संस्थाओं के फर्जी पदाधिकारी बन गैरकानूनी कार्य करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई : सहकारिता मंत्री

सार

Rajasthan News : वर्तमान में राज्य में कुल 2 लाख 70 हजार 257 संस्थाएं पंजीकृत हैं। राजस्थान सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1958 के अंतर्गत संस्थाओं का पंजीकरण किया जाता है। अधिनियम की धारा-4 के अंतर्गत पंजीकृत संस्थाओं को प्रतिवर्ष रजिस्ट्रार, संस्थाएं कार्यालय में वार्षिक सूची दाखिल करनी होती है।

विस्तार

जयपुर, 14 जुलाई। सहकारिता राज्य मंत्री श्री गोतम कुमार ने सोमवार को राज्य विधान सभा में कहा कि कूटरचित दस्तावेजों से संस्थाओं के फर्जी पदाधिकारी बनकर बंद पड़ी संस्थाओं की भूमि पर कब्जा करने जैसे गैरकानूनी कार्य करने वाले दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध भारतीय न्याय संहिता के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रकरण संज्ञान में लाये जाने पर कमेटी बनाकर अथवा जांच एजेंसी के माध्यम से जांच करवाकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
सहकारिता राज्य मंत्री शून्यकाल में बीकानेर (पश्चिम) विधायक श्री जेठानंद व्यास द्वारा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से इस सम्बन्ध में उठाये गए मामले पर जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य में कुल 2 लाख 70 हजार 257 संस्थाएं पंजीकृत हैं। राजस्थान सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1958 के अंतर्गत संस्थाओं का पंजीकरण किया जाता है। अधिनियम की धारा-4 के अंतर्गत पंजीकृत संस्थाओं को प्रतिवर्ष रजिस्ट्रार, संस्थाएं कार्यालय में वार्षिक सूची दाखिल करनी होती है। संस्था द्वारा उपलब्ध करवाई गई पदाधिकारियों की सूची में से ही किसी के आवेदन करने पर मूल दस्तावेजों की प्रति उपलब्ध कराई जाती है। आवेदन के साथ संस्था द्वारा मूल दस्तावेज खोने से सम्बन्धित एफ.आई.आर. की प्रति, शपथ पत्र एवं दैनिक समाचार पत्रों में खोये-पाये की सूचना की प्रति भी रजिस्ट्रार कार्यालय में जमा करवानी होती है।
सहकारिता राज्य मंत्री ने कहा कि समिति के पदाधिकारी द्वारा ही मूल दस्तावेजों की प्रति प्राप्त करने की कार्यालय प्रणाली से बंद पड़ी संस्थाओं की भूमि पर कब्जा करने के प्रकरण या प्रयास की संभावना बहुत कम रह जाती है। फिर भी ऐसे गैरकानूनी कार्य करने पर दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध पीड़ित पक्षकार द्वारा सक्षम न्यायालयों अथवा सम्बन्धित पुलिस थानों में परिवाद प्रस्तुत किया जाता है, जिसके बाद दोषी व्यक्तियों पर भारतीय न्याय संहिता के अऩुसार कार्यवाही की जाती है।    
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