सार
Jaipur : राजस्थान सहकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (RCEJSC) ने अनिश्चिकालीन कार्य बहिष्कार की स्थगित अवधि 30 नवंबर तक बढ़ाई, विभाग ने कैडर आथोरिटी गठन के लिए कमेटी बनाने और व्यवस्थापकों का बैंकिंग सहायक पद पर चयन के लिए प्रक्रिया प्रारम्भ की

विस्तार
जयपुर । डिजिटल डेस्क | 9 नवंबर | राज्य में ग्राम सेवा सहकारी समितियों (Pacs-Lamps) के कर्मचारियों ने राजस्थान सहकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (RCEJSC) के आह्वान पर प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार किया । जिसके बाद विभाग और संघर्ष समिति के मध्य वार्ता होने के पश्चात संघर्ष समिति की ओर से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार को समाप्त नहीं कर 7 नवंबर तक स्थगित किया गया ।
वही संघर्ष समिति एवं विभाग के मध्यम संपन्न समझौता वार्ता के क्रम में विभाग की ओर से कैडर आथोरिटी गठन के लिए कमेटी बनाई गई । जिसके पश्चात 30 अक्टूबर को एक बैठक आयोजित कर कमेटी ने कैडर अथोरिटी के गठन से पूर्व 14 बिन्दुओं की सूचना मांगी है । दूसरी ओर, व्यवस्थापकों का बैंकिंग सहायक पद पर चयन के लिए राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड को रिक्तियों की सूचना सहकारिता विभाग पंजीयक (Registrar) कार्यालय द्वारा भेजी जा चुकी है ।
इसको मध्यनजर रखकर राजस्थान सहकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने एक पत्र जारी कर अनिश्चिकालीन कार्य बहिष्कार की स्थगित अवधि 30 नवंबर तक बढ़ाते हुए मांग पूर्ण न होने के स्थिति में पुनः अनिश्चिकालीन कार्य बहिष्कार करने का जिक्र किया है ।
पांच सदस्यीय कमेटी का गठन
प्रदेश में पैक्स-लैम्पस कर्मियों के संगठन राजस्थान सहकारी कर्मचारी विकास मंच जयपुर के पदाधिकारियों ने कैडर अथोरिटी गठन को लेकर कमेटी की बैठक के पश्चात एक पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है । जिसमें सिरोही से नरतपसिंह चारण, भीलवाड़ा से सत्यनारायण तिवाड़ी, टोंक से शिव कुमार शर्मा, बालोतरा से गोविन्द कुमार चौधरी एवं पाली से शिवमंगल सिंह को शामिल कर कैडर अथोरिटी गठन से पूर्व पैक्स व्यवस्थापकों से सुझाव लेने के लिए निर्देशित किया है । जिसकी अनुपालना में पाली जिले की व्यवस्थापक यूनियन के जिला अध्यक्ष शिवमंगलसिंह द्वारा एक प्रारूप तैयार कर यूनियन के मार्फत 13 बिंदुओं की सूचना जिले के व्यवस्थापकों से संधारित की जा रही है । जिसमें जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कार्यरत कार्मिकों को वेतन पेटे देय देनदारी के अलावा समिति की आर्थिक सक्षमता के लिए सरकार स्तर से देय प्रोत्साहन राशि की सूचना भी चाही गई है ।
—एक्सपर्ट व्यू—
व्यवस्थापकों के लिए कैडर अथोरिटी का गठन होना सबसे बड़ा निर्णय है । इस प्रक्रिया में स्वायत्तशासी संस्थाएं के प्रतिनिधी को शामिल नहीं करना, इन संस्थाओं के साथ कुठाराघात है । क्योकि व्यवस्थापकों का कैडर बन जाएं, लेकिन उन्हें कार्य तो ग्राम सेवा सहकारी समिति (Pacs) में ही करना होगा । जिसको देखते हुए ग्राम सेवा सहकारी समिति का पक्ष भी कैडर अथोरिटी के गठन से पूर्व लिया जाना आवश्यक है । चूंकि ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक से लेकर निर्वाचित पदाधिकारी में से एक भी को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाना विभाग की दोहरी नीति को दर्शाता है । एक ओर विभाग के मुख्या यानि सहकारिता मंत्री हर वक्त संचालक मण्डल को जागरूक करने के अल्फ़ाज़ उगलते रहते है, तो दूसरी ओर विभाग हर वक्त जनप्रतिनिधि यानि निर्वाचित संचालक बोर्ड को हर प्रक्रिया से वंचित रखा जा रहा है । जबकि ग्राम सेवा सहकारी समिति, राजस्थान में सहकारी आंदोलन के त्रि-स्तरीय ढांचे की सबसे छोटी इकाई है, जो एक स्वायत्तशासी संस्था है ।


