जयपुर, 17 सितम्बर। पशुपालन मंत्री श्री लाल चन्द कटारिया ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि ऊंट के संरक्षण के लिए राज्य सरकार गंभीर हैं। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि अगले सत्र में राजस्थान ऊँट (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रव्रजन या निर्यात का विनियम) अधिनियम 2015 में संशोधन किये जाएंगे। ऎसे प्रावधान किये जाएंगे, जिससे ऊंटों की आवाजाही शुरू हो और किसान ऊंटों का रखरखाव अपने घरों में कर सकें।
श्री कटारिया प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में अधिनियम लागू होने के बाद किसानों ने ऊंटों से नाता ही तोड़ लिया है। उन्होंने कहा कि अधिनियम में संशोधन कर ऊंटों के संरक्षण के लिए ठोस प्रावधान लागू किये जाएंगे।
इससे पहले विधायक श्री अमीन खां के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में श्री कटारिया ने बताया कि ऊंट पालकों को ऊटों में प्रजनन को प्रोत्साहित करने के लिए टोडियों के पालन पोषण हेतु तथा ऊंटों की संख्या में वृद्धि के लिये उष्ट्र विकास योजना संचालित की गई। जिसमें 20 हजार 800 उष्ट्र पालकों को पंजीकृत कर 42 हजार 580 टोडियों को पंजीकृत किया गया तथा राशि रुपये 24 करोड़ 91 लाख की प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया गया।
उन्होंने बताया कि राजस्थान ऊँट (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रव्रजन या निर्यात का विनियम) अधिनियम 2015 के तहत ऊँट के वध एवं बिना अनुमति के राज्य से बाहर ले जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिसके तहत 117 ऊँटों की तस्करी में बरामदगी दर्ज हुई है तथा 21 व्यक्तियों की गिरफ्तारी दर्ज हुई है। उन्होंने बताया कि ऊँटों में तिबरसा रोग के नियंत्रण के लिए नियमित रूप से उष्ट्र कल्याण शिविरों का आयोजन किया गया। जिसमें माह मार्च, जुलाई एवं अगस्त 2021 में कुल 1 हजार 495 उष्ट्र कल्याण शिविर आयोजित कर 70 हजार 469 ऊंटों की चिकित्सा कर कुल 14 हजार 309 ऊंट पालकों को लाभान्वित किया गया।
श्री कटारिया ने बताया कि पशुगणना प्रति पाँच वर्ष में करवाई जाती है। वर्तमान में पशुगणना वर्ष 2019 अनुसार देश के कुल ऊँटों की संख्यां का लगभग 84.43 प्रतिशत ऊँट राजस्थान में है। पशुगणना अनुसार गत 30 वर्षों से ऊँटों की संख्या में नियमित तौर पर गिरावट का मुख्य कारण निरंतर यांत्रिक संसाधनों का विकास व ग्रामीण स्तर तक उच्च स्तर की परिवहन सुविधा का उपलब्ध होना है।