हाइलाइट्स
जिला स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी से चयनित कार्मिको को नेहरा ने दी बधाई
अल्पकालीन फसली ऋण व्यवसाय में 25 प्रतिशत बढ़ोतरी की उठाई मांग
बाड़मेर । डिजिटल डेस्क | 4 अक्टूबर | जिले में संचालित ग्राम सेवा सहकारी समितियां में कार्यरत व्यवस्थापक एवं सहायक व्यवस्थापकों की जिला स्तरीय मीटिंग बीसीसीबी शाखा परिसर में यूनियन जिला अध्यक्ष रायमलराम नेहरा की अध्यक्षता में आयोजित की गई । जिसमें जिलेभर के उपस्थित पैक्स कर्मियों ने लंबित मांगो पर विचार-विमर्श करने के पश्चात जिला स्तरीय समस्याओं के निराकरण को लेकर दी बाड़मेर सैण्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक को पत्र सौंपा ।
जिसके मुताबिक, जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में वितरित ऋण अनुपात से अधिक वसूल की गई हिस्सा राशि समायोजित करने, फसल बीमा सर्विस चार्जेज का बकाया भुगतान जमा करने के साथ-साथ बीमा कंपनी द्वारा बैंक को लौटाए गए एक्सचेंज प्रीमियम को संबंधित सहकारी समितियों के खातों में जमा करने तथा जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में स्क्रीनिंग से वंचित कर्मचारियों का स्क्रीनिंग के मार्फत नियमितिकरण करने की मांग पत्र के माध्यम से दौहराई गई । वही, सहकारी समितियों के जरिए वितरित होने वाले अल्पकालीन फसली ऋण में 25 फीसदी बढ़ोतरी करने और सहकार जीवन सुरक्षा बीमा योजना में क्लेमों का निस्तारण करवाने की मांग की गई है।
इसके साथ ही, सीसीबी की चौहटन शाखा में मूल ऋण और ब्याज ऋण का एक ही खाता संधारित होने की स्थिती में दोनो को अलग-अलग करने की भी मांग पत्र के माध्यम से की गई है। इस दौरान यूनियन महासचिव भंवराराम चौधरी, उपाध्यक्ष भेराराम विश्नोई एवं व्यवस्थापक डूगर बाना, हनुमानाराम चौधरी, अशोक कुमार चौधरी, भगवानाराम चौधरी, भागीरथ विश्नोई, हेमसिंह राठौड़, श्रवणसिंह राठौड़, हनुमानाराम चौधरी, चेनाराम चौधरी, किशनसिंह, तनेराजसिंह, पाबुदानसिंह, मादुदास, जेठाराम भादु, केसाराम चौधरी, मुलाराम चौधरी, मांगीलाल पुनिया, भेरसिंह बेरड़, दीपाराम, कमलेश कुमार प्रजापत, गोकलाराम, लाखाराम, कानाराम सहित जिलेभर के पैक्स कार्मिक मौजूद रहें ।
नेहरा ने ऋण व्यवसाय के मुद्दे व्यक्त किए विचार
मीटिंग के दौरान यूनियन जिला अध्यक्ष श्री नेहरा ने सर्वप्रथम जिला स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से चयन होने वाले पैक्स कर्मियों को बधाई दी । उसके बाद श्री नेहरा ने अपने संबोधन में कहा कि पैक्स के ऋण व्यवसाय में बढ़ोतरी के बजाए कटौती के चलते ऋण व्यवसाय के मार्फत पैक्स को मिलने वाले मार्जिन में भी कमी आई है, आज जिले की कई सहकारी समितियां में हालात यह बने हुए हैं कि संचालन एवं संस्थापन व्यय तक के लिए पैक्स के पास बजट का कोई प्रावधान नहीं है।