभी उर्वरक विक्रेताओं को निर्देशित किया गया हैं कि वे उर्वरकों की बिक्री आवश्यक रूप से पोस मशीन के माध्यम से ही करें एवं अपने प्रतिष्ठान में भौतिक रूप से उर्वरकों की भंडारित मात्रा एवं पोस मशीन में उपलब्ध मात्रा में एकरूपता होनी चाहिए। यदि इसमें किसी प्रकार की विसंगति पाई जाती है तो उनके प्रतिष्ठान के विरूद्ध उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 सपठित आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 के तहत विधिक एवं प्रशासनिक कार्यवाही संपादित की जायेगी।
उन्होंने निर्देशित किया हैं कि वे उर्वरक विक्रेता अपने वितरण तंत्र के माध्यम से सरसों एवं चने की फसल के लिए सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) उर्वरक की मांग शीघ्र प्रेषित करें एवं कृषि विभाग के उप निदेशक को भी अपनी मांग की सूचना देवें। सरसों एवं चना फसल के लिए डीएपी उर्वरक के 1 बैग के स्थान पर विकल्प के रूप में 3 बैग एसएसपी एवं 1 बैग यूरिया का संयोजन प्रयुक्त करना सुनिश्चित करें। यह संयोजन डीएपी से बेहतर विकल्प है। एसएसपी उर्वरक में 11 प्रतिशत सल्फर के साथ ही कैल्शियम पोषक तत्व भी है जो तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिए अत्यन्त गुणकारी है। सल्फर के प्रयोग से तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा में बढ़ोतरी होगी जिससे कृषकों को अधिक उपज प्राप्त होगी। एसएसपी एवं यूरिया का संयोजन डीएपी से सस्ता भी है।
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