सार
Rajasthan : राजस्थान बहुउद्देशी सहकारी सोसायटी कर्मचारी यूनियन ने कैडर, स्क्रीनिंग, ब्याज अनुदान और असंतुलन को नियंत्रित करने को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट जारी करवाने की प्रमुखता के साथ सहकारिता मंत्री एवं सहकारिता विभाग प्रमुख शासन सचिव के समक्ष उठाई मांग
विस्तार
जयपुर । प्रदेश में राजस्थान बहुउद्देशीय सहकारी सोसायटी कर्मचारी यूनियन की दो दिवसीय प्रदेश स्तरीय मीटिंग संपन्न होने के उपरांत, आज सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक से प्रदेश अध्यक्ष हनुमानसिंह राजावत के नेतृत्व में एक शिष्ट मंडल ने मुलाकात कर चार सूत्रीय मांगों के निराकरण के लिए ज्ञापन प्रस्तुत किया हैं, जिसमें बताया गया कि पैक्स व्यवस्थापक सेवानियम 1977 में कैडर ऑथेरिटी का गठन करने के पश्चात उसे भंग कर जिला स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से कर्मियों के नियमितीकरण की व्यवस्था बनाई गई,
लेकिन पैक्स व्यवस्थापक सेवानियम 2022 में इस स्क्रीनिंग के माध्यम से नियमितीकरण की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया, जबकि कैडर गठन के लिए वर्ष 2019 में सहकारिता विभाग पंजीयक कार्यालय की ओर से यू.ओ. नोट जारी कर वित्त विभाग को पत्रावली भेजने के पश्चात पिछले वर्षो से वित्त विभाग में लंबित नियोक्ता पत्रावली का निस्तारण के लिए अपेक्षित कार्यवाही की अपेक्षा भी की गई है।
इसके अलावा, सहकारिता विभाग प्रमुख शासन सचिव को ज्ञापन प्रस्तुत कर सीसीबी और पैक्स के मध्य बढ़ते असंतुलन को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट जारी करवाने की मांग दोहराई है। इस दौरान महामंत्री देवेन्द्र कुमार सैदावत, कोषाध्यक्ष बलदेवाराम गेट, आहोर ब्लॉक अध्यक्ष खेतपालसिंह बालोत, सिरोही से नेनाराम कुमावत सहित समस्त पदाधिकारी एवं अनेक जिलों से व्यवस्थापक मौजूद रहें ।
स्क्रीनिंग और ब्याज अनुदान की रखी मांग
यूनियन की ओर से सहकारिता मंत्री को दिए ज्ञापन के अनुसार, वर्ष 2022 में शुरु स्क्रीनिंग प्रक्रिया में अल्प समय के कारण वंचित पात्र कर्मचारियां का नियमितिकरण करवाने, एफआईजी पोर्टल का संचालन करने के लिए ग्राम सेवा सहकारी समितियों को संबंधित केंद्रीय सहकारी बैंक स्तर से एडवांस राशि दिलवाने और बकाया ब्याज अनुदान का लंबित राशि का भुगतान अतिशीघ्र भुगतान करने की मांग रखते हुए बताया कि सहकार से समृद्धि के संकल्प को प्रशस्त करने में ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कार्यरत कार्मिकों का अहम योगदान है। लेकिन इन कर्मचारियों की वाजिब मांगो का निराकरण नहीं होने से निरांशाजनक स्थिती बनी हुई है।