आखिर कब होगी सहकारी समितियों (पैक्स-लैम्पस) में रिक्त पदों पर भर्ती ?

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जयपुर । डिजिटल डेस्क I 9 जुलाई I देश-प्रदेश में “सहकार से समृद्धि” का रास्ता सहकारी समितियों से होकर गुजरता है. यदि इन सहकारी समितियों के मुख्य कर्णधार (व्यवस्थापक) के आधे से ज्यादा पद ही खाली पड़े हैं तो सहकारिता तरक्की कैसे करेगा ? यह समझ से परे है । सहकारिता विभाग (Cooperative Department) की प्रत्येक योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने में इन कार्मिकों का अहम योगदान है। लेकिन जब समितियों में ही काम करने के लिए पर्याप्त कार्मिक नहीं है, तो योजनाओं के संचालन की केवल कल्पना की जा सकती है। पैक्स-लैम्पस में रिक्त पदों पर कार्मिकों की भर्ती प्रक्रिया के लिए सरकार द्वारा 10 जुलाई 2017 को राजस्थान राज्य सहकारी भर्ती बोर्ड का गठन होने के उपरांत सहकारिता विभाग पंजीयक कार्यालय (Cooperative Department Registrar Office) द्वारा 16 अगस्त 2017 को एक पत्र सीसीबी प्रबंध निदेशक समस्त को जारी कर बताया गया कि राज्य की सहकारी समितियों में कर्मचारियों के चयन और भर्ती की सिफारिश हेतु सहकारी भर्ती बोर्ड का गठन होने के पश्चात, किसी भी समिति अध्यपेक्षा और आवश्यकता अनुसार चयन के मापदण्ड की प्रक्रिया एवं अभ्यर्थी के चयन की सूची तैयार करने की शक्ति “सहकारी भर्ती बोर्ड” में निहित होने के साथ ही, समिति स्तर पर निर्वाचित संचालक बोर्ड द्वारा प्रस्ताव पारित कर कार्मिक की नियुक्ति पर रोक लगाने से राज्य में करीब 7000 पैक्स-लैम्पस में महज 3000 व्यवस्थापक ही कार्यरत है। कर्मचारियों की कमी का आलम यह है कि एक एक व्यवस्थापक के पास 3 से 4 पैक्स-लैम्पस का चार्ज है। इन्हीं व्यवस्थापकों को सीसीबी (CCB) के कार्यवाहक लोन सुपरवाइजर का भी पदभार मिला हुआ है। जबकि इन व्यवस्थापकों का मुख्य कार्य किसानों को अल्पकालीन ऋण वितरण, मिनी बैंकों के द्वारा अमानतों का संग्रहण व रिकॉर्ड संधारण, मनरेगा का भुगतान, राशन सामग्री का कार्य करने की जिम्मेदारी हैं, लेकिन समितियों में पर्याप्त व्यवस्थापक नहीं होने से सहकारिता विभाग की ओर से संचालित योजनाओं का सफल संचालन होने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि पैक्स-लैम्पस में नई नियुक्तियों के मामले में 10 जुलाई 2017 को अधिसूचना जारी के पश्चात बोर्ड के अतिरिक्त किसी भी स्तर पर पैक्स-लैम्पस में नई नियुक्ति पर पूर्णतया रोक होने से एक ही व्यवस्थापक को तीन से चार समितियों का अतिरिक्त चार्ज दिया जा रहा है। ऐसे में चार से पांच समितियों में अतिरिक्त चार्ज के चलते व्यवस्थापकों पर काम का बोझ अधिक होने से मानसिक तनाव में रहने को मजबूर हैं। खास बात यह है कि ये व्यवस्थापक इन समितियों का कैसे संचालन कर रहे हैं यह सवाल विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर रहा हैं।

