सार
Rajasthan : एफआईजी पोर्टल की नाकामी मत्थे मढ़ने के लिए शीर्ष सहकारी बैंक के पास भारत सरकार का एक पोर्टल तैयार, सहकारिता सचिवालय हेड इस एफआईजी पोर्टल संचालन की नाकामी के संबंध में एक शब्द सुनने को तैयार नहीं जबकि जिलों में बैंक प्रशासक यानि जिला कलक्टर पोर्टल सर्वर डाउन प्रकरण में निभा रहें धृतराष्ट्र की भूमिका
विस्तार
जयपुर । डिजिटल डेस्क | 26 मई | राज्य सरकार ने ब्याज मुक्त योजना के तहत 35 लाख किसानों को 25 हजार करोड़ का ब्याज मुक्त फसली सहकारी ऋण देने का दावा बजट सत्र के दौरान विधानसभा में किया । लेकिन, इसका स्याह पहलू यह है कि आज मई-जून माह की भीषण गर्मी में सोसायटी के बाहर किसान ब्याज मुक्त योजना के लाभ लेने के लिए तरस रहें हैं । वजह सहकारिता विभाग का डींग मार एफआईजी पोर्टल नहीं चल रहा हैं । किसानों के यह हालात हैं कि उन्हें घंटो इंतजार करने के बाद भी फसली ऋण योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं, राजस्थान राज्य सहकारी बैंक (RSCB) की ओर से फसली ऋण वितरण एवं वसूली कार्य के लिए लागू एफआईजी पोर्टल फिर सर्वर समस्या के फेर में अटक गया हैं, इस पोर्टल ने रबी सीजन की तरह फिर सोसायटी के आगे किसानों की भीड़ इकट्ठा कर दी हैं, यहां तक कि 45 डिग्री गर्मी वाले जिलों में भी किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए सोसायटी के आगे खड़े दिखाई दे रहें हैं । किसानों ने सरकार से इस पोर्टल प्रणाली को लेकर त्राहिमाम-त्राहिमाम की पुकार तक लगानी शुरू कर दी हैं । लेकिन पोर्टल की नाकामी का ढिंढोरा शीर्ष सहकारी बैंक ने पिछली बार की तरह इस बार भी केंद्र सरकार के भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई पोर्टल) पर मढ़ दिया हैं । वर्तमान समय में खरीफ सीजन के दौरान सर्वर समस्या से जूझते इस पोर्टल ने फसली सहकारी ऋण वितरण प्रक्रिया को बदहाल अवस्था में लाकर खड़ा कर दिया हैं ।
सिर पीटने को मजबूर व्यवस्थापक
राज्य सरकार की “ब्याज मुक्त योजना” के तहत किसानों को जीरो फीसदी पर अल्पकालीन फसली ऋण उपलब्ध कराने का कार्य प्रदेश की ग्राम सेवा सहकारी समितियों द्वारा किया जा रहा हैं, किसानों को सोसायटी की ओर एफआईजी नामक पोर्टल से ऋण बांटा जाता हैं । वह पोर्टल हर बार की तरह इस बार भी सर्वर समस्या की फेर में अटक गया हैं, बताया जा रहा हैं कि इस पोर्टल को लागू करने के बाद से इसकी समीक्षा सहकारिता विभाग द्वारा एक बार भी नहीं की गई हैं, जिस सहकारिता से समृद्धि लाने के प्रयास केंद्र सरकार कर रही हैं, उस सहकारिता से किसान हतोत्साहित हो गए हैं, जिस एफआईजी पोर्टल को राजस्थान राज्य सहकारी बैंक अपनी उपलब्धि वाला पोर्टल बताकर बाहरी राज्यों के सहकारिता अधिकारियों के सामने डींग मारने का काम करता हैं, उसी पोर्टल को चलाने के लिए पैक्स व्यवस्थापकों को सोसायटी में सिर पीटने वाली स्थिती से गुजरना पड़ रहा हैं ।
वर्ष 2019 का कारनामा
