IFFCO उर्वरक टैगिंग बंद करवाने को लेकर जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

सार 

Sri Ganganagar : ग्राम सेवा सहकारी समितियों में उर्वरक की आपूर्ति के साथ टैंगिग उत्पादों का बहिष्कार जारी.. आज जिला कलेक्टर श्रीगंगानगर को ग्राम सेवा सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों एवं अध्यक्षों ने सौंपा ज्ञापन

इफको की खाद टैगिंग को लेकर ज्ञापन सौंपते हुए (MKM News Rajasthan)

विस्तार 

श्रीगंगानगर । डिजिटल डेस्क | 25 अगस्त | जिले में फिलहाल ग्राम सेवा सहकारी समितियों (Pacs) की ओर से इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) की खाद टैगिंग (tagging) का बहिष्कार किया जा रहा हैं । इसी क्रम में आज जिला कलेक्टर श्रीगंगानगर को बहुउद्देशीय ग्राम सेवा सहकारी समिति कर्मचारी यूनियन द्वारा इफको की खाद टैगिंग को लेकर ज्ञापन दिया गया हैं । इसकी प्रति सहकारिता मंत्री, कृषि मंत्री सहित इफको एवं कृभको के राज्य प्रबंधक को भेजी गई हैं ।

जिसमें बताया गया हैं कि अगर इफको द्वारा खाद टैगिंग बन्द नहीं होने की स्थिती में राज्यभर में इफको के उत्पादों का बहिष्कार किया जाएगा । साथ ही, ज्ञापन में बताया गया हैं कि इफको द्वारा ग्राम सेवा सहकारी समितियों (Pacs) को टैगिंग के बगैर खाद उपलब्ध नहीं करवाई जा रही हैं, जिससे श्रीगंगानगर जिले की प्रत्येक ग्राम सेवा सहकारी समिति में 1 से 3 लाख रुपए तक के टैगिंग उत्पाद बिक्री के अभाव में डम्प पड़े हैं और इससे सहकारी समितियों की आर्थिक सक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं ।

जबकि प्रदेश के कृषि आयुक्तालय ने 1 जुलाई 2025 को उर्वरक आपूर्ति के संबंध में एक आदेश जारी किया था । जिसमें इफको और कृभको को निजी क्षेत्र के स्थान पर सहकारी क्षेत्र में शत-प्रतिशत उर्वरक आपूर्ति के लिए निर्देशित किया गया था । हालांकि यूनियन की ओर से जिले कलेक्टर श्रीगंगानगर एवं केंद्रीय सहकारी बैंक श्रीगंगानगर प्रबंध निदेशक को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया गया हैं कि इफको द्वारा निजी क्षेत्र में उर्वरक का विक्रय किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में खाद की पूर्ति नहीं हो रही है।

यूनियन जिला अध्यक्ष प्रगटसिंह के नेतृत्व सीसीबी प्रबंध निदेशक को दिया ज्ञापन (MKM News Rajasthan)

टैंगिग के बगैर नहीं होती उर्वरक की आपूर्ति

सिर्फ श्रीगंगानगर ही नहीं बल्कि प्रदेश की प्रत्येक ग्राम सेवा सहकारी समितियों (Pacs) में उर्वरक की आपूर्ति ना के बराबर होती हैं और जिन ग्राम सेवा सहकारी समितियों में उर्वरक उपलब्ध कराया जाता हैं, वहां टैंगिग उत्पादों को जबरन दिया जाता हैं । जबकि टैंगिग उत्पादों की ग्रामीण क्षेत्र में बिक्री नहीं हो पाती हैं और ग्राम सेवा सहकारी समितियों को अनावश्यक हानि का सामना करना पड़ता हैं । इस टैंगिग प्रक्रिया पर कृषि आयुक्तालय जयपुर द्वारा निरंतर आदेश तो जारी कर दिए जाते हैं, लेकिन कार्यवाही अमल में लाने के लिए कोई पहल नहीं की जाती हैं ।

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