जयपुर । डिजिटल डेस्क | राजस्थान राज्य सहकारी अधिकरण (Rajasthan State Cooperative Tribunal) ने एक मामले में सुनवाई कर ग्राम सेवा सहकारी समिति द्वारा पारित वेतन प्रस्ताव को अंतिम रुप से विखण्डित करने का निर्णय अधिकरण अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा एवं अधिकरण सदस्य प्रथम पंकज अग्रवाल ने पारित किया हैं । हालांकि अधिकरण ने समिति को विधिक प्रावधानों की पालना करते हुए नये सिरे से प्रस्ताव लेने के लिए स्वतंत्र बताया है और अग्रिम कार्यवाही के लिए सूचना संबंधित उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां को भिजवाई गई है। दरअसल, राजस्थान राज्य सहकारी अधिकरण ने 20 दिसंबर 2016 को एक आदेश पारित कर प्रस्तावों के मामलों की सुनवाई संशोधित प्रावधानों के तहत रजिस्ट्रार न्यायालय द्वारा की जानी योग्य बताई और प्रस्तावों की सुनवाई से लम्बित रेफरेन्सों को सुनवाई के लिए सम्बन्धित रजिस्ट्रार न्यायालयों को भिजवा दिए थे।
वही ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापकों द्वारा अधिकरण की ओर से पारित आदेश को सिविल रिट याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई, जिसमें गोपीचंद बनाम राजस्थान राज्य सहित 104 रिट याचिका दायर हुई । जिस पर सुनवाई करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने 22 मार्च 2018 को एक निर्णय पारित कर राजस्थान राज्य सहकारी अधिकरण द्वारा जारी 20 दिसंबर 2016 के आदेश को अपास्त कर इस मामले में सुनवाई का क्षेत्राधिकार अधिकरण को बताया, जिसके क्रम में अधिकरण ने एक प्रस्ताव पर पुनः सुनवाई प्रारम्भ की और विपक्ष को सुनवाई के लिए नोटिस जारी करने के पश्चात हाल ही में सुनवाई कर निर्णय पारित किया हैं,
जिसके मुताबिक समिति में कार्यरत कार्मिकों को अन्य राज्यकार्मिकों की तरह वेतन, मंहगाई भत्ता भुगतान पर बिना किसी सिलिंग / प्रतिबंध एवं बिना शर्त भुगतान किया जाना चाहिए, का प्रस्ताव समिति ने लेकर निर्णय लिया, परंतु उसमें परिपत्र संख्या 6 के बिन्दू संख्या 1,3,4,7,8,10 (वेतन के संबंध में समिति में आय होने के आधार पर निबंधन लगाये गये थे) को अस्वीकार किया गया एवं परिपत्र संख्या-6 के बिन्दू संख्या 2.5.6.9.11.12 को समिति द्वारा आंतरिक एवं प्रशासनिक मामलों में स्वायत्ता प्राप्त होने पर सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया, जिस पर संबंधित उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां ने आंशिक रूप से स्वीकार करने व अस्वीकार करने पर सुनवाई का अवसर देते हुए राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 125 (1) के प्रावधान अंतर्गत अप्रार्थी समिति के द्वारा पारित प्रस्ताव को सहकरिता विभाग एवं रजिस्ट्रार सहकारी समितियां जयपुर के आदेशों के प्रतिकूल होने से प्रस्ताव वाले निर्णयों को स्थगित कर दिया और उस प्रस्ताव को अपखण्डन किए जाने के लिए राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 125 (2) के प्रावधानों के तहत प्रस्ताव राजस्थान राज्य सहकारी अधिकरण को विखण्डन के लिए भिजवाया था ।