सहकारी संस्थाओं की विभागीय ऑडिटर से ऑडिट कराने की बाध्यता वर्ष 2026-27 से होगी प्रभावी

सार 

Rajasthan : सीए फर्म द्वारा लगातार 2 वर्ष की लेखापरीक्षा (Audit) करने के उपरांत विभागीय ऑडिटर द्वारा लेखापरीक्षा सम्पादित करने की बाध्यता अब वर्ष 2026-27 के पश्चात से होगी प्रभावी, तब तक सहकारी संस्थाएं करवा सकती हैं सीए फर्म से लेखापरीक्षा

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विस्तार 

जयपुर । डिजिटल डेस्क | 23 मई | प्रदेश की ग्राम सेवा सहकारी समितियों (पैक्स-लेम्पस), शीर्ष सहकारी संस्थाओं, केन्द्रीय सहकारी बैंकों एवं अरबन को-ऑपरेटिव बैंकों के अतिरिक्त अन्य सहकारी सोसायटियों की सीए फर्म द्वारा लगातार 2 वर्ष की लेखापरीक्षा (Audit) करने के उपरांत विभागीय ऑडिटर द्वारा लेखापरीक्षा सम्पादित करने की बाध्यता सहकारिता विभाग पंजीयक (Registrar) कार्यालय द्वारा 24 अक्टूबर 2024 को एक परिपत्र जारी कर लागू की गई । हालांकि अब इस परिपत्र के संबंध में सहकारिता विभाग पंजीयक (Registrar) द्वारा आज स्पष्टीकरण जारी किया गया हैं, जिसके अनुसार ऑडिट योग्य सहकारी समितियों की संख्या के अनुपात में विभागीय निरीक्षकों की संख्या कम हैं, साथ ही पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना अंतर्गत Go-Live हो चुकी पैक्स की ERP पोर्टल पर ऑनसिस्टम ऑडिट शीघ्र पूर्ण करवाने और पैक्स के अतिरिक्त अन्य प्रकार की सहकारी समितियों का वार्षिक वैधानिक अंकेक्षण भी निर्धारित समयावधि में पूर्ण करवाने की स्थिती को लेकर विभाग की ओर से स्पष्ट किया गया हैं कि ग्राम सेवा सहकारी समितियों (पैक्स-लेम्पस), शीर्ष सहकारी संस्थाओं, केन्द्रीय सहकारी बैंकों एवं अरबन को-ऑपरेटिव बैंकों के अतिरिक्त अन्य सहकारी सोसायटियों की लेखापरीक्षा (Audit) वर्ष 2026-27 तक सीए फर्म से करवाई जा सकती हैं । वही, विभागीय ऑडिटर द्वारा लेखापरीक्षा सम्पादित करने की बाध्यता वर्ष 2026-27 के पश्चात से प्रभावी होगी ।

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