जयपुर । डिजिटल डेस्क | 7 जनवरी | प्रदेश में सहकारिता का जाल सबसे ज्यादा फैला हुआ हैं, इनमें से एक संस्था ग्राम सेवा सहकारी समिति (Pacs) भी हैं, जो इस सहकारिता के अंदर आती है। इनके बारे में कहा जाता हैं कि यह सहकारी आंदोलन की सबसे छोटी एवं मजबूत इकाई है, लेकिन इस वाक्य में किस हद तक सच्चाई हैं, वह किसी से भी नहीं छिपी है, इनकी महत्ता को समझकर केंद्र सरकार द्वारा पैक्स सुदृढ़ीकरण के लिए अनेकों योजनाओं धरातल पर उतारी जा रही है। जिसमें से सबसे बड़ी पहल पैक्स कंप्यूटराइजेशन को माना जा रहा है। वही राज्य सरकार ने भी इस इकाई को सक्षम बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सरकार ने कस्टम हायरिंग से लेकर भण्डारण क्षमता बढ़ाने में गोदाम निर्माण कार्य के लिए करोड़ो रुपए का बजट इन पैक्स को दिया हैं, वही हजारों करोड़ो का फसली ऋण भी इन समितियों के माध्यम से किसानों को मुहैया कराया जा रहा है। लेकिन इन संस्थाओं का संचालन करने के लिए स्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति प्रणाली पर राज्य सरकार ने कभी ध्यान नहीं दिया, सरकार ने केवल सहकारिता विभाग पंजीयक कार्यालय को ही इन संस्थाओं में नियुक्ति से लेकर नियंत्रण एवं संचालन के नियम-कायदे बनाने की जिम्मेदारी दे दी, यह कार्यालय ग्राम सेवा सहकारी समिति में पिछले वर्षो से व्यवस्थापकों रिक्त पदों पर भर्ती का कोई विकल्प नहीं तलाश कर अपनी नई-नई आजमाइश कर रहा है। वही एक ओर ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कर्मचारी 90 के दशक के बाद नियोक्ता निर्धारण कर कॉमन कैडर बनाने की रट लगाए जा रहें हैं, तो दूसरी ओर यह कार्यालय केंद्र की पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना की आड़ में ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों के रिक्त पदों पर संविदा कर्मी लगाकर ‘‘ठेका प्रणाली’’ के सहारे इन संस्थाओं को चलाने का काम कर रहा है।
बताना चाहूंगी कि @BJP4Rajasthan सरकार ने आजादी के बाद डेगाना में छात्राओं के लिए पहला सरकारी कॉलेज खोला है और बालिका हॉस्टल के लिए बजट की मंजूरी भी दी। साथ ही सहकारिता के लिए जिला स्तरीय कैडर बनाने की जनता की मांग को भी पूरा किया है। #PeopleFirst
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) September 27, 2018
तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का आधिकारिक ट्वीट
‘‘घोषणा’’ केवल घोषणा ही बनकर रह गई
नागौर की धरती पर भाजपा शासित सरकार की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने सहकारिता का जिला स्तरीय कैडर बनाने की घोषणा की थी, जिसके साक्षी वर्तमान डेगाना विधायक अजय सिंह किलक है। लेकिन सालों-साल बीत जाने के बावजूद सहकारिता विभाग पंजीयक कार्यालय से सहकारिता का जिला स्तरीय कैडर बनाने की भनकार तक नहीं सुनाई दे रही है। ऐसा लग रहा हैं कि सहकारिता विभाग पंजीयक कार्यालय ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की घोषणा तक को नहीं माना है। जिससे आज ग्राम सेवा सहकारी समितियों के गलियारों में जिला स्तरीय सहकारिता ‘‘कैडर बनाने की घोषणा’’ केवल घोषणा ही बनकर रह गई है।
-मैंने राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ के माध्यम से पैक्स कर्मचारियों का कैडर बनाने के लिए के सहकारिता छोटे से लेकर बड़े कार्यालय तक गुहार लगाई और मेरी अथक प्रयासों की बदौलत वर्ष 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सहकारिता का जिला स्तरीय कैडर बनाने की घोषणा करने के पश्चात फरवरी 2019 में तत्कालीन सहकारिता मंत्री ने कैडर की पत्रावली का अनुमोदन कर दिया । लेकिन कैडर नहीं बनने से आज दिन तक मुझे एक मलाल रह गया है। अब आने वाले समय में एक ही मिशन बनाकर कैडर पत्रावली कहां अटक गई, उसका पता लगाकर न्यायिक प्रणाली के साथ-साथ विभागीय स्तर पर निस्तारण करवाने का कार्य किया जाएगा ।
-नंदलाल वैष्णव, प्रांतीय अध्यक्ष राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ जयपुर