घोषणा के सात साल बाद भी सहकारी बैंकों को नहीं मिला कर्ज माफी के ब्याज का पैसा…

सार 

Rajasthan : राज्य सरकार ने कर्ज माफी योजना के तहत केंद्रीय सहकारी बैंकों को 8 प्रतिशत की दर से भुगतान में देरी होने पर ब्याज देने की घोषणा की, लेकिन आज दिन तक केंद्रीय सहकारी बैंकों को इस राशि के नाम पर नहीं मिली फूटी कौड़ी

राजस्थान में कर्ज माफी के लिए सृजित पोर्टल का प्रतीकात्मक चित्र (File Photo Mkm News Rajasthan)

जयपुर । डिजिटल डेस्क | 20 जुलाई | राजस्थान में सहकारी बैंको से ऋण लेने वाले किसानों की कर्ज माफी करीब आज से सात साल पहले हुई । जिसमें सरकार ने ऋण की मूल राशि का भुगतान केंद्रीय सहकारी बैंकों को कर दिया। साथ ही, केंद्रीय सहकारी बैंकों को 8 प्रतिशत की दर से भुगतान में देरी होने पर ब्याज देने की घोषणा की, लेकिन आज दिन तक केंद्रीय सहकारी बैंकों को इस राशि के नाम पर फूटी कौड़ी तक नहीं मिली हैं ।

दरअसल, राज्यभर की केंद्रीय सहकारी बैंकों में अपर्याप्त स्टाफ होने के बावजूद राज्य सरकार की कर्ज माफी योजना को धरातल पर लागू किया गया और इसका नतीजा केंद्रीय सहकारी बैंको को यह मिला कि वर्तमान समय में इस ही कर्ज माफी की वजह से अधिकांश बैंकों में वित्तीय संसाधन गड़बड़ा गए है। क्योकि कर्ज माफी के विलंब भुगतान पेटे देय ब्याज के तौर पर बकाया 765 करोड़ की राशि का भुगतान इन बैंकों को नहीं हो पाया हैं । इधर, आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की समाप्ति तक ‘‘राज्य सरकार से प्राप्य’’ मद में दर्शाई राशि को फिजिकली प्राप्त नहीं होने पर बैकों से शत-प्रतिशत प्रावधान करने का स्पष्ट निर्देश दिया । जिसके उपरांत बैंको को अपने वित्तीय संसाधनों से बकाया राशि का प्रावधान करना पड़ा हैं । जिससे वर्तमान समय में राज्यभर की अधिकांश केंद्रीय सहकारी बैंक 9 प्रतिशत सीआरएआर (CRAR) कायम रखने में विफल साबित हो रही हैं ।

गौरतलब हैं कि वर्ष 2018 एवं 2019 में राज्यभर के किसानों द्वारा सहकारी बैंकों से लिए गए ऋणों को माफ करने की घोषणा सरकार ने की । जिसकी पालना में सरकार ने ऋणों की मूल राशि का भुगतान कर जिम्मेदारी निभाई, लेकिन ऋण के भुगतान में हुई देरी के कारण जो ब्याज बना, उसका भुगतान आज दिन तक नहीं किया। जबकि सरकार द्वारा कर्ज माफी के विलंब भुगतान के ब्याज पेटे बकाया 765 करोड़ की राशि में से 200 करोड़ की राशि जमा करवाने का पत्र जारी हुआ हैं । जिसके मुताबिक यह राशि मार्च 2025 में राजस्थान राज्य सहकारी बैंक (RSCB) के पीडी खाते में जमा करवाई गई । लेकिन चार माह का समय बीत जाने के बावजूद वह राशि राजस्थान राज्य सहकारी बैंक के पीडी खाते से बाहर नहीं निकल पाई हैं ।

कर्ज माफी के दौरान आयोजित शिविर (File Photo 2019 – Mkm News Rajasthan)

