ग्रामीण विकास में योगदान देती सहकारी समितियां

किसानों की आर्थिक विकास के साथ ग्रामीण विकास में योगदान की इकाई बनी सहकारी समितियां

बाड़मेर 7 सितम्बर 2021 । डिजिटल डेस्क ! शिक्षा व सहकारिता आंदोलन को मजबूत व सुदृढ़ बनाने के लिए गांव में काम कर रही ग्राम सेवा सहकारी समितियां अच्छा मंच सिद्ध हुई है । सहकारी समितियों की सफलता की एक ही कुंजी है, वह यह है कि उसकी अपनी सदस्यता संख्या सक्रियता समय पर देनदारी व देनदारियों के प्रति जागरूकता । आज गांवों में ग्राम सेवा सहकारी समितियां ग्रामीण विकास में योगदान के साथ किसानों की आर्थिक विकास की मजबूत इकाई बन चुकी हैं ।
‘‘एक सब के लिए सब एक के लिए’’ सहकारिता का मूल मंत्र की पालना को लेकर सीमावर्ती बाड़मेर जिले के ग्रामीण इलाकों की ग्राम सेवा सहकारी समितियां अब दिनों-दिन बुलंदियों को छू रही है । अब सहकारिता आंदोलन के जुड़ाव से युवा और किसानों वर्ग में भी जोश व जज्बा देखते ही बनता है । केन्द्रीय सहकारी बैंक बाड़मेर में नियुक्त प्रबंध निदेशक रामसुख चौधरी के सतत् प्रयास निरंतर मोनिटरिंग व राज्य सरकार के अथक प्रयासों से अब ग्राम सेवा सहकारी समितियां हाईटेक तकनीक से जुड़ चुकी हैं अब सहकारी समितियों में कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा होने, बैंक के खाते ऑनलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन बैंकिंग सुविधा के चलते अब यह ग्राम सेवा सहकारी समितियां एवं कॉपरेटिव बैंक भी बड़ी राष्ट्रीयकृत बैंक की होड़ में आ गयी है । ग्राम सेवा सहकारी समिति स्तर पर मिनी बैंक खातों की बढ़ती संख्या, बिना डिपॉजिट राशि में ब्याज दर अधिक देने की प्रक्रिया में सरलीकरण होने, ऋणी किसान की साख सीमा बढ़ाने से हर गांव-ढाणी का किसान युवा वर्ग का रुझान सहकारी समिति की ओर तेजी से बढ़ा है । ग्रामीण विकास में योगदान के साथ-साथ आर्थिक विकास में यह सहकारी समितियां किसानों के लिए वरदान सिद्ध हो चुकी हैं, गांव में किसानों को उन्नत-खाद बीज, उचित दर पर राशन सामग्री, कृषि विभाग की ओर से समितियों के माध्यम से उन्नत बीज व कृषि के प्रदर्शन का विस्तार करने सहित समय-समय पर सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के कई कार्य भी समितियों के माध्यम से ही होते हैं । जिसमें ग्रामीण इलाके के प्रत्येक घर-परिवार का सीधा जुड़ाव समितियों से हो चुका है । समितियों में व्यापार, व्यवसाय व अन्य गतिविधियों में किसान और संचालन मंडल सदस्यों का सीधा हस्तक्षेप होता है । ऐसे में सहकारी समितियां हमेशा किसान व समिति हित में निर्णय लेती है । बड़ी संख्या में सदस्य संख्या के साथ-साथ ग्राम सेवा सहकारी समितियों में प्रजातंत्र प्रणाली की भांति चुनाव होते हैं । सहकारिता में चुनाव के कारण गांव-ढाणी तक समिति संचालक मंडल व अध्यक्षों के चुनाव की चर्चा रहती है । ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से फसली ऋण लेने वाले प्रत्येक किसान का सहकारी समिति की ओर से सहकार जीवन सुरक्षा बीमा योजना में 1 वर्ष के लिए बीमा किया जाता है, इसमें किसान से प्रत्येक एक हजार रुपए की ऋण राशि पर सिर्फ 14 रुपए 20 पैसे प्रीमियम राशि के रूप में किसान से ली जाती हैं । इस योजना में बीमित किसान साधारण मृत्यु की स्थिति में भी जितनी राशि का फसली ऋण लिया है उतनी राशि का बीमा क्लेम राशि के रूप में मिलता हैं, इसका बीमा क्लेम किसान की मृत्यु के 1 माह में आवेदन निर्धारित प्रक्रिया में करना होता है । इसके लिए किसान की अधिकतम आयु 79 वर्ष तय की गई है, बीमा क्लेम की राशि सीधे समिति के किसान के नॉमिनी के खाते में ही जमा हो जाती है । सहकारी समिति के माध्यम से ऋण लेने वाले प्रत्येक किसान का राज सहकार दुर्घटना बीमा भी किया जाता है ‌। इस योजना में बीमित किसान की सड़क दुर्घटना, आगजन आकाशीय बिजली गिरने इत्यादि से मृत्यु होने पर 10 लाख रुपए की ‌आर्थिक सहायता दी जाती है । इस योजना में किसान से सिर्फ 370 प्रीमियम के रूप में लिए जाते हैं ।
केन्द्रीय सहकारी बैंक शाखा गुड़ामालानी ऋण पर्यवेक्षक रायमलराम नेहरा और बाड़मेर आगोर जीएसएस मुख्य कार्यकारी व्यवस्थापक हरीश सोलंकी ने बताया कि ग्राम सेवा सहकारी समिति में ऋणी किसान की सहकारिता विभाग के नियमों/निर्देशों के मुताबिक 5 वर्ष के लिए फसली ऋण वितरण ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से साख सीमा बनाई जाती है और स्वीकृत साख सीमा के अनुरूप आधार आधारित बायोमेट्रिक पद्धति से ऋण दिया जाता है ।

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