- यह पुस्तिका भारत और विदेशों में सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाली सहकारी समितियों के दिशा-निर्देशों, संसाधनों, कार्यप्रणाली, मुख्य शिक्षा और केस स्टडी का एक संग्रह है।
- हैंडबुक न केवल प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए, बल्कि सफल वाणिज्यिक संस्थाओं के रूप में खुद को अलग करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मॉडल को नया करने और अपनाने में सहकारी समितियों की मदद करेगी।
- सरकार एक नई सहकारी नीति बनाने की प्रक्रिया में भी है और सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव है।

PIB DELHI 19 जनवरी I आईसीएएपी (ICAAP) के अध्यक्ष डॉ. चंद्र पाल सिंह यादव और एनसीयूआई (NCUI) के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने एनसीडीसी (NCDC) के लक्ष्मणराव इनामदार राष्ट्रीय सहकारिता अनुसंधान एवं विकास अकादमी द्वारा आयोजित ‘सहकारिताओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्तम कार्यप्रणाली मंच पर विचार मंथन सत्र पर आधारित सहकारिताओं के लिए सहकार प्रज्ञा उत्तम कार्यप्रणाली पर एक नीति सिफारिश हैंडबुक जारी की। इसके द्वारा भारत और विदेशों में सहकारी समितियों (co-operative societies) को न केवल प्रतिस्पर्धी बने रहने बल्कि खुद को सफल वाणिज्यिक संस्थाओं (commercial entities ) के रूप में अलग करने के लिए सर्वोत्तम मॉडल अपनाने और अपनाने में मदद किए जाने की उम्मीद है। एनसीडीसी मुख्यालय में 18 जनवरी को आयोजित समारोह में इस हैंडबुक को जारी किया गया जिसमें एनसीडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD NCDC) संदीप नायक और सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीएन ठाकुर भी मौजूद थे।
इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए हुए आईसीएएपी के अध्यक्ष डॉ. चंद्र पाल सिंह यादव ने कहा कि सहकारिता के पास गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा और रोजगार सृजन- आत्मनिर्भरता का मार्ग जैसी समस्याओं से निपटने में अंतर्निनिहित लाभ हैं । यह कोविड -19 के दौरान भी देखा गया है। मुझे यकीन है कि यह हैंडबुक कई सहकारी समितियों के लिए प्रकाश की किरण होगी जो आत्मनिर्भर भारत में योगदान करना चाहती हैं।
दिशा-निर्देशों, संसाधनों, पद्धतियाँ, प्रमुखशिक्षा, भारत और विदेशों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली सहकारी समितियों की केस स्टडी और परिणाम तथा प्रभाव के एक संग्रह के रूप में यह पुस्तिका एक कार्य योजना के रूप में काम करेगी जो इन संस्थाओं को आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
दिलीप संघानी ने कहा कि यह जानकर खुशी हो रही है कि सहकारिता मंत्री अमित शाह जी से प्रेरणा लेते हुए एनसीडीसी-लिनाक और एशिया प्रशांत अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता गठबंधन (आईसीएएपी) विदेशों में सहकारी समितियों की भारतीय अच्छी प्रथाओं को प्रसारित करने तथा भारत में विदेशी समितियों की अच्छी कार्यप्रणालियों से अवगत कराने हेतु अपने व्यापक अनुभव और विचारों को साझा करने का एक मंच स्थापित करने के लिए एक साथ आए हैं।
इस संबंध में, एनसीडीसी-लिनैक और आईसीएएपी ने सहकारी क्षेत्र के विकास के लिए अनुसंधान, अध्ययन, प्रलेखन और प्रशिक्षण की उन्नति के हित में संबंधित पक्षों की मुख्य ताकत, अनुभव और संस्थागत उद्देश्यों को आत्मसात करने और विकसित करने के उद्देश्य से एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। लिनाक की ओर से लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ बलजीत सिंह, मुख्य निदेशक, लिनाक, गुरुग्राम ने समझौते पर हस्ताक्षर किए जबकि आईसीएएपी को क्षेत्रीय निदेशख बालासुब्रमण्यम अय्यर ने दूसरे पक्ष का प्रतिनिधित्व किया।
एनसीडीसी के एमडी संदीप नायक ने याद दिलाया कि हैंडबुक को लिनाक-एनसीडीसी द्वारा प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और सहकारी समितियों के क्षेत्र में अग्रणी संगठनों के परामर्श से विकसित किया गया है। माननीय गृह और सहकारिता मंत्री के विचारों से प्रेरित होकर हैंडबुक के लिए परामर्श प्रक्रिया नवंबर 2021 में शुरू की गई थी ।
देश भर के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों और अन्य प्रतिभागियों ने सहकारी समितियों के संचालन में आने वाली कठिनाइयों और उन चुनौतियों के संभावित समाधानों पर विचार-विमर्श किया।
अंतिम प्रारूप में देश में कई सहकारी समितियों द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को शामिल करते हुए फोकस ग्रुप चर्चा भी सम्मिलित थी, जिससे उन्हें कोविड -19 महामारी से उत्पन्न आर्थिक निराशा से कुशलतापूर्वक निपटने में मदद मिली।
हैंडबुक में दूध, क्रेडिट और बैंकिंग सहकारी समिति क्षेत्रों से कुछ सर्वोत्तम कर्यप्रणालियाँ थीं जिनके विवरण सरकार के आत्मानिर्भर भारत के दृष्टिकोण पर केन्द्रित हैं।
भारत में विशेष रूप से कृषि और कृषि-संबद्ध क्षेत्र, बैंकिंग और आवास क्षेत्रों में 8 लाख से अधिक पंजीकृत सहकारी समितियां हैं। सहकारी समितियों को सुव्यवस्थित करने के लिए एक अलग प्रशासनिक कानूनी और नीतिगत ढांचा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में सहकारिता मंत्रालय बनाए जाने के बाद देश में सहकारिता आंदोलन ने फिर से ध्यान आकृष्ट किया है।
सरकार नई सहकारी नीति बनाने की प्रक्रिया में भी है और सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव है जिसे अब विकास का एक महत्वपूर्ण मुद्दा माना जा रहा है।