“सांचौर” से छीना जिले का दर्जा, शुरु हुआ विरोध प्रदर्शन

सार

Jaipur : सरकार ने सांचौर जिले को किया रद्द, बागोड़ा, रानीवाड़ा, चितलवाना, सांचौर उपखंड फिरे से जालोर जिले में शामिल, सांचौर जिले में शामिल करने से खुश नहीं थे बागोड़ा एवं रानीवाड़ा के लोग, जिले का दर्जा छीनने के बाद शुरु हुआ विरोध प्रदर्शन, कल से “सांचौर जिला बचाओं, संघर्ष समिति” के बैनर तले शुरु होगा महापड़ाव 

विस्तार

जयपुर । डिजिटल डेस्क | 29 दिसम्बर | (प्रकाश वैष्णव) भाजपा सरकार ने सांचौर से जिले का दर्जा छीन लिया, शनिवार को भजनलाल सरकार की कैबिनेट ने यह फैसला किया । जबकि सांचौर को 513 दिन पहले ही जिला बनाया गया था । पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने सांचौर को जिला बनाने का फैसला 17 मार्च 2023 को अधिसूचना जारी कर किया था। इसमें जालोर जिले के चार उपखंड बागोड़ा, रानीवाड़ा, चितलवाना एवं सांचौर शामिल किए गए थे, जबकि दो उपखंड बागोड़ा एवं रानीवाड़ा के लोग सांचौर में शामिल नहीं होना चाहते थे, उनके द्वारा भीनमाल को जिला बनाने या जालोर जिले में यथावत रखने की मुहिम चलाई गई थी । सरकार द्वारा शनिवार को लिए फैसले से जालोर जिला अब पुराने स्वरूप में आ गया है। पहले की तरह जिले में 9 उपखंड रहेंगे। इसके साथ ही जालोर जिला पहले की तरह जोधपुर संभाग में शामिल रहेगा। कैबिनेट ने 9 जिले और 3 संभाग खत्म करने का फैसला किया है। इस फैसले का लोगों में विरोध भी शुरू हो गया है।

गौरतलब है कि पिछली सरकार के फैसले के बाद नए जिले के गठन के बाद से ही यहां कलेक्टर और एसपी कार्यालय खोल दिया गया था और इन अधिकारियों समेत बाकी सभी जिला अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई थी। जिलों के गठन को लेकर सरकार ने पूर्व आईएएस ललित के. पंवार की अध्यक्षता में एक रिव्यू कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने नए जिलों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट दी। इसके बाद कैबिनेट सब कमेटी बनाई गई। मंत्रियों की कमेटी ने भी ललित के पंवार कमेटी की सिफारिश के आधार पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। अब सरकार ने कैबिनेट की बैठक में अपना फैसला लिया है।

1. प्रशासनिक ढांचा पड़ेगा कमजोर ।

  • जालोर जिले में पेयजल एवं फसल बीमा से लेकर फसली ऋण वितरण के मामले में आम-जनता पहले से जुझ रही हैं, दोनो जिलों में पृथक कार्यालय एवं अधिकार क्षेत्र होने से किसानों एवं आम-जनता को काफी सुविधा मिल सकती थी, लेकिन अब जालोर जिले का क्षेत्राधिकार बड़ा होने से जिला स्तरीय मामलो को लेकर सांचौर एवं चितलवाना की जनता को वापिस जालोर के चक्कर लगाने पड़ेगे ।
  • जालोर जिले में पिछले काफी समय से जवाई बांध से जवाई नदी पुनर्भरण की मांग लंबित है। वही कृषि क्षेत्र में फसल खराबे पर देय फसल बीमा क्लेम और कृषि आदान-अनुदान का पिछले एक साल से कोई अत्ता-पत्ता नहीं है। सांचौर एवं चितलवाना के लोगों को अपनी मांग रखने के लिए जालोर जाना होगा । औसतम हर माह करीब 3 लाख से 4 लाख रुपए किराए के चुकाने होंगे, समय की बर्बादी होगी ।

जिला हटाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज

सांचौर जिले को हटाने की घोषणा के बाद जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुका है। पूर्व राज्य मंत्री एवं सांचौर के पूर्व विधायक सुखराम विश्नोई ने सांचौर मुख्यालय पर महापड़ाव की घोषणा की है। पूर्व मंत्री ने आज “सांचौर जिला बचाओं, संघर्ष समिति” के बैनर तले सांचौर जिले के निरस्त करने के विरोध में जिला कलेक्टर कार्यालय सांचौर के आगे एकत्रित हुई जनता के साथ ज्ञापन देकर जिला निरस्त के विरुद्ध कल से महापड़ाव लगाने का आह्वान कर दिया है।

इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा ने “सांचौर जिला बचाओं संघर्ष समिति” को समर्थन दिया हैं, संयुक्त किसान मोर्चा सांचौर के जिला अध्यक्ष ईशराराम विश्नोई ने कहा कि सभी प्रकार के मानदंड पूर्ण करने पर ही गहलोत सरकार ने सांचौर को जिला बनाकर क्षेत्र के निवासियों को बहुत ही अच्छी सौगात दी थी। लेकिन वर्तमान सरकार ने राजनीतिक द्वेषता रखकर सांचौर जिले को निरस्त कर सांचौर वासियों के साथ घोर अन्याय किया है। उन्होने कहा कि “सांचौर जिला बचाओ संघर्ष समिति” के आव्हान पर कल दिए जाने वाले महापड़ाव का संयुक्त किसान मोर्चा पुरजोर समर्थन करता है । साथ ही उन्होने महापड़ाव के संघर्ष में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने के लिए किसानों से अनुरोध किया है ।

जिला मुख्यालय पर पैरवी से किसानों को मिला बीमा क्लेम

संयुक्त किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष विरदसिंह चौहान ने बताया कि लगभग डेढ़ साल पहले जिले की स्थापना के पश्चात संयुक्त किसान मोर्चा सांचौर ने किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय पर धरना प्रदर्शन और रैलियां की, जिससे किसानों को उनका हक मिला । संयुक्त किसान मोर्चा ने संघर्ष करते हुए बजाज कंपनी के 2022 के दौरान बकाया बीमा क्लेम के लगभग 40 करोड़ रुपयों का भुगतान सांचौर जिला कलेक्टर शक्ति सिंह राठौड़ के सकारात्मक सहयोग से किसानों मिल पाया था ।

वर्तमान की रिलायंस कंपनी के विगत तीन सीजन के बकाया बीमा को लेकर रिलायंस कंपनी द्वारा किए जा रहे घोटालों को उजागर कर कटघरे में खड़ा करने का काम संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किया गया । वही पूर्व बीईईओ एवं संयुक्त किसान मोर्चा के सीनियर सदस्य राणाराम साहू ने कहा कि सांचौर जिला मुख्यालय होने के कारण ही सब कुछ संभव हो पाया है। इसके अलावा केसर सिंह सरवाना, पीराराम पुरोहित पालड़ी और सेसावा सरपंच विजयपाल सिंह ने भी इसे सरकार की द्वेषतापूर्ण निर्णय बताकर कड़े शब्दों में घोर निन्दा की है।

किसानों ने कहा- सरकार बदला ले रही

नहरी क्षेत्र के किसानों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा जनहित की नहीं है। हम इस फैसले के खिलाफ जन आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि सांचौर विधानसभा और रानीवाड़ा विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी को नहीं मिली इसका बदला उन्होंने लिया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सुखराम विश्नोई के लंबे संघर्ष के बाद सांचौर को जिला बनाया गया था। पिछली सरकार में सांचौर के जिला बनने के बाद लोगों को काफी राहत मिली थी। अब लोगों को परेशान होगी।

200 गांवों की दूरी 240 किलोमीटर जिला मुख्यालय से

जालोर जिले में एक गांव आकोड़िया ऐसा हैं, जिसकी जिला मुख्यालय से 239 किलोमीटर दूरी हैं, यह चितलवाना उपखंड के अंतर्गत आता हैं, यह एकमात्र ऐसा गांव नहीं हैं, बल्कि इस उपखंड के करीब 200 से ज्यादा गांव हैं, जो जालोर जिला मुख्यालय से 200 किमी दूर हैं, वही सांचौर जिले नाम से पता परिवर्तन करने वाले लोगो को फिर से अपना पता बदलवाना होगा । वही सरकार द्वारा सांचौर को 50 लाख रुपए का बजट दिया गया था, कलेक्ट्रेट के लिए जमीन देखी गई थी ।

जालोर फिर बना 835 गांवों वाला जिला

सांचौर को जिला बनाने के बाद जालोर में सिर्फ 376 गांव ही रह गए थे, जबकि सांचौर जिले में 459 राजस्व गांव शामिल कर 4 उपखंड बनाए गए थे । जिससे जालोर में 5 उपखंड (जालोर, आहोर, सायला, भीनमाल व जसवंतपुरा) व 6 तहसील (भाद्राजून, आहोर, जालोर, सायला, जसंतवपुरा, भीनमाल) ही बची थी । लेकिन अब जालोर फिर से 835 गांव और 9 उपखंड वाला जिला बन गया है।

‘पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने सियासी फायदे के लिए आनन-फानन में कई जिले घोषित कर दिए थे। भौगोलिक परिस्थितियों व जनभावनाओं को दरकिनार कर सांचौर जिले से दर्जा छिन लिया गया हैं, सांचौर जिले के समाप्त होने से सांचौर-चितलवाना अब पहले की तरह जालोर जिले में ही आ जाएंगे। जबकि बागोड़ा एवं रानीवाड़ा के लोग तो यही चाह रहे थे।
-नहरी क्षेत्र का एक किसान

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