पैक्स कर्मियों का टोटा, ऑनलाइन भुगतान प्रणाली में बी.सी. गले पड़ी, घर फुके और तमाशा देखे जैसी स्थिति

जालोर 1 अक्टूबर ! डिजिटल डेस्क ! जिले में संचालित पैक्स/लेम्प्स सहकारी समितियों में ऑनलाइन भुगतान प्रणाली में बिना कमीशन बी.सी. काउन्टर के कार्य का बोझ बढ़ता जा रहा है। केन्द्रीय सहकारी बैंक की बी.सी. सहकारी समितियों में स्थापित होने के बाद से बी.सी. काउन्टर भुगतान प्रणाली गले की फांस बन कर रह गई है। जिले की 157 पैक्स/लेम्प्स सहकारी समितियों में से जिले की 82 सहकारी समितियां सहकारी कर्मियों की कमी से जूझ रही उक्त सहकारी समितियां पर पहले से खाद बीज वितरण, राशन सामग्री वितरण इत्यादि कार्यो का बोझ अतिरिक्त चार्ज वाले व्यवस्थापक या सैल्समैन अपने कंधों पर ढो रहे है। ऊपर से ऑनलाइन फसली ऋण प्रणाली योजना में सहकारी समितियों के सहकारी बैंक में खोले गए ऋणी कृषको के खातों पर हर साल कम्प्यूटर सामग्री के साथ-साथ स्टेशनरी-अस्थाई तौर पर नियुक्त व्यक्ति को मानदेय देकर साल भर में 50 से 60 हजार रुपए तक का खर्च सहकारी समितियों में होने वाली आय के स्रोतों से वहन करना पड़ रहा है। वर्षो से ग्रामीण परिवेश में संचालित सहकारी समितियों को संबंधित केन्द्रीय सहकारी बैंक की बी.सी बनानें के पश्चात किसी प्रकार का बी.सी. के माध्यम से भुगतान प्रणाली में कमीशन देय नहीं होने से सहकारी समितियों की नींवे हिलने के साथ-साथ सहकारी समितियों में बी.सी.काउन्टर संचालन पर होने वाले खर्चे पर समिति की जमा पूजीं मिटती देख व्यवस्थापक के साथ सहकारी समितियां अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। फसली ऋण वितरण में ब्याज का मार्जिन कम होने से सहकारी समितियों की हालत पहले से खराब है और 3 सालों से सहकारी समितियों में बी.सी. काउन्टर संचालन करवाकर किसी भी प्रकार का बी.सी. कमीशन नहीं देकर कार्य अनवरत करवाया जा रहा हैं ।

इनका कहना हैं…………………
जिले की सहकारी समितियों में बी.सी. काउन्टर संचालन कर ऋण वितरण, सहित अन्य योजनाओं के भुगतान करने का जिम्मा अकेला व्यवस्थापक संभाल रहा है। बी.सी. कमीशन देय को लेकर प्रबध निदेशक केन्द्रीय सहकारी बैंक जालोर को अवगत करवानें के बावजूद समस्या ज्यो की त्यों बनीं हुई हैं ।
हनुमानसिंह राजावत
कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष
राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ

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