कृषि ऋृण वितरण का कार्य ऑनलाइन होने के बाद नहीं हुआ विलम्ब – सहकारिता मंत्री

प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना

जयपुर, 24 मार्च। सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि अल्पकालीन फसली सहकारी साख नीति के तहत कृषकों को दिया जाने वाले ऋृण वितरण का कार्य ऑनलाइन होने के बाद विलंब नहीं हुआ है। श्री आंजना ने प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए बताया कि तत्कालीन समय में ऋृण माफी हुई तथा इससे पूर्व ऋण माफी मेंं बहुत घपला हुआ था, इसलिए ऑनलाइन ऋृण वितरण में 2-3 महिने का समय लगा। उन्होंने कहा कि जब से यह कार्य ऑनलाइन हुआ है, तब से ऋृण वितरण में विलंब नहीं हुआ है तथा कोई नुकसान भी नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि बैंको के द्वारा दी जाने वाली साख एमसीआई के आधार पर निर्धारित होती है तथा बैंको के पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर किसानों को दी जाने वाली साख सीमा निर्धारित होती है। उन्होंने माना कि वर्तमान में बैंको द्वारा अधिकतम साख सीमा तक कृषि ऋृण नहीं दिया जा रहा है। इससे पहले श्री आंजना ने विधायक श्री अभिनेष महर्षि के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि वर्तमान में विभाग द्वारा 11 जुलाई 2018 को जारी की गई ‘अल्पकालीन फसली सहकारी साख नीति ‘(संशोधित) में केन्द्रीय सहकारी बैंकों से सम्बद्ध ग्राम सेवा सहकारी समिति/लैम्पस के कार्यक्षेत्र में निवास करने वाले खातेदार भूमिधारक अथवा बटाईदार सदस्यों को अल्पकालीन फसली ऋण वितरण का प्रावधान पूर्व से ही विद्यमान है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में माह जुलाई, 2019 से अल्पकालीन फसली ऋण वितरण प्रारंभ हुआ। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 एवं वर्ष 2021-22 में वित्तीय वर्ष के प्रारंभ से ही ऋण वितरण समय पर प्रारंभ कर दिया गया और आगे भी समय पर ऋण वितरण होगा। सहकारिता मंत्री ने बताया कि सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2014-15 से प्रदेश में किसानों के लिए प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों के माध्यम से वितरित दीर्घकालीन कृषि ऋणों पर ‘5 प्रतिशत का ब्याज अनुदान योजना‘ संचालित की जा रही है, जिसके अन्तर्गत दीर्घकालीन कृषि ऋणों की किश्तों का नियमित चुकारा करने वाले किसानों को ब्याज दर में 5 प्रतिशत का ब्याज अनुदान उपलबध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस ब्याज अनुदान योजना में उन्नत किस्म के पशु खरीदने के लिए विभिन्न ऋण यथा डेयरी ऋण, भेड बकरी पालन का ऋण इत्यादि भी शामिल है। उन्होंने बताया कि अतः इन ऋणों पर भी राज्य सरकार द्वारा ब्याज दर में 5 प्रतिशत का ब्याज अनुदान उपलब्ध कराया जाता रहा है।

error: Content is protected !!