बाजार भाव कम होने पर किसानों के फायदे के लिए एमएसपी पर खरीद-सहकारिता मंत्री

जयपुर, 15 मार्च। सहकारिता मंत्री श्री उदय लाल आंजना ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए राज्य सरकारों को अधिकृत किया जाता है। जिन फसलों का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होता है और किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है, उन्हें राज्य सरकार द्वारा खरीदा जाता है। 
श्री आंजना प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि जिंसों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की स्वीकृति केन्द्र सरकार द्वारा दी जाती है। समर्थन मूल्य के साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा जिंस की मात्रा की खरीद के आंकडे दे दिये जाते हैं। उन्होंने बताया कि पूरे भारत में 22 फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद की जाती है। उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य पर जिस तरह से हरियाणा में बाजरे की फसल की खरीद की गई है, यहाँ भी की जाती, लेकिन भारत सरकार द्वारा स्वीकृति नहीं दिये जाने के कारण बाजरे की फसल की खरीद नहीं की गई।
इससे पहले विधायक श्री गुलाब चन्द कटारिया के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में श्री आंजना ने बताया कि भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद हेतु समय-समय पर राज्य सरकारों को अधिकृत किया जाता है। भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष समर्थन मूल्य पर कृषि जिन्सों की खरीद हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 से राज्य में दलहन/तिलहन की खरीद हेतु रबी 2018 में सरसों व चना, खरीफ 2018 में मूंग, उड़द, सोयाबीन व मूंगफली, रबी 2019 में सरसों व चना, खरीफ 2019 में मूंग, उड़द, सोयाबीन व मूंगफली, रबी 2020 में सरसों व चना तथा खरीफ 2020 में मूंग, उड़द, सोयाबीन व मूंगफली जिन्सों की खरीद की स्वीकृति जारी की गई है।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद हेतु राज्य सरकार को पृथक से स्वीकृति नहीं दी जाती है अपितु प्रत्येक वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद की व्यवस्थाओं के संबंध में भारत सरकार द्वारा बैठक आयोजित की जाती है जिसमें राज्य हेतु समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद के लक्ष्य एवं खरीद की समयावधि निर्धारित की जाती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018, 2019 एवं 2020 में राज्य में गेहूं की समर्थन मूल्य पर खाद्य विभाग द्वारा खरीद की गई है।
सहकारिता मंत्री ने बताया कि भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष रबी सीजन में गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों, सनफ्लावर तथा खरीफ सीजन में पैडी(कॉमन), पैडी(ग्रेड ए), ज्वार (मालडण्डी), बाजरा, रागी, मक्का,तुर(अरहर), मूंग, उड़द, मूंगफली, सनफ्लावर सीड, सोयाबीन(पीली), तिल, नाईजरसीड, कॉटन (मिडियम स्टेपल), कॉटन(लॉग स्टेपल) के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती है। प्रदेश में वर्ष 2014-15 में गेहूं, सरसों व चना, वर्ष 2015-16 में गेहूं, वर्ष 2016-17 में गेहूं व चना, वर्ष 2017-18 में मूंग, उडद, सोयाबीन, मंंूगफली व गेहूं, 2018-19 तथा वर्ष 2019-20 में सरसों, चना, मूंग, उडद, सोयाबीन, मंंूगफली व गेहूं जिन्सों का क्रय किया गया।
उन्होंने बताया कि राज्य में देश के लगभग 44 प्रतिशत बाजरे का उत्पादन होता है। खाद्य विभाग राजस्थान सरकार द्वारा बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद खरीफ विपणन वर्ष 2011-12 में की गई थी किन्तु बाजरे का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक होने एवं नगण्य खरीद होने के कारण बाजरे की खरीद को तत्काल प्रभाव से बन्द कर दिया गया था। इसके पश्चात् विभिन्न कारणों (यथा बाजरे की शेल्फ लाइफ कम होने, आमजन व औद्योगिक क्षेत्र में बाजरे की मांग कम होने एवं बाजरे का भण्डारण हेतु विशेष व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने) के कारण खाद्य विभाग द्वारा वर्ष 2012-13 से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा की खरीद नहीं की गई।

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