सहकारिता विभाग ने दुनिया से दो कदम आगे चलकर राजस्थान में किसानों को वर्ष 2019 में ही डिजिटलीकरण की ओट में छोड़ दिया था, जब आज भारत सरकार पैक्स कंप्यूटराइजेशन का कार्य कर रही हैं, तो राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में ही एफआईजी पोर्टल लागू करने का कारनामा कर दिया था, लेकिन किसान को आज भी फसली ऋण का लाभ लेने के लिए जूझना पड़ रहा हैं और ऋण वितरण के मामले में पैक्स और सीसीबी पहले भी आईसीयू में थे और एफआईजी पोर्टल बनने के बाद भी आईसीयू में ही नजर आ रहें है। भले ही सरकार ने किसानों पर 25 हजार करोड़ का सरकारी खजाना लुटाने के लंबे-चौड़े इश्तिहार दिए हो। लेकिन, हकीकत यह है कि सहकारिता विभाग का एफआईजी पोर्टल किसानों को लंबा भटकाने के बाद केवल नाममात्र की सौगात दे पाया हैं ।
एफआईजी के नाम पर नोटिस की धमकी
सहकारिता विभाग के शीर्ष सहकारी कार्यालय के हुक्मरानों द्वारा बाहरी राज्यों से आएं सहकारिता अधिकारियों को जिस एफआईजी पोर्टल को अपनी उपलब्धि गिनाने के लिए संजोए रखा हैं, उस पोर्टल ने किसानों को समृद्धि के नाम पर भटकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी हैं । गौरतलब है कि पिछले सीजन में भी एफआईजी पोर्टल की नाकामी की आवाज सहकारिता सचिवालय के हेड तक पहुंची, लेकिन अपने भारी रुतबे एवं गर्म मिजाज के लिए सहकारिता में मशहूर इस हेड ने आवाज उठाने वालों को ही नोटिस थमाने की धमकी दे डाली । जब सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव तक सहकारिता की जमीनी समस्या सुनने के लिए तैयार नहीं तो पैक्स के जरिए “सहकार से समृद्धि” कैसे आएगी ?
सवाल अनेक जवाब सिर्फ एक
सहकारिता के इस पोर्टल को लेकर अधिकारियों का सिर्फ एक ही रटा-रटाया जवाब सुनने को मिलता हैं कि यह एफआईजी पोर्टल की नाकामी नहीं हैं, अरे ! भारत सरकार में आधार पोर्टल यूआईडीएआई का स्पोर्ट नही मिल रहा हैं, जिससे यह समस्या उत्पन्न हो रही हैं, हालांकि सहकारिता विभाग के इस पोर्टल की समस्या पिछले दो साल से एक ही जैसी हैं, जिसे दुरुस्त करने के बजाए सहकारिता विभाग के कार्यालय उलटे पोर्टल को और ज्यादा खराब करने की कोशिश कर रहें हैं । जिस पोर्टल से किसान के साथ सोसायटी एवं केंद्रीय सहकारी बैंक को वर्ष 2019 में जो कुछ उम्मीद जगी थी, वह आज के समय में डूब कर रह गई हैं, इसमें कुछ बदलाव की उम्मीद अब जिला स्तरीय सहकारी अधिकारियों से लेकर पैक्स कर्मियों को नहीं हैं ।
घंटो स्क्रीन हो जाती ब्लैंक
प्रदेश के कई जिलों से व्यवस्थापकों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, लैपटॉप एवं कंप्यूटर पर एफआईजी पोर्टल की स्क्रीन कई बार स्वतः ही ब्लैंक हो जाती हैं और किसी प्रकार की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाती हैं, उन्होने बताया कि डीएमआर से लेकर किसानों की मनी तक विड्रॉल नहीं हो पाती हैं । एक किसान को मुश्किल से एक या दो घंटे इंतजार करने पर अगर किस्मत अच्छी हुई तो ऋण मिल जाता हैं, अगर नहीं हुई तो कंप्यूटर का प्रोसेस पुनः स्टार्ट करना पड़ता हैं और दुबारा स्टार्ट करने के बाद भी एफआईजी पोर्टल में किसी प्रकार की सहूलियत नहीं मिल पाती हैं । जबकि किसान ब्याज मुक्त योजना के भरोसे ही खरीफ फसल की बुवाई की उम्मीद में बैठा हैं ।