खाद की कमी बन रही हैं रबी फसलों की बुवाई में बाधा

निजी क्षेत्रों में खाद का बोलबाला, सहकारी समितियों में खाद का टोटा

सांचौर । डिजिटल डेस्क | 16 अक्टूबर | सांचौर जिले में इन दिनों सर्दी की सीजन शुरू होने के साथ नर्मदा नहर के किनारे खेतों में किसान रबी फसलों की बुवाई की तैयारी कर रहे है। लेकिन यूरिया व डीएपी खाद सहकारी समितियों से नहीं मिलने के कारण किसान निजी खाद केंद्र के चक्कर काट रहे हैं। खाद की कमी से रबी की बुवाई पर भी असर पड़ना लाजमी है। इस वर्ष बिपरजॉय तूफान के चलते कुओं का जलस्तर भी बढ़ा है, जिससे किसानों को रबी की फसल से अच्छी पैदावार की उम्मीद जगी है। लेकिन फसल उपजाई के लिए खाद नहीं मिलने के कारण किसान परेशान है। बिना खाद के रबी फसल की बुवाई कैसे होगी यह सवाल किसानों के जेहन में आ रहा है। फसल की अधिक उपज के लिए किसान बुवाई के समय और बाद डीएपी व यूरिया सहित अन्य खाद का प्रयोग करते हैं।

सहकारी समितियों पर ही मिले खाद

रबी बुवाई की तैयारी में जुटे किसानों का कहना हैं कि सरकार की ओर से निजी दुकानदारों को अधिक मात्रा में डीएपी व यूरिया खाद की आपूर्ति की जाती है। जिसके चलते मनमर्जी के भाव से किसान हैरान-परेशान है। किसानों ने कहा कि क्षेत्र में कार्यरत ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से पूर्व समय में क्षेत्र के किसानों को बुवाई के सीजनली समय में उचित दर पर खाद उपलब्ध होती थी, लेकिन गत चार सालों में नेहड़ क्षेत्र की करीब-करीब सहकारी समितियांं पर उर्वरक सप्लाई करने वाली कंपनियों के जिला स्तरीय अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते सहकारी समितियों को खाद की आपूर्ति नाममात्र की जा रही है । यानि एक तरफ से सहकारी समितियों की खाद आपूर्ति ठप कर दी गई है। वही, निजी क्षेत्रों में खाद की आपूर्ति आवश्यकता से अधिक हो रही है। जिससे निजी क्षेत्र के दुकानदार अपना बड़ा स्टॉक कर मनमर्जी के भाव से खाद बेच रहें है और किसान खरीदने पर विवश है। क्योकि उनके क्षेत्र की सहकारी समितियों में खाद ही नहीं है।

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