नाबार्ड डीएमडी के समक्ष अप्रैल माह में अल्पकालीन फसली ऋण पॉलिसी जारी करने की रखी मांग

सार 

Jaipur : सहकार नेता आमेरा ने नाबार्ड डीएमडी रावत को 11 सूत्री मांगों के समाधान के संबंध में ज्ञापन सौंपकर अपेक्स से लेकर पैक्स तक के सभी मुद्दो से कराया अवगत, रावत ने नाबार्ड स्तर के मुद्दो पर सकारात्मक कार्यवाही का दिया विश्वास

नाबार्ड डीएमडी से मुलाकात के दौरान पुष्पगुच्छ भेंट करते सहकार नेता आमेरा तथा उनके साथ में नाबार्ड जयपुर सीजीएम डॉ. राजीव सिवाच और दिलीसिंह जादोन (Mkm News Jaipur)

विस्तार 

जयपुर । डिजिटल डेस्क | 22 जून | अल्पकालीन फसली ऋण की पॉलिसी अप्रैल माह में ही जारी करने के अलावा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (Nabard) की ओर से केंद्रीय सहकारी बैकों (CCB) में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के “फिट एंड प्रॉपर क्राइटेरिया” के तहत दक्षता वाले प्रबंध निदेशक लगाने के लिए बकायदा जारी परिपत्र की प्रभावी पालना सुनिश्चित करवाने की मांग के साथ प्रदेश में सहकारी साख व्यवस्था में सुधार के लिए सहकार नेता सूरजभानसिंह आमेरा ने राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (Nabard) के उप प्रबंध निदेशक (Deputy Managing Director)  यानि डीएमडी गोवर्धनसिंह रावत के जयपुर दौरे के दौरान मुलाकात कर ज्ञापन प्रस्तुत किया, जिसके मुताबिक राज्य में द्वि-स्तरीय (Two-Tier) सहकारी बैकिंग व्यवस्था लागू कर “एक राज्य-एक सहकारी बैंक” बनाने, पैक्स कम्प्यूटरीकरण के लिए रिक्त पदों पर भर्ती करने, पैक्स कर्मियों का कैडर बनाने तथा सहकारी बैंको में डिजिटलाइजेशन कर आधुनिक बैंकिंग सुविधाओं के लिए आर्थिक मदद करने तथा राज्य सरकार में ऋण माफी के बकाया ब्याज राशि भुगतान का शत-प्रतिशत प्रावधान में शिथिलता देकर सीआरएआर (CRAR) 4 प्रतिशत तक पुनर्वित्त के लिए मान्य करने सहित अनेक मुद्दो से नाबार्ड डीएमडी को अवगत कराया । जिस पर डीएमडी ने यूनियन की चिंता से सहमति व्यक्त करते हुए नेतृत्व के विचारों को सराहा, साथ ही, नाबार्ड स्तर से सम्बंधित मुद्दों पर सकारात्मक कार्यवाही का विश्वास दिया हैं ।

पैक्स एवं सीसीबी के विभाजन पर हो पुनर्विचार

प्रदेश में सहकारी आंदोलन की सबसे छोटी एवं मजबूत इकाई पैक्स की आर्थिक सुदृक्षता, सक्षमता और लाभ देयता को प्राथमिकता प्रदान की जा रही हैं । वही दूसरी ओर वर्तमान परिदृष्य में संचालित पैक्स के अलावा सीसीबी का विभाजन कर नई पैक्स और नई सीसीबी गठन करने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से सहकारी आंदोलन को जर्जर करने की आपाधापी योजना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए सहकार नेता आमेरा ने नाबार्ड डीएमडी के समक्ष इस मुद्दे पर “सहकार दृष्टिकोण” से पुनर्विचार करने की मांग उठाई हैं । साथ ही, सहकारी बैंकों के लिए स्वीकृत अधिकतम ऋण सीमा में वाणिज्यिक बैंकों के समान बढ़ोतरी करने, सेवा सुरक्षा एवं कल्याण की मानव संसाधन नीति लागू करने, ब्याज दर पर 50 प्रतिशत पर्याप्त ऋण पुनर्वितरण करने, अन्य बैंकों की जमाओं को एनडीटीएल में शामिल नहीं करने व संस्था को देय ब्याज अनुदान 1.50 प्रतिशत की जगह 3 प्रतिशत करने की भी मांग उठाई हैं ।

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