पीडी खाते में जमा हैं 200 करोड़ की राशि

राजस्थान राज्य सहकारी बैंक (RSCB) के पीडी खाते में 200 करोड़ की राशि जमा हैं । इस संबंध में सीकर केंद्रीय सहकारी बैंक (SCCB) द्वारा जब राजस्थान राज्य सहकारी बैंक से अपने बैंक की स्वीकृत राशि की जानकारी चाहने पर शीर्ष सहकारी बैंक ने एक पत्र जारी किया हैं । जिसके मुताबिक ऋण माफी के विरुद्ध स्वीकृत 8 प्रतिशत ब्याज राशि में सर्वाधिक बाड़मेर को 21 करोड़ 26 लाख, सीकर को 13 करोड़ 49 लाख, जोधपुर 13 करोड़ 46 लाख, कोटा को 11 करोड़ 81 लाख, जयपुर को 11 करोड़ 44 लाख तथा हनुमानगढ़ 8 करोड़ 96 लाख, चित्तौड़गढ़ को 8 करोड़ 92 लाख, जालोर को 8 करोड़ 10 लाख, जैसलमेर 7 करोड़ 76 लाख, नागौर को 7 करोड़ 70 लाख, झालावाड़ को 7 करोड़ 73 लाख, बारां को 6 करोड़ 96 लाख, डूंगरपुर को 6 करोड़ 56 लाख, झुंझुनूं  को 6 करोड़ 50 लाख, अलवर को 6 करोड़ 11 लाख, इसी प्रकार सवाई माधोपुर को 5 करोड़ 49 लाख, श्रीगंगानगर को 5 करोड़ 45 लाख, बांसवाड़ा को 5 करोड़ 24 लाख, बूंदी को 5 करोड़ 22 लाख के अलावा पाली को 4 करोड़ 84 लाख, भीलवाड़ा को 3 करोड़ 79 लाख, उदयपुर को 4 करोड़ 60 लाख, अजमेर को 3 करोड़ 53 लाख, चूरू को 3 करोड़ 9 लाख, भरतपुर को 2 करोड़ 98 लाख, दौसा को 2 करोड़ 93 लाख, टोंक को 2 करोड़ 64 लाख तथा सिरोही 2 करोड़ 9 लाख, बीकानेर को 1 करोड़ 32 लाख और एसएलडीबी को 95 लाख की राशि स्वीकृत की गई हैं ।

कर्ज माफी के दौरान आयोजित शिविर (File Photo 2018 – Mkm News Rajasthan)

विशाल शिविरों  का राज्यभर में हुआ आयोजन

राज्य सरकार की कर्ज माफी के दिनों में किसानों ने ग्राम सेवा सहकारी समितियों स्तर पर आयोजित विशाल शिविरों में खूब हलवा-पुरी की दावत के लुत्फ़ उठाएं थे । आज भी इन आयोजनों की दावत किसानों के ज़ेहन से नहीं गई हैं । जहां, वर्ष 2018 एवं 2019 में कर्ज माफी योजना के तहत ग्राम सेवा सहकारी समितियों स्तर पर विशाल शिवरों का आयोजन कर ऋण माफी के प्रमाण पत्र बांटे गए। जिसके चलते प्रदेश की अधिकत्तर ग्राम सेवा सहकारी समितियों ने “घर फूंककर तमाशा देखो” जैसी स्थिती का सामना किया और इसके पश्चात इनके संस्थागत लाभ को गहरा आघात पहुंचा और प्रदेश की एक चौथाई ग्राम सेवा सहकारी समितियां असंतुलन में चली गई। वर्तमान में इन्ही एक चौथाई ग्राम सेवा सहकारी समितियों से जुड़े कार्मिक ही पिछले अर्ध-दशक से नियोक्ता निर्धारण एवं वेतन भुगतान को लेकर सरकार से अनवरत गुहार लगा रहें हैं ।

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