भर्ती बोर्ड का गठन, फिर भी हो रही हैं स्क्रीनिंग

राज्य की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापक एवं सहायक व्यवस्थापक पदों पर स्क्रीनिंग के माध्यम से नियमित होना कोई खास बात नहीं है। लेकिन इस प्रक्रिया के लिए सहकारी भर्ती बोर्ड गठित होने के बावजुद सहकारिता विभाग का पंजीयक कार्यालय अपने स्तर से आदेश जारी कर स्क्रीनिंग यानि नियुक्ति का कार्य सीसीबी के माध्यम से साल-दर-साल संपादित करवा रहा है । हालांकि 19 जनवरी 2018 को सहकारी भर्ती बोर्ड के तत्कालीन सदस्य सचिव सोहनलाल लखानी ने एक पत्र केन्द्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशकों को भेजकर व्यवस्थापकीय सेवानियमों के अनुसार व्यवस्थापकों-सहायक व्यवस्थापकों की स्क्रीनिंग के संबंध में पत्रावली मांगने के पश्चात भर्ती बोर्ड में भर्ती प्रक्रिया आज दिन तक सिरे नहीं चढ़ पाई है।

1987 में हुई थी सीधी भर्ती

प्रदेश में सहकारी साख सरंचना के त्रिस्तरीय ढांचे की सबसे छोटी एवं महत्वपूर्ण इकाई ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापक एवं सहायक व्यवस्थापक पद पर वर्ष 1987 में सीधी भर्ती हुई थी । 36 साल बीत जाने के बावजुद इन समितियों में सीधी भर्ती नहीं हो पाई है और वर्ष 2017 में चयन और भर्ती के लिए गठित सहकारी भर्ती बोर्ड 6 साल बाद भी राज्य की एक भी पैक्स-लैम्पस में रिक्त पदों पर भर्ती नहीं करवा पाया है।

संगठन का आंदोलन और स्क्रीनिंग पर समाप्त

पैक्स-लैम्पस कर्मियों का प्रदेश स्तर पर प्रतिनिधत्व करने वाले संगठनों द्वारा अपनी मांगों के लिए जब भी आंदोलन किया जाता है। तो सहकारिता विभाग स्क्रीनिंग प्रक्रिया शुरु करने का आदेश जारी कर देता है। जिससे पैक्स-लैम्पस कर्मियों के नेतृत्व कर्ता खुश होकर सेवानियमों को खुटी पर टांगकर धड़ा-धड़ तरीके से स्क्रीनिंग करवाने लग जाते है। और जिन कार्मिकों की स्क्रीनिंग नहीं हो पाती, वो एक-दूसरे का केवल मुंह ताकते रह जाते है। ऐसा ही गत साल की स्क्रीनिंग प्रक्रिया के दौरान भी हुआ है, दरअसल जोधपुर खंड की जालोर, बाड़मेर, सिरोही, पाली सीसीबी की सहकारी समितियों में स्क्रीनिंग कब की पूर्ण हो गई, लेकिन जोधपुर खंड की ही जोधपुर और जैसलमेर सीसीबी में आज दिन तक स्क्रीनिंग पूर्ण नहीं हुई है।

जीएसएस में कार्यरत कर्मचारी राज्य सरकार एवं सीसीबी के कर्मचारी नहीं

विधायक गोपीचंद मीणा द्वारा विधानसभा में पूछे गए सवाल का जवाब में राज्य सरकार ने लैम्पस मैनेजर की नियोक्ता संबंधित लैम्पस को ही बताया हैं । सवाल के प्रतिउत्तर में कहा गया हैं कि लैम्पस स्तर से नियुक्त व्यवस्थापक की सेवायें स्क्रीनिंग प्रक्रिया के माध्यम से नियमित करने के लिए विभागीय पत्र 28 जुलाई 2022 को जारी कर खण्डवार स्क्रीनिंग प्रक्रिया शुरु के पश्चात 30 सितम्बर 2022 को स्क्रीनिंग प्रक्रिया पर राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश जारी होने के कारण स्क्रीनिंग को रोकने का जवाब देते हुए विभाग ने बताया कि पैक्स-लैम्पस के कर्मचारियों की भर्ती, चयन प्रक्रिया एवं सेवा नियम- 2022 के प्रावधान संख्या 1.5 के तहत कर्मचारी राज्य सरकार अथवा केन्द्रीय सहकारी बैंक के कर्मचारी नहीं होकर संबंधित समिति के ही कार्मिक होगे और विभाग द्वारा कहा गया हैं कि सहकारी समिति में कार्यरत कार्मिकों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के समकक्ष दर्जा दिए जाने की कोई भी प्रक्रिया विचाराधीन नहीं है।

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