टेंडर नहीं : दुर्घटना बीमा पॉलिसी से वंचित हैं 25 लाख से ज्यादा किसान

सहकारिता विभाग की ढिलाई के चलते 8 माह से दुर्घटना बीमा पॉलिसी का टेंडर अधरझुल में

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जालोर । डिजिटल डेस्क | 18 दिसम्बर | राज्य में बीस साल पहले लागू हुई दुर्घटना बीमा योजना की पॉलिसी के टेंडर पूर्व सरकार ने आठ माह बाद भी नहीं किए थे । जिससे सीसीबी बैकों के जरिए ग्राम सेवा सहकारी समितियों से अल्पावधी फसली ऋण लेने वाले राज्य के 25 लाख से अधिक किसानों को रबी सीजन में दुर्घटना बीमा पॉलिसी का फायदा नहीं मिल पाएगा। जालोर जिले के एक लाख से ज्यादा किसान इस योजना से वंचित रहते दिखाई दे रहे हैं। पूर्व की सरकार ने किसानों को सितम्बर माह से फसली ऋण वितरण तो शुरू करवा दिया, लेकिन बीमा योजना के अप्रैल में होने वाले टेंडर आठ माह बाद भी पूर्व की सरकार नहीं करवा पाई। ऐसे में रबी सीजन के दौरान नए सिरे से फसली ऋण के लिए पंजीकरण करवाने वाले किसानों का खरीफ के बाद रबी सीजन में भी दुर्घटना बीमा योजना में पंजीकरण नहीं होगा। विभागीय जानकारी के अनुसार टेंडर प्रक्रिया शुरू करवाई गई थी, लेकिन टेंडर के लिए बीमा कंपनियां नहीं आईं। इस वजह से टेंडर नहीं हो पाए।

योजना से प्रदेश में हर साल 300 से ज्यादा किसान परिवारों को फायदा

2003 में इस योजना को लागू किया गया था। साल 2012 तक किसानों को महज 54 रु.सालाना प्रीमियम में पांच लाख रु.का बीमा कवर दिया जाता था। 2013 में प्रीमियम की राशि बढ़ाकर 188 रु. की गई। 2018 में तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा बीमा क्लेम को दोगुना कर 10लाख रु. कर दिया गया। साथ ही प्रीमियम की राशि भी बढ़ाकर 370 रु. कर दी गई। विभागीय जानकारी के अनुसार इस योजना से हर साल प्रदेश के 300 किसान परिवारों को लगभग 30करोड़ रु. का दुर्घटना बीमा क्लेम जारी किया जाता है। जालोर जिले में हर साल 10 से 12 किसानों को दुर्घटना बीमा योजना का फायदा मिलता है।

गौरतलब हैं कि योजना के तहत महज 370 रु.वार्षिक प्रीमियम दर पर किसानों को 10 लाख रु. तक बीमा कवर दिया जाता है। बीमित किसान की दुर्घटना में मौत होने पर या अंग-भंग होने पर क्लेम दिया जाता है। अप्रैल के बाद से सरकार ने सहकारी बैंक के जरिए फसली लोन लेने वाले किसानों के लिए दुर्घटना बीमा योजना के टेंडर तो नहीं किए। लेकिन, लोन राशि की सुरक्षा के लिए इसी लोन के साथ सहकार जीवन सुरक्षा योजना में किसानों का पंजीकरण करवाया। इस योजना में एक लाख रुप्ए की लोन राशि के बीमा के बदले किसानों को 4614 रु. प्रीमियम भरना पड़ रहा है। जबकि दुर्घटना बीमा योजना में प्रीमियम 370 रु.ही है।

कीटनाशक छिड़काव, थ्रेशिंग व फसल परिवहन के दौरान होती हैं सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं : सहकार दुर्घटना बीमा योजना लागू करने का मकसद कृषि कार्यों के दौरान किसानों के साथ दुर्घटना होने पर उनकी व परिवार की आर्थिक स्थिति को स्थिर रखना है। सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं फसल थ्रैशिंग, खेत जुताई, फसलों पर कीटनाशक के छिड़काव और फसल परिवहन आदि को दौरान होती हैं। हर साल प्रदेश में कई किसान इन दुर्घटनाओं की चपेट में आते हैं। योजना के तहत किसान की मौत होने पर या विकलांगता होने पर 10 लाख रु. तक बीमा राशि किसान को मिलती है।

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