सार
Rajasthan : एफआईजी पोर्टल का संचालन करने वाली सहकारी संस्थाओं ने किसानों को ब्याज मुक्त फसली सहकारी ऋण योजना (ST Loan) से दूर करने में निभाई भूमिका, जिससे ब्याज मुक्त योजना में बढ़ा अवधिपार ऋण का ग्राफ़

विस्तार
राजस्थान । डिजिटल डेस्क | 22 नवम्बर | प्रदेश में अल्पकालीन फसली ऋण (ST Loan) व्यवस्था के लिए सहकारिता विभाग अफसरों की वर्ष 2019 में एफआईजी पोर्टल को लेकर हुई कारगुजारियों से किसान परेशान हो चुके है । एफआईजी पोर्टल के ट्रेड ने ग्राम सेवा सहकारी समितियों (Pacs-Lamps) के साथ किसानों को आर्थिक क्षति पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, इस एफआईजी के डिजिटलीकरण की दौड़ ने पूरी अल्पकालीन फसली ऋण व्यवस्था के सिस्टम को ही बेहाल कर दिया है । कभी पोर्टल चलाने के लिए एडवांस राशि सोसायटी से लेने, कभी पोर्टल की डीएमआर दूसरी सोसायटी में जनरेट होने, कभी 30 हजार के ऋण पर लाखों की राशि बीमा प्रीमियम के नामे कटने और पोर्टल नहीं चलने की समस्या आए दिन की बात हो चुकी है। दरअसल, राजस्थान में पिछले सात साल से अल्पकालीन फसली ऋण को लेकर प्रत्येक जिले से नई-नई समस्याएं एफआईजी पोर्टल की वजह से लगातार सामने आ रही हैं। पिछले तीन साल से डीएमआर जनरेट होने में तकनीकी खामी आने से सोसायटी को ब्याज भुगतना पड़ रहा है, इसको लेकर व्यवस्थापक और किसान परेशान हैं। इन सब दिक्कतों के चलते जब महकमें और अपेक्स बैंक को चिट्ठी लिखते हैं, तो उनका जवाब देने के बजाय अपेक्स बैंक के अफसर इन शिकायती चिट्ठियों को ही दबा लेते हैं। हालात ये है कि प्रदेश में हर रोज सैंकड़ों किसान सहकारी समितियों में सिर्फ इसीलिए चक्कर लगाते हैं कि गलत कटी हुई राशि की समस्या दूर हो सके और उन्हें इस ब्याज मुक्त योजना के नाम पर सालों-साल साहुकारी ब्याज नहीं भुगतना पड़े ।
केस-1. डीएमआर या एफआईजी की खामी…
जालोर जिले की उम्मेदाबाद ग्राम सेवा सहकारी समिति में 22 दिसंबर 2022 को भबुताराम की वसूली के लिए डीएमआर जनेटर की गई । जिसकी राशि चितलवाना शाखा में किसी अन्य किसान के खाते में जमा हो जाती है । इसी तरह लच्छाराम की भी वसूली आहोर शाखा में दूसरे खाते में जमा हो जाती है । इस राशि पर सहकारी समिति और किसान को आज दिन तक ब्याज भुगतना पड़ रहा है । यह स्थिती केवल इस एक सहकारी समिति की नहीं है । बल्कि ऐसी ही तकनीकी खामी ने चौराऊ ग्राम सेवा सहकारी समिति के छह किसानों की राशि छह अलग-अलग सहकारी समितियों को बांट दी है । अब वह राशि एफआईजी पोर्टल की पाहन में दुबक गई है ।
केस-2. आस की टोकरी लिए बैठा किसान
एफआईजी पोर्टल को लेकर जालोर जिले से दूसरा प्रकरण चौंकाने वाला सामने आया है । यहां सरकार की ढिंढोरा पीट ब्याज मुक्त योजना का लाभ लेने के लिए एक किसान, जिसकी बीएल संख्या..03282442 हैं, ने आवेदन किया । उसको वर्ष 2019 में ग्राम सेवा सहकारी समिति द्वारा 30 हजार का ऋण स्वीकृत किया जाता है । जबकि इस ऋण के साथ-साथ फसल बीमा प्रीमियम के नाम पर इतनी राशि थोप दी कि आज भी यह किसान सोसायटी का नाम लेने पर, जैसे बैल लाल कपड़े को देखकर भड़कता हैं, उसी प्रकार किसान भी भड़क उठता है । लेकिन इसी राशि को लेकर आज भी विभाग की ओर आस की टोकरी लिए बैठा है । लेकिन सुनने वाले तो समीक्षा बैठकों में ही व्यस्त है ।
केस-3 यहां नियम-कायदे रहते कोसों दूर
‘ब्याज मुक्त योजना’ भी निर्धारित समय के लिए ही ‘ब्याज’ मुक्त रहता है । वह समय खत्म होने के बाद इस योजना पर भी ब्याज लगाना शुरू हो जाता है । अगर ऋण राशि अवधिपार होती है, तो सीसीबी अपने ही नियम-कायदे तैयार कर लेती है और अवधिपार ऋण के नाम पर कई 7 प्रतिशत तो कई 10 प्रतिशत राशि चक्रवर्ती ब्याज की दर से वसूली की जाती है । जबकि नियम अधिकतम 10 प्रतिशत राशि सीसीबी और सोसायटी दोनो के स्तर से वसूले जाने का है । अब सीसीबी 10 प्रतिशत वसूलती हैं, तो सोसायटी के हाथ में केवल सरकार की योजनाओं का बैनर ही बच पाता है ।
समीक्षा की चकाचौंध जयपुर तक सीमित
इन दिनों जिस प्रमुख शासन सचिव के कड़कपन का गुणगान सहकारिता के गलियारों में हो रहा है । वह भी केवल सहकारिता विभाग के सचिवालय स्थित कमरों और नेहरू सहकार भवन तक ही सिमट गया है । क्योकि तकनीकीकरण को लेकर सहकारिता मंत्री एवं सहकारिता विभाग प्रमुख शासन सचिव नित्य समीक्षा बैठक कर अपनी ही पीठ थपथपाने में व्यस्त है । जबकि धरातल पर एफआईजी पोर्टल ने किसानों को ब्याज मुक्त योजना से दूर करने का कार्य बखूबी निभाया है । तभी तो फसली ऋण को नया-पुराना कराने के चक्कर में अवधिपारों की संख्या का ग्राफ, भारतीय निवेश बाजार के ग्राफ से भी दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है ।


