प्राथमिकता क्षेत्र में नाबार्ड ने 4.40 लाख करोड़ रुपए के ऋण वितरण का लगाया अनुमान

सार 

Rajasthan : नाबार्ड द्वारा आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार के दौरान, राज्य में वर्ष 2024-25 के दौरान सहकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली पैक्स, जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों और कृषक उत्पादक संगठनों को भी सम्मानित किया 
नाबार्ड के स्टेट फोकस पेपर का किया विमोचन (MKM NEWS Rajasthan)

विस्तार 

जयपुर, 12 फरवरी। राजस्थान में एकीकृत और सतत ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नाबार्ड ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए  4.40 लाख करोड़ रु. के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण वितरण का अनुमान लगाया है। ऋण की संभावित राशि पिछले वर्ष के अनुमान की तुलना में 22% अधिक है। नाबार्ड द्वारा बुधवार को आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार के दौरान, सहकारिता और नागरिक उड्डयन (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री श्री गौतम कुमार दक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए तैयार किए गए स्टेट फोकस पेपर का विमोचन किया, जो राजस्थान राज्य में भौतिक और वित्तीय, दोनों संदर्भों में, दोहन योग्य जिलावार ऋण वितरण की संभाव्यता का समेकित दस्तावेज़ है।
प्रमुख शासन सचिव सहकारिता श्रीमती मंजू राजपाल ने राज्य फोकस पेपर 2025-26 के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने पैक्स के कम्प्यूटरीकरण में नाबार्ड के प्रयासों का उल्लेख किया और मई, 2025 तक 5,000 पैक्स को “गो लाइव” करने के सरकार के लक्ष्य को साझा किया। उन्होंने विभिन्न योजनाओं के उद्देश्यों और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को समझने में मदद करने के लिए पैक्स के लिए अधिक प्रशिक्षण और अभिमुखी कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया जिससे उनका सफल कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके। इस दौरान श्री बलराज सिंह, वीसी, एसकेएनएयू, जोबनेर, श्री टीकम चंद बोहरा,  एमडी-राजफेड उपस्थित रहे ।

47% कृषि और संबद्ध कार्यों के लिए आकलित

डॉ. राजीव सिवाच, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. राजीव सिवाच ने स्टेट फोकस पेपर के विषय में बताते हुए कहा कि कुल अनुमानित ऋण संभाव्यता में 47% कृषि और संबद्ध कार्यों के लिए आकलित किया गया है, एमएसएमई क्षेत्र के लिए 45% और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे आवास, शिक्षा आदि के लिए 8% आकलित किया गया है। उन्होंने बताया कि एसएफपी में आकलित ऋण संभाव्यता का उपयोग वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक ऋण योजना तैयार करने के लिए एक आधार दस्तावेज़ के रूप में किया जाएगा। डॉ. सिवाच ने कहा कि कृषि आधारभूत सुविधाओं में निवेश में वृद्धि, कृषि उपज के समूहीकरण, मूल्य संवर्धन और किसानों को किसान उत्पादक संगठनों में संगठित करके कृषि की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। 
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