ऋण वितरण में परेशानी बना FIG पोर्टल, नए किसान सदस्यों नहीं मिला रहा फसली सहकारी ऋण

सार

Jalore News : ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से बायोमेट्रिक पद्धति से ऋण वितरण के लिए बनाए गए सहकारी ऋण पोर्टल की सर्वर डाउन समस्या किसानों के लिए बनी परेशानी, पिछले एक साल से नए किसान सदस्यों को पंजीकृत करवाने के बावजुद नहीं मिल रहा अल्पकालीन फसली सहकारी ऋण

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विस्तार

जालोर । डिजिटल डेस्क | 20 जुलाई | प्रदेश सरकार किसानों के हित के लिए कितने ही वादे करती हो, लेकिन उनका जमीनी स्तर पर किसानों को लाभ नहीं मिल रहा हैं, जिले में ग्राम सेवा सहकारी समितियों (Pacs) के माध्यम से किसानों को ब्याज मुक्त योजना में अल्पकालीन फसली ऋण (ST Crop Loan) उपलब्ध करवाया जा रहा हैं, हाल ही में राज्य सरकार ने 5 लाख नए किसान सदस्यों को अल्पकालीन फसली ऋण उपलब्ध कराने की बजट घोषणा तो कर दी हैं, लेकिन जालोर एवं सांचौर जिले में पिछले एक साल से फसली सहकारी ऋण लेने के लिए ग्राम सेवा सहकारी समितियां (Pacs) के माध्यम से पंजीयन करवाने के बावजुद नए किसानों को ऋण देने में केंद्रीय सहकारी बैंक (CCB) बजट के अभाव में कतरा रहा हैं,

ग्राम सेवा सहकारी समितियों से बकायदा पंजीकृत होने के बाद जब एसटी लोन की फाइल शाखा स्तर पर स्वीकृत करवाने की बारी आती हैं, तो वह फाइल दूसरी फाइलों के बीच केवल धूल फांकती रह जाती हैं, इस समस्या से जुझ रहें किसानों ने बताया कि जब सहकारी समितियां के व्यवस्थापकों से ऋण मिलने के संबंध में संपर्क किया जाता हैं, तो समितियों के व्यवस्थापकों की ओर से नए किसान सदस्यों को समिति स्तर की कार्यवाही पूर्ण होने का हवाला देकर बैंक स्तर से ऋण प्रक्रिया की कार्यवाही लंबित होने का कहकर बात को टाल दिया जाता हैं, और जब शाखा मुख्यालय पर पंजीकृत किसानों द्वारा फसली ऋण मिलने के संबंध में संपर्क करने पर, बैंक में बजट नहीं होने का हवाला देकर किसानों को गुमराह किया जा रहा हैं ।

जबकि अपेक्स बैंक की ओर से केंद्रीय सहकारी बैंक को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 800 करोड़ से ज्यादा का अल्पकालीन फसली ऋण वितरित करने का लक्ष्य आंवटित किया हुआ है। गौरतलब है कि हाल ही में विभाग को बजट घोषणा के अनुरूप पांच लाख नए किसानों को अल्पकालीन फसली ऋण योजना से जोडना हैं, लेकिन सांचौर एवं जालोर जिले में तो एक साल पहले पंजीयन करवाने वाले नए किसानों को ऋण के लिए आज दिन तक सहकारी समितियां और सीसीबी शाखा के बीच चक्कर लगाने पड़ रहे है।

सत्यापन बना परेशानी

सहकारिता विभाग की ओर से बायोमैट्रिक सत्यापन करने के उपरांत एफआईजी के जरिए ऋण उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में इंटरनेट की कमी के चलते भूमि पुत्रों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। इसके अलावा बुजुर्गों के बायोमैट्रिक पर फिंगर नहीं आने से ऋण से भी किसानों को वंचित होना पड़ता है, लेकिन सरकार की ओर से ऐसे बुजुर्ग किसानों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई है। आपकों बता दें कि ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को आधार आधारित बायोमैट्रिक पद्धति से फसली ऋण का वितरण किया जाता हैं, जिसमें अपेक्स बैंक की ओर वर्ष 2019 में लागू किए गए सहकारी ऋण पोर्टल पर दो बार बायोमैट्रिक के माध्यम से अंगूठा लगवाया जाता हैं।

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