ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापक नहीं होने से ग्रामीणों को नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

सार 

Jodhpur : एक व्यवस्थापक के पास औसतन 2 से 3 सहकारी समितियों का अतिरिक्त कार्यभार के चलते आमजन को राज्य व केंद्र सरकार की काफी योजनाएं का फायदा लेने के लिए ग्राम सेवा सहकारी समितियों के दफ्तरों की दौड़-धूप करनी पड़ रही 

विस्तार 

जोधपुर । डिजिटल डेस्क | 9 अक्टूबर | राज्य में पैक्सविहिन ग्राम पंचायत स्तर पर बहुउद्देशीय ग्राम सेवा सहकारी समिति का गठन कर आमजन तक सरकारी योजनाओं का फायदा पहुंचाने की राज्य सरकार की योजना, ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों के पद रिक्त के चलते लोगों से दिन-ब-दिन दूर होती जा रही हैं और लोगों का इन सहकारी समितियों से मोह भंग होता जा रहा हैं । जोधपुर खंड में इस समय ‘सहकार सदस्यता अभियान’ में सहकारिता विभाग स्तर से धड़ाधड़ नई ग्राम सेवा सहकारी समिति गठन को लेकर स्वीकृतियां जारी हो रही हैं, जबकि पहले से संचालित ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कर्मचारियों की कमी के चलते हालात ये हैं कि एक व्यवस्थापक के पास औसतन 2 से 3 सहकारी समितियों का अतिरिक्त कार्यभार, के चलते आमजन को राज्य व केंद्र सरकार की काफी योजनाएं का फायदा लेने के लिए ग्राम सेवा सहकारी समितियों के दफ्तरों की दौड़-धूप करनी पड़ रही है। ऐसे में खाली पदों पर भर्ती नहीं हुई तो ग्राम पंचायत स्तर पर जीएसएस बनाने के बावजूद आमजन के लिए जीएसएस सुविधाओं की भागदौड़ कम नहीं होगी।

नई भर्ती की बात टालते रहे जिम्मेदार

प्रदेश सहित जोधपुर खंड में ग्राम सेवा सहकारी समितियों में खाली पड़े व्यवस्थापकों के पदों पर नई भर्ती को लेकर जब सहकारिता विभाग के अधिकारियों से बात करना चाहा तो अधिकारियों ने फोन रिसिव नहीं किया। अपेक्स बैंक स्तर के अधिकारी बोले कि सीसीबी को पत्र लिखकर सूचना मांगी हैं, नई भर्ती का मामला उच्चस्तर का है।

फैक्ट फाइल

सीसीबी व्यवस्थापक रिक्त पद सहायक व्यवस्थापक रिक्त पद
जोधपुर 255 206
बाड़मेर 173 169
जैसलमेर 49 00
पाली 172 00
जालोर 14 25
सिरोही 38 00

खाली पदों से इस तरह हो रही परेशानी

एक साल से चक्कर लगाने पर मिला मात्र 15 हजार का ऋण 

केस-1ः जालोर जिले के कई किसानों ने बताया कि वह पिछले एक साल से अल्पकालीन फसली ऋण के लिए ग्राम सेवा सहकारी समिति का चक्कर लगाने के पश्चात उनकी 1.50 लाख कि साख सीमा स्वीकृत के बावजूद पहली बार समिति व्यवस्थापक ने 15 हजार रुपए की ऋण राशि थमाकर बताया कि जालोर सीसीबी के पास पर्याप्त बजट अभाव के चलते पूरे जिले में नए सदस्यों को 15 हजार का ही ऋण दिया जा रहा हैं ।

तीन माह की भाग दौड़ के बाद भी नहीं मिला ऋण

केस-2ः जालोर जिले की कई ग्राम सेवा सहकारी समितियों के गोपालकों ने बताया कि गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना में शैड निर्माण एवं चारा/बांटा खरीदने के लिए ग्राम सेवा सहकारी समिति के माध्यम से आवेदन किया और सीसीबी की शाखा के तीन माह से चक्कर लगा रहें हैं, लेकिन सीसीबी शाखा स्तर पर प्रबंधकों द्वारा अनेक प्रकार की स्टाम्प ड्यूटी लेने के बाद भी ऋण देने की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा रही हैं, इतना ही नहीं ऑनलाइन प्रक्रिया पूर्ण होने और ऋण स्वीकृत होने के बाद भी ऋण राशि नहीं दी जा रही हैं ।

इन सुविधाओं के लिए है दौड़-धूप

ग्राम सेवा सहकारी समितियों के काउंटरों से सबसे ज्यादा योजनाएं किसानों से जुड़ी हुई हैं। क्योंकि कृषि विभाग की योजनाओं में वितरित किए जाने वाले सभी तरह के खाद-बीज कीटनाशक का वितरण जीएसएस काउंटर से किया जाता है। किसानों को फसली ऋण लेने व जीएसएस की सदस्यता के लिए व्यवस्थापक की आवश्यकता होती है। जीएसएस के माध्यम से ग्राम स्तर पर संचालित होने वाले मिनी बैंक में लेनदेन भी व्यवस्थापक को ही करना होता है। वहीं आमजन को राशन वितरण की जिम्मेदारी भी व्यवस्थापक की होती है। ग्राम स्तर पर संचालित होने वाली राज्य सरकार की ज्यादातर योजनाएं भी ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से ही आमजन तक पहुंचाई जाती है।

गठन के बावजूद शुरू नहीं हो पाई गतिविधियां

जोधपुर खंड में प्रत्येक ब्लॉक स्तर की एक ग्राम पंचायत पर सरकार ने महिला बहुउद्देशीय सहकारी समितियों का गठन करवाकर विभागीय आंकड़ों की पूर्ति तो सुनिश्चित कर ली, लेकिन कई जिलों में गठित महिला बहुउद्देशीय सहकारी समितियों में गठन के उद्देश्य एवं व्यवसाय की प्रक्रिया आज दिन तक शुरू नहीं हो पाई हैं । इस संबंध में जिम्मेदारों का कहना हैं कि अभी तक महिला बहुउद्देशीय सहकारी समितियों में गठन के पश्चात कार्य को लेकर सरकार ने कोई पॉलिसी जारी नहीं की हैं ।

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