25 वर्षो से सहकारी समितियों को नहीं मिला “लाभांश”

सार 

Jalore : सीसीबी 25 वर्षो से निरंतर अर्जित कर रही लाभ, आमसभा में केवल खानापूर्ति के तौर पर लिखा जाता “लाभांश वितरण करने पर विचार” का शब्द, वही सूत्रों ने गत दिनों सहकारिता विभाग प्रमुख शासन सचिव को पत्र लिखकर बैंक की धारा -55 में उठा रखी जांच की मांग

विस्तार 

जालोर । डिजिटल डेस्क | 2 मार्च | जिले में सहकारिता की भावना विलोपित होती नजर आ रही हैं, केंद्रीय सहकारी बैंक (CCB) के वार्षिक प्रतिवेदन के शुरुआती पन्नों में “सदस्य सहकारी समितियों को लाभांश” देने के शब्द नजर आते हैं, लेकिन अंत तक पहुंचते ही वह गायब हो जाते हैं । एक ओर सीसीबी की वार्षिक आमसभा में विचारणीय विषय पर पिछले 13 साल से बिन्दु संख्या 7 के तहत “सदस्य सहकारी समितियों को लाभांश वितरण” पर विचार किया जाता हैं, लेकिन लाभांश का वितरण नहीं होने से बैंक वार्षिक प्रतिवेदन में उल्लेखित लाभांश की राशि के लिए सदस्य सहकारी समितियां पिछले 13 साल से तरस रही है। वही संपूर्ण प्रतिवेदन में विचारणीय विषय के अलावा अन्य कई पर भी लाभांश शब्द का उल्लेख तक नहीं मिल पाता हैं । दूसरी ओर सहकारिता में यह प्रावधान हैं कि जो सहकारी संस्था वित्तीय वर्ष में लाभ अर्जित करती हैं, उसे अपने सकल लाभ में से कुछ हिस्सा संबंधित सदस्य को लाभांश के तौर पर वितरित करना होता है। जहां जालोर केंद्रीय सहकारी बैंक वित्तीय वर्ष 2000-01 के बाद निरंतर लाभ अर्जित कर रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बैंक में वित्तीय वर्ष 2021-22 में हिस्सा पूंजी 3778.64 लाख, कार्यशील पूंजी 103251.51 लाख सहित संचित लाभ 439.49 लाख रुपए बताया जा रहा है। लेकिन बैंक की ओर से पिछले 25 सालों से एक भी सदस्य सहकारी समिति को लाभांश की फूटी कौड़ी तक वितरित नहीं हो पाई है।

नाममात्र की ऋण राशि का वितरण

प्रदेश की भाजपा सरकार ने पांच लाख नए किसान सदस्य को ब्याज मुक्त योजना के तहत अल्पकालीन फसली ऋण वितरण योजना के माध्यम से पिछले वित्तीय वर्ष में बजट घोषणा कर सहकारी साख संरचना से जोड़ने का लक्ष्य रखा, लेकिन जिले में केंद्रीय सहकारी बैंक के पास वित्तीय सक्षमता का अभाव होने का ढिंढोरा पीट कर बजट अनुसार ऋण देने की बात सुनाई दे रही हैं । पिछले दो सालों से केवल गिनी चुनी कृषि ऋणदात्री सोसायटी में बड़ी मुश्किल से 1.50 लाख की एमसीएल स्वीकृत वाले नए किसान को मात्र 12 से 15 हजार तक की राशि मुहैया करवाई गई है।

धारा-55 में जांच के मामले पर नहीं लिया संज्ञान

केंद्रीय सहकारी बैंक में स्क्रीनिंग फर्जीवाड़े के अलावा बैंक डीपीसी कमेटी में बरती शिथिलता एवं ऋण माफी योजना में जमकर हुई अनियमितताओं तथा बैंक कार्मिकों के 14, 15, 16वें वेतन समझौते सहित बैंक में मनमाने तरीके से लाखों की खरीद के प्रकरण में सूत्रों ने सहकारिता विभाग प्रमुख शासन सचिव श्रीमति मंजू राजपाल को पत्र लिखकर केंद्रीय सहकारी बैंक स्तर की जांच राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 55 के तहत करवाने की मांग उठाई। लेकिन इस प्रकरण पर प्रमुख शासन सचिव ने भी कोई संज्ञान नहीं लेकर केवल मौन धारण कर लिया है।

मारवाड़ का मित्र (हिंदी पाक्षिक समाचार पत्र) में प्रकाशित समाचार
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