आजादी की शताब्दी तक अमल में रहने वाली राष्ट्रीय सहकारिता नीति की घोषणा जल्द – केंद्रीय सहकारिता मंत्री

  • सार 

New Delhi : बैठक के सफल आयोजन ने भारत के सहकारी परिदृश्य को सहकारी संघवाद और सामूहिक विकास की भावना से प्रेरित आर्थिक विकास के एक मजबूत स्तंभ में बदलने के लिए केंद्र और राज्यों के साझा संकल्प की पुष्टि  

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष – 2025 के उपलक्ष्य में “मंथन बैठक” आयोजित (Mkm News bureau)

विस्तार 

नई दिल्ली । 30 जून । डिजिटल डेस्क। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष – 2025 के उपलक्ष्य में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्रियों के साथ “मंथन बैठक” की केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित हुई । जिसमें देशभर के सहकारिता मंत्रियों, अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रधान सचिवों और सहकारिता विभागों के सचिवों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। वही, अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना देश में बहुत पुराने सहकारिता के संस्कार को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ नए परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर की है। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोग अब अपने जीवन को और बेहतर बनाने के लिए उद्यम करना चाहते हैं, लेकिन इनके पास पूंजी नहीं है और इन करोड़ों लोगों की छोटी-छोटी पूंजी से बड़ा काम करने का एकमात्र रास्ता सहकारिता है।

उन्होंने कहा कि देश के हर व्यक्ति के लिए काम के सृजन के लिए सहकारिता के सिवा कोई अन्य विकल्प नहीं है और इसीलिए 4 साल पहले बहुत दूरदर्शिता के साथ सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई। श्री शाह ने कहा कि हमें संवेदनशीलता के साथ देश के करोड़ों छोटे किसानों और ग्रामीणों के कल्याण के लिए सहकारिता को पुनर्जीवित करना ही होगा, क्योंकि इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।

“मंथन बैठक” को संबोधित करते केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Mkm News bureau)

श्री शाह ने कहा कि कुछ ही समय में राष्ट्रीय सहकारिता नीति की घोषणा भी होगी जो 2025 से 2045 तक, यानी लगभग आजादी की शताब्दी तक अमल में रहेगी। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय सहकारिता नीति के तत्वाधान में ही हर राज्य की सहकारिता नीति वहां की सहकारिता की स्थिति के अनुरूप बने और इसके लक्ष्य भी निर्धारित हों। उन्होंने कहा कि तभी आज़ादी की शताब्दी तक हम एक आदर्श कोऑपरेटिव स्टेट बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सहकारिता के क्षेत्र में अनुशासन, नवाचार और पारदर्शिता लाने का काम मॉडल एक्ट से होगा। उन्होंने कहा कि 2 लाख पैक्स के निर्णय के तहत वित्त वर्ष 2025-26 के लक्ष्य को फरवरी माह में ही समाप्त कर दिया जाए, तभी हम 2 लाख पैक्स के लक्ष्य तक समय से पहुंच सकेंगे।

हर राज्य की एक प्रशिक्षण संस्था यूनिवर्सिटी के साथ जुड़े

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि पहले सहकारिता में सारी भर्तियां भाई-भतीजावाद से होती थीं और इसीलिए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का विचार किया गया। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने आग्रह किया कि हर राज्य की कम से कम एक सहकारिता प्रशिक्षण संस्था, त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के साथ जुड़े और राज्य के कोऑपरेटिव आंदोलन की ट्रेनिंग की पूरी हॉलिस्टिक व्यवस्था त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के माध्यम से ही हो।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह को पुष्पगुच्छ भेंट करते सहकारिता मंत्रालय सचिव (Mkm News bureau)

सहकारी डेटाबेस एक महत्वपूर्ण पहल

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का निर्माण एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसकी मदद से हम वैक्यूम ढूंढ सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस इसीलिए बनाया गया है कि राष्ट्रीय, राज्य, ज़िला और तहसील स्तर की सहकारी संस्थाएं मिलकर ये देख सकें कि किस राज्य के किस गांव में एक भी सहकारी संस्था नहीं है। श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य है कि अगले 5 साल में देश में एक भी गांव ऐसा न रहे, जहां एक भी कोऑपरेटिव न हो और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सहकारी डेटाबेस का उपयोग करना चाहिए।

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह एवं उनके साथ सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्री (Mkm News bureau)

इन मुख्य बिंदुओं पर हुई चर्चा

बैठक के दौरान सहकारिता मंत्रालय द्वारा की गई पहल के व्यापक मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं, नीति सुझावों और कार्यान्वयन रणनीतियों के सार्थक आदान-प्रदान की सुविधा मिल सके। बैठक में चर्चा के मुख्य बिंदुओं में देशभर में 2 लाख बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों की स्थापना की प्रगति और ग्रामीण सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों को बढ़ावा देना शामिल है। सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के कार्यान्वयन पर भी बैठक के दौरान विस्तृत चर्चा हुई। तीन नवगठित राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी समितियों के कामकाज का समर्थन करने में राज्यों की भूमिका की समीक्षा पर भी बैठक में चर्चा की गई। इसके साथ ही एक टिकाऊ और सर्कुलर डेयरी अर्थव्यवस्था बनाने के उद्देश्य से श्वेत क्रांति 2.0 पहल पर विचार विमर्श किया गया। आत्मनिर्भर भारत के तहत दालों और मक्का के लिए समर्थन मूल्य पर खरीद से संबंधित नीतिगत मामलों पर भी प्रमुखता से चर्चा हुई। प्रतिनिधियों ने प्रमुख डिजिटल परिवर्तन पहलों जैसे कि पैक्स और रजिस्ट्रार सहकारी समितियाँ कार्यालयों के कम्प्यूटरीकरण और राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के कार्यान्वयन की समीक्षा की, जिसे एक प्रमुख नियोजन उपकरण के रूप में परिकल्पित किया गया है। बैठक के दौरान जिन अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।

error: Content is protected !!