सार
Rajasthan : प्रदेश में 7000 से ज्यादा ग्राम सेवा सहकारी समितियों से लगभग 35 लाख किसान “ब्याज मुक्त योजना” से जुड़े हुए हैं, जिनमें से अधिकत्तर सहकारी समितियों में ऋण वितरण प्रतिबंधित होने से किसानों को घोर सीजन के दौर में नहीं मिल पा रहा ऋण
विस्तार
जयपुर । डिजिटल डेस्क | 17 मई | सरकार की ‘ब्याज मुक्त फसली ऋण योजना’ से किसानों का मोहभंग होता जा रहा है. किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने वाली यह योजना पिछले पांच सालों से किसानों को चक्कर कटवाने वाली योजना बनकर रह गई हैं, कभी किसान को एफ.आई.जी (FIG) नहीं चलने के नाम पर तो कभी किसान को सोसायटी का कंप्यूटराइजेशन कार्य पूरा नहीं होने के नाम पर चक्कर कटवाया जा रहा हैं, प्रदेश में 7000 से ज्यादा ग्राम सेवा सहकारी समितियों से लगभग 35 लाख किसान इस ‘ब्याज मुक्त योजना’ से जुड़े हुए हैं, जिनमें से अधिकत्तर सहकारी समितियों में ऋण वितरण प्रतिबंधित होने से किसानों को घोर सीजन के दौर में ऋण नहीं मिल पा रहा हैं । समय पर ऋण नहीं मिलने के कारण किसानों का इस योजना से मोहभंग हो रहा हैं, वही सोसायटी और बैंक का ज्यादा चक्कर काटने से कुछ किसान तो इस योजना का लाभ लेने से भी कतरा रहें हैं, किसानों द्वारा बताया जा रहा हैं कि उन्हें इस योजना में स्वीकृत एमसीएल (MCL) के अनुसार 20 एवं 40 फीसदी तक ही ऋण मिल पाता हैं । उन्होने कहा कि कभी बायोमेट्रिक नहीं होने, कभी पोर्टल नहीं चलने तो कभी ऊपर से रोक लगाने और ना जाने अनेक प्रकार की समस्याएं बताकर चक्कर कटवाने का कार्य करवाया जा रहा हैं ।
पांच सालों से इन जिलों में किसी भी किसान को नहीं 1.50 लाख का ऋण
केंद्रीय सहकारी बैंक जालोर एवं बाड़मेर में बैंक के अधीन संचालित 680 ग्राम सेवा सहकारी समितियों से लगभग साढ़े चार लाख से अधिक किसान जुड़े हुए हैं, इनमें से कोई भाग्यशाली ही किसान होगा, जिसे ब्याज मुक्त अल्पकालीन फसली ऋण वितरण योजना में स्वीकृत 1.50 लाख की एमसीएल (MCL) के तहत पूरा ऋण मिल पाया हो, लेकिन ग्राम सेवा सहकारी समितियों की ओर से वितरित फसली सहकारी ऋण के आंकड़ो पर नजर डाली जाएं तो ऐसा कोई किसान इन दो जिलों में नजर नहीं आ रहा हैं ।
सरकार ने बढ़ाएं करोड़ो, लेकिन सीसीबी की मामूली ऋण बढ़ोतरी
सरकार ने पिछले पांच सालों में ब्याज मुक्त योजना के तहत 18 हजार करोड़ के फसली सहकारी ऋण वितरण के लक्ष्य को बढ़ाकर 25 हजार करोड़ तक पहुंचाने की केवल हवा-हवाई घोषणा हर साल की तरह इस साल भी कर रखी हैं, परंतु जालोर एवं बाड़मेर सीसीबी में कभी 5 फीसदी तो कभी 10 फीसदी की मामूली ऋण बढ़ोतरी कर ऋण मुहैया कराया जा रहा हैं । इस संबंध में एक्सपर्टो का कहना हैं कि सीसीबी स्तर से इस प्रकार की ऋणों में बढ़ोतरी होने से 1.50 लाख की एमसीएल वाले किसानों को 2047 तक भी पूरा 1.50 लाख का ऋण नहीं मिल पाएगा ।
योजना को दड़बे में गिराने का श्रेय एफआईजी को….
सरकार की इस योजना में आटे के साथ घुन को पिसने का काम एफआईजी (FIG) पोर्टल ने किया हैं, इस पोर्टल ने ब्याज मुक्त योजना को दड़बे में गिराकर रख दिया हैं, बताया जा रहा हैं कि पोर्टल लागू होने के बाद से ब्याज मुक्त योजना की हालात इस कदर बिगड़ी हैं कि सोसायटी, बैंक से लेकर किसान तक इस योजना त्रस्त हो गए हैं । इस पोर्टल प्रणाली ने केंद्र सरकार की पैक्स कंप्यूटराईजेशन योजना में भी नया अड़गा खड़ा करके रखा दिया हैं, लेकिन सहकारिता प्रमुख शासन सचिव द्वारा इस पोर्टल प्रणाली की समीक्षा करने के बजाए ऋण प्रक्रिया बांधित करने से पैक्स-लैम्पस में कैसी “सहकार से समृद्धि” आएगी ? यह आमजन की समझ से परे हैं । क्योकि कृषि ऋणदात्री सहकारी समितियों से जुड़े किसान तो दिन-ब-दिन सहकारिता विभाग की अंतिम कड़ी पैक्स से अपने खाते बंद करवाकर हिस्सा राशि वापिस लेने जैसे कदम उठा रहें हैं ।

एक्सपर्ट व्यू
सरकार की ब्याज मुक्त योजना के तहत संचालित फसली सहकारी ऋण प्रक्रिया किसानों के लिए काफी मददगार साबित हुई थी, लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बाड़मेर और जालोर जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियों से जुड़े किसानों का दिन-ब-दिन इस योजना से मोहभंग होने लगा हैं, वजह सरकार की इस योजना की खामिया और संचालन कर्ताओं का एकाधिकार वाद हैं । इस योजना की आड़ में सरकार ने वर्ष 2018 एवं 2019 में कर्ज माफी कर वोट बैंक की राजनीति को साध लिया और किसान हर साल ऋण माफी की बांट जोते ही रहें, जिससे किसानों की ऋण नहीं चुकाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिला और ग्राम सेवा सहकारी समितियों का ऋण अवधिपार होकर ओवरड्यु दिन-ब-दिन बढ़ता ही गया ।