व्यवस्थापकों की कमी के चलते सहकारी समितियों की हालत खराब

सार

Rajasthan News : प्रदेश में यूं तो सहकारी समितियों की जड़ें गहरी हैं, पर गबन का दीमक इसे खोखला करने में लगा है। आए दिन ग्राम सेवा सहकारी समितियों के घोटाले सामने आते रहते हैं। घोटालों के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई की फाइल तो चलती है, पर उनकी गति धीमी होती है।

बाड़मेर जिले की देरासर जीएसएस का खस्ताहाल भवन 

विस्तार

जयपुर। कुप्रबंध और भ्रष्टाचार के कारण कंगाली में पहुंची प्रदेश की कई सहकारी समितियों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार तमाम तरह के प्रयास कर रही है। लेकिन ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों की कमी और बढ़ते घोटालो से सहकारी समितियों की हालत खराब होती जा रही है। प्रदेश में यूं तो सहकारी समितियों की जड़ें गहरी हैं, पर गबन का दीमक इसे खोखला करने में लगा है। आए दिन ग्राम सेवा सहकारी समितियों के घोटाले सामने आते रहते हैं। घोटालों के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई की फाइल तो चलती है, पर उनकी गति धीमी होती है। ऐसी कार्रवाई नहीं हो पाती, जो गबन और घोटालों को बढ़ावा देने वाली व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव कर सके या बदलाव का माहौल बना सके। दरअसल सहकारी समितियों के विरुद्ध की जाने वाली शिकायतों की जांच सहकारिता विभाग के वे अधिकारी ही करते हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं। यही कारण है कि छिटपुट कार्रवाइयों के बावजूद भ्रष्टाचार का सिरा खत्म नहीं होता। इसी कुप्रबंध का नतीजा है कि राज्य की सैकड़ों सहकारी समितियां कंगाल हो चुकी हैं।

भर्ती कागजों से बाहर नहीं आ सकी

ग्राम सेवा सहकारी समितियों में समिति स्तर से होने वाली नियुक्तियों पर रोक लगाते हुए आठ साल पहले सहकारी भर्ती बोर्ड के माध्यम से सहकारी समितियों में रिक्त पदों पर भर्ती करने का प्रावधान लागू किया गया था । लेकिन आठ साल में एक भी ग्राम सेवा सहकारी समिति में व्यवस्थापक के रिक्त पद पर भर्ती बोर्ड भर्ती नहीं करवा पाया है।

ऋण पर्यवेक्षक और व्यवस्थापकों के खाली पड़े प

आलम है कि 3000 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापक के पद खाली है और एक ही व्यवस्थापक को दर्जनभर समितियों का अतिरिक्त कार्यभार दिया हुआ है, वही, इन समितियों की निरीक्षण व प्रभावी मोनटरिंग करने वाले फिल्ड अधिकारी से लेकर ऋण पर्यवेक्षक तक नहीं है, कार्य में “इतिश्री” करने के लिए व्यवस्थापकों को ही कार्यवाहक ऋण पर्यवेक्षक बनाया जा रहा है।

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