Assembly Election : नोटा के विकल्प का प्रयोग करने में जिले के मतदाता आगे

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद चुनाव आयोग द्वारा 2013 में शुरू किए गए नोटा विकल्प को जालोर जिले की पांच विधानसभा में 2018 के चुनाव के दौरान 17,090 मतदाताओं ने तरजीह दी, जो कुल मतों का करीब 1.30 प्रतिशत है.

पिछले दोनों चुनाव में मतदाताओं ने नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का बटन दबाकर प्रत्याशियों को नकारा

जालोर । डिजिटल डेस्क | 19 अक्टूबर | चुनाव के दौरान यदि प्रत्याशी आपको पसंद नहीं है तो इसके लिए चुनाव आयोग ने नोटा यानी उपरोक्त में से कोई नहीं का विकल्प भी दिया है। इस विकल्प का प्रयोग करने के मामले में जालोर जिले में मतदाता काफी आगे हैं। जिसका उदाहरण है कि 2013 के चुनाव में जब पहली बार नोटा का विकल्प आया तो जालोर जिले की 5 विधानसभा में से भीनमाल विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 5656 मत नोटा को मिले, तो सबसे कम आहोर विधानसभा क्षेत्र में महज 1029 मत ही नोटा को मिले थे। इसी तरह 2018 के चुनाव में जालोर विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 4130 मत नोटा को मिले । वही, आहोर विधानसभा क्षेत्र में 3111 मत नोटा को मिले थे।

2013 विधानसभा चुनाव में कितने मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना

  1. आहोर विधानसभा : इस चुनाव में कुल 22 प्रत्याशी मैदान में थे। 1 हजार 29 मतदाताओं ने सभी प्रत्याशियों को नकारते हुए नोटा का प्रयोग किया था। यह कुल मतदान का 0.7 प्रतिशत था। खास बात ये हैं कि इस चुनाव में नोटा को 14 नंबर मिला था। अन्य 8 प्रत्याशी इसके बाद थे। इसमें भी 22वे नंबर पर रहे प्रत्याशी को महज 402 मत प्राप्त हुए थे।
  2. जालोर विधानसभा : इस विधानसभा में कुल 7 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। 5 हजार 571 मतों के साथ नोटा तीसरे नंबर पर रहा। यह कुल मतदाताओं का 4 प्रतिशत था। अन्य चार प्रत्याशी नोटा से नीचे रहे।
  3. भीनमाल विधानसभा : इस विधानसभा में 14 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। यहां 5 हजार 656 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना। कुल मत के मामले में नोटा का नंबर तीसरे रहा था। मतदान के लिहाज से 3.61 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था।
  4. सांचौर विधानसभाः इस विधानसभा में 6 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। 2 हजार 740 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया। यह कुल मतदान का 1 प्रतिशत था। नोटा 6 स्थान पर रहा।
  5. रानीवाड़ा विधानसभाः 6 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। 2 हजार 845 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाकर सभी प्रत्याशियों को नकार दिया। यह कुल मतदान का 2 प्रतिशत था। नोटा का चौथा स्थान मिला। 2 उम्मीदवार इसके पीछे रहे।

नोटा के बारे में कुछ विशेष तक्ष्य

  • नोटा का प्रयोग भारत से पहले 1976 में अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुआ था।

  • भारत में 2013 के विधानसभा चुनाव में पहली बार नोटा का इस्तेमाल किया गया था। साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोटा का बटन ईवीएम पर आखिरी विकल्प के रूप में जोड़ा गया था।

  • भारत के अलावा कोलंबिया, यूक्रेन, ब्राज़ील, बांग्लादेश, फिनलैंड, स्पेन, स्वीडन, चिली, फ्रांस, बेल्जियम और यूनान ऐसे देश हैं जहां चुनावों के दौरान नोटा का प्रयोग किया जाता है। जबकि रूस में 2006 तक यह विकल्प मतदाताओं के लिए उपलब्ध था। 

2018 विधानसभा चुनाव में कितने मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना

  1. आहोर विधानसभा : कुल 12 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। 3 हजार 111 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाते हुए सभी उम्मीदवारों को नकार दिया। कुल मतदान में से 2.05 प्रतिशत मत के साथ नोटा का नंबर चौथा रहा।
  2. जालोर विधानसभा : 5 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। 4 हजार 130 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाकर सभी प्रत्याशियों को नकार दिया। यह कुल मतदान का 2.53 प्रतिशत था। नोटा का तीसरा स्थान मिला। 2 उम्मीदवार इसके पीछे रहे।
  3. रानीवाड़ा विधानसभाः इस विधानसभा में 8 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। 3 हजार 148 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया। यह कुल मतदान का 1.69 प्रतिशत था। नोटा तीसरा स्थान पर रहा। खास बात ये हैं कि दोनों प्रमुख प्रतिद्वंदी कांग्रेस के रतन देवासी और भाजपा के नारायणसिंह देवल के बीच जीत-हार का अंतर महज 3 हजार 405 मत का था।
  4. सांचौर विधानसभाः इस चुनाव में कुल 14 प्रत्याशी मैदान में थे। 3 हजार 209 मतदाताओं ने सभी प्रत्याशियों को नकारते हुए नोटा का प्रयोग किया था। यह कुल मतदान का 1.41 प्रतिशत था। खास बात ये हैं कि इस चुनाव में नोटा को 5 नंबर मिला था। अन्य 9 प्रत्याशी इसके बाद थे। इसमें भी पांचवे नंबर पर रहे एआरजेपी के प्रत्याशी डॉ. बुधाराम विश्नोई को महज 372 मत प्राप्त हुए थे।
  5. भीनमाल विधानसभाः इस विधानसभा में कुल 12 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। 3 हजार 492 मतों के साथ नोटा 6 नंबर पर रहा। यह कुल मतदाताओं का 1.91 प्रतिशत था। अन्य 6 प्रत्याशी नोटा से नीचे रहे।
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