”आरोपों के घेरे में फंसी सहकारी गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना” अब धारा 55 में जांच की उठी मांग

सार 

Barmer : राजस्थान सहकारी गोपाल क्रेडिट कार्ड (GCC) योजना में बाड़मेर केंद्रीय सहकारी बैंक (CCB) द्वारा अत्याधिक अवधिपार ऋण बकाया वाली ग्राम सेवा सहकारी समितियों (Pacs) में ऋण बांटने के आरोप….ऋण योजनाओं में गड़बड़ियों की जांच राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 55 के तहत करवाने की मांग

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विस्तार 

बाड़मेर । डिजिटल डेस्क | 16 नवम्बर | देश और प्रदेश में सहकारिता की भावना जन-जन तक पहुंचाने के लिए केंद्रीय सहकारिता मंत्री और सहकारिता मंत्रालय सहित राज्य का सहकारिता विभाग निरंतर सहकार से समृद्धि एवं सहकारिता में सहकार का यशोगान कर रहा है । लेकिन जब तक इस सहकारिता विभाग की ही संस्थाएं अपनी योजनाओं की क्रियान्वयन में कारगर नीति नहीं ला पाती है । तब तक ‘सहकार से समृद्धि’ का विजन केवल यशोगान ही बनकर रह जाएगा । चूंकि विभाग की पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण की नीति में स्पष्ट जवाबदेही तय नहीं होने के चलते सहकारी गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना अब आरोपों के घेरो में फंस गई है । एक ऐसा आरोप बाड़मेर केंद्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन पर इस योजना को लेकर लगा है । जिसमें सीसीबी प्रबंधन द्वारा गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना में अनियमित ऋण वितरण करने तथा  कार्मिक पदोन्नति के अलावा पूर्व समय में पैक्स डेवलपमेंट फंड, वेतनवृद्धियां, सहकारी समितियों पर एरियर ब्याज लगाने, गैर-जरूरी सामान की खरीद में नियम प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने, मरम्मत एवं भवन रखरखाव के बजट में टालमटोल करने, कृषक मित्र योजना के साथ-साथ विभिन्न ऋण योजनाओं में गड़बड़ी करने के छींटे उछल रहे है । इसको लेकर एक शिकायती पत्र बैंक प्रशासक तक पहुंचा था। लेकिन कार्यवाही नहीं होने के चलते अब वही पत्र सहकारी साख आंदोलन से जुड़े सूत्रों की ओर से उच्च स्तर पर भेजा गया है । जिसमें बाड़मेर सीसीबी में ऋण योजनाओं में गड़बड़ियों की जांच राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 55 के तहत करवाने की मांग उठाई गई है ।

गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना के ऋण वितरण में यह आरोप

राज्य सरकार से प्रायोजित केंद्रीय सहकारी बैंक (CCB) बाड़मेर की वर्तमान में बालोतरा एवं बाड़मेर जिले में 20 शाखाएं (Branch) संचालित है । साथ ही, इसके अधीन करीब साढ़े चार सौ ग्राम सेवा सहकारी समितियां (Pacs) भी कार्यशील हैं । जिनके माध्यम से ही सरकार की ऋण योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है । हालांकि राजस्थान सरकार की गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना (GCC) में अत्याधिक अवधिपार ऋण बकाया वाली ग्राम सेवा सहकारी समितियों में ऋण वितरण करने के आरोप लगे है । साथ ही, लगभग सौ करोड़ के ऋण वितरण में भारी धांधली के भी आरोप लगाए गए है ।

नहीं होता हैं बैंकों का औचक निरीक्षण

बाड़मेर केंद्रीय सहकारी बैंक की 64वीं वार्षिक आमसभा 29 सितंबर 2025 को आयोजित की गई । जिसमें गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना में अनियमितिता की जांच के लिए ग्राम सेवा सहकारी समितियों के अध्यक्षों द्वारा बैंक प्रशासक एवं जिला कलक्टर के समक्ष प्रस्ताव रखा गया और बैंक प्रशासक ने जांच करवाने का आश्वासन दिया। लेकिन जांच अभी तक शुरू नहीं हो पाई । जिससे आहत होकर जिले के सूत्रों ने सीसीबी बाड़मेर की ही जांच सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा-55 के तहत करवाने की दौड़- धूप शुरू की हैं, सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2014 से केंद्रीय सहकारी बैंक (CCB) में चुनाव नहीं होने से अध्यक्ष की कुर्सी पर बैंक प्रशासक के तौर पर जिला कलेक्टर लगे हुए हैं, जबकि किसी भी बैंक प्रशासक द्वारा इस बैंक का कभी औचक निरीक्षण तक नहीं किया है। यह स्थिती केवल बाड़मेर सीसीबी की नहीं है। बल्कि जोधपुर खंड की प्रत्येक सीसीबी की हैं । जहां औचक निरीक्षण नहीं होने के चलते समय-समय पर बैंकों में गड़बड़ी की जानकारियां सामने आती रहती है ।

सीसीबी को दो बार मिल चुका पुरस्कार

राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम कार्य निष्पादन पुरष्कार के लिए वर्ष 1996- 97 एवं वर्ष 2000-01 में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (Nabard) द्वारा केंद्रीय सहकारी बैंक (CCB) बाड़मेर को सम्मानित किया हुआ हैं । साथ ही, राज्य सरकार की कृषक ऋण माफी योजना के तहत सर्वाधिक किसानों का कर्जा माफ भी इस सीसीबी के कार्यक्षेत्र हुआ था । यहां करीबन 1 हजार करोड़ से अधिक की कर्ज माफी दो सालों में हुई । लेकिन नाबार्ड एवं आरबीआई के फिट एंड प्रॉपर क्राइटेरिया को दरकिनार कर प्रबंध निदेशक पद पर गत सालों में हुई अपात्र अधिकारियों की नियुक्ति के अलावा पिछले 11 सालों से केंद्रीय सहकारी बैंक बाड़मेर में संचालक बोर्ड सदस्यों का चुनाव नहीं होना भी अनियमितताओं का बड़ा कारण बताया जा रहा है ।

यह हैं राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 55

राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 55 के तहत रजिस्ट्रार के पास किसी सहकारी संस्था की जांच करवाने की शक्तियां प्राप्त हैं। इसके तहत रजिस्ट्रार संस्था के कुल सदस्यों में से 10 फीसदी सदस्यों के आवेदन पर या स्वप्रेरणा से स्वयं अथवा अपने लिखित आदेश से प्राधिकृत किसी व्यक्ति के जरिए, किसी सहकारी संस्था के गठन, अवधि विशेष में किए गए कारोबार या वित्तीय स्थिति के बारे में जांच करवा सकते हैं। धारा 55 के तहत जांच अधिकारी को संस्था की लेखा पुस्तकों, दस्तावेज, प्रतिभूतियों, नकदी अन्य सम्पत्तियों की जांच का अधिकार है।

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