केंद्रीय सहकारी बैकों के कंठ तक पहुंचा कर्ज माफी का “भंवरजाल”

सार 

Rajasthan : केंद्रीय सहकारी बैकों में कर्ज माफी पेटे विलंब भुगतान पर 8 प्रतिशत ब्याज की घोषणा में देय 767 करोड़ की बकाया राशि के चलते केंद्रीय सहकारी बैकों में मार्च समाप्ति के पश्चात होने वाली संचित हानि को लेकर सहकार नेता आमेरा सहित प्रदेश के सहकारी साख आंदोलन से जुड़े सूत्र निरंतर चिंता जाहिर कर अविलंब 31 मार्च तक बकाया राशि बैकों को सरकार स्तर से जारी करवाने की लगा रहें हैं गुहार

विस्तार 

जयपुर । डिजिटल डेस्क |  राज्य सरकार की कर्ज माफी का “भंवरजाल” केंद्रीय सहकारी बैकों की कंठ तक पहुंच गया हैं, कर्ज माफी के विलंब भुगतान पर सरकार ने 8 प्रतिशत ब्याज देने की घोषणा तो की थी, लेकिन छह साल के पश्चात भी सरकार उस राशि का भुगतान करना भूल गई हैं । इधर, आरबीआई ने वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक ‘‘राज्य सरकार से प्राप्य’’ मद में दर्शाई राशि को फिजिकली प्राप्त नहीं होने पर बैकों से शत-प्रतिशत प्रावधान करने का परिपत्र में स्ष्पट कहा हैं, लेकिन राज्य सरकार की ओर से 767 करोड़ रुपए की राशि ऋण माफी पेटे विलंब भुगतान में बकाया बताई जा रही हैं ।

यह मामला सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा ने उजागर किया हैं, उन्होने इसको लेकर वित्त विभाग के मुख्य सचिव को एक परिवेदना के तौर पर याचिका पत्र भेजकर 767 करोड़ का भुगतान केंद्रीय सहकारी बैकों को जारी करने की गुहार लगाई हैं । साथ ही, पत्र में बताया गया हैं कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति 31 मार्च 2025 से पूर्व राज्य सरकार द्वारा ऋण माफी की विलंब भुगतान पर 8 प्रतिशत दर से ब्याज भुगतान की घोषणा के तहत बकाया 767 करोड़ रुपए का भुगतान केंद्रीय सहकारी बैकों को नहीं किया जाता हैं, तो इसका प्रावधान 31 मार्च के बाद केंद्रीय सहकारी बैकों को अपने स्तर से ही करना पड़ेगा ।

जबकि इन केंद्रीय सहकारी बैकों का वित्तीय वर्ष 2023-24 में संचित लाभ 408.99 करोड़ रुपए पत्र के माध्यम से सरकार को अवगत कराते हुए सहकार नेता आमेरा ने 31 मार्च तक राज्य सरकार द्वारा ऋण माफी की विलंब भुगतान पर 8 प्रतिशत दर से ब्याज भुगतान की घोषणा के तहत बकाया 767 करोड़ रुपए का भुगतान जारी करवाने की मांग उठाई है। इसके अलावा आमेरा ने केद्रीय सहकारी बैकों के पास आरबीआई की ओर से निर्धारित 9 प्रतिशत सीआरएआर का स्तर बकाया राशि के चलते कायम रखने में विफल होने की चिंता जाहिर की है।

दूर से चमकने वाला तंत्र हो सकता हैं “खोखला”

दूर से चमकने वाले केंद्रीय सहकारी बैंक को समय रहते यह राशि नहीं मिलती हैं, तो राज्य में फसली सहकारी ऋण का ढांचा अंदर से खोखला होकर रह जाएगा । इस बात का अंदाजा सहकारी बैकों के संचित लाभ को देखकर लगाया जा सकता हैं, एक्सपर्ट भी मानकर चल रहे हैं कि सरकार स्तर से दो दिन में इतनी बड़ी रकम का भुगतान होने की संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही हैं, जिससे केंद्रीय सहकारी बैकों की लेखा पुस्तिका में ‘‘राज्य सरकार से प्राप्य’’ में दर्शाई 767 करोड़ की राशि का प्रावधान अब बैकों को अपने स्तर से ही करना होगा । जिसके चलते नेहरू सहकार भवन की बिल्डिंग में इत्र की सुगंध वाले अफसरशाही द्वारा बनाई गई ऋण माफी की पॉलिसी में ढीली नीति अपनाने की वजह से बैकों को संचित हानि से बचाने का कोई विकल्प दो दिन में नजर नहीं आ रहा है।

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