प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए फसल क्षति आकलन प्रणाली

सार

New Delhi : खरीफ 2023 से येस-टैक (प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली) शुरू की गई है। वर्तमान में इसे 10 राज्यों में कार्यान्वित किया गया है। खरीफ 2023 में लागू होने वाले सभी 7 राज्यों में क्लेम भुगतान येसटैक के आधार पर किया गया है।

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विस्तार

नई दिल्ली । 17 दिसम्बर | प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में फसल क्षेत्र अनुमान और उपज से जुड़े विवादों जैसे विभिन्न प्रयोगों के लिए उपग्रह इमेजरी, ड्रोन, मानव रहित हवाई वाहन (UAV) और रिमोट सेंसिंग सहित उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग की परिकल्पना की गई है। इसके अलावा इसमें फसल कटाई प्रयोग (CCE) नियोजन, उपज अनुमान, हानि मूल्यांकन, रोकी गई बुवाई के आकलन और जिलों की क्लस्टरिंग के लिए रिमोट सेंसिंग और अन्य संबंधित प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना भी शामिल है। यह नुकसान के आकलन और दावों के समय पर भुगतान में अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और सटीकता को सक्षम बनाता है।  इसके साथ ही सरकार ने योजना को मजबूती से लागू करने के लिए, योजना के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने, सीसीई-एग्री ऐप के ज़रिए उपज डेटा/फसल कटाई प्रयोगों (CCE) डेटा को सीधे एनसीआईपी पर अपलोड करने के लिए, बीमा कंपनियों को सीसीई के संचालन को देखने की अनुमति देने, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) आदि के साथ राज्य भूमि अभिलेखों के एकीकरण के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।  यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में लिखित उत्तर में दी। इसके अलावा, समय पर और पारदर्शी नुकसान के आकलन के साथ-साथ, स्वीकार्य दावों के समय पर निपटान के लिए, हितधारकों के साथ चर्चा और तकनीकी परामर्श के बाद खरीफ 2023 से येस-टैक (प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली) शुरू की गई है। वर्तमान में इसे 10 राज्यों में कार्यान्वित किया गया है। खरीफ 2023 में लागू होने वाले सभी 7 राज्यों में क्लेम भुगतान येसटैक के आधार पर किया गया है।

वस्तुनिष्ठ और पारदर्शी बनाने का प्रस्ताव

येसटैक कार्यान्वयन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश येसटैक मैनुअल, 2023 में निर्धारित किए गए हैं। पूरी प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित, समय पर, वस्तुनिष्ठ और पारदर्शी बनाने का प्रस्ताव किया गया है। राज्य द्वारा चयनित प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन भागीदार (टीआईपी), एजेंसी चयनित उपज मॉडल को मेंटर इंस्टीट्यूट फॉर टेक्नोलॉजी रोल-आउट (एमआईटीआर) नामक विशेषज्ञ एजेंसी के मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण के तहत कार्यान्वित करेगी, जिसे भारत सरकार द्वारा नामित किया गया है। टीआईपी के चयन के लिए दिशानिर्देश येसटेक मैनुअल में दिए गए हैं। इसी तरह, एमआईटीआर एजेंसियों की सूची जो इसरो, आईसीएआर आदि जैसी सरकारी संस्थाएं हैं, ने भी प्रदान की है। यस-टैक के कार्यान्वयन के लिए राज्यों हेतु वित्तीय सहायता का भी उल्लेख किया गया है।

भुगतान के लिए एक प्रणाली विकसित

येसटेक मैनुअल में राज्यों, बीमा कंपनियों, TIP और MITR एजेंसियों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी दी गई है। कार्यान्वयन में अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए, मौसम और मौसम के अंत के दौरान कार्य प्रगति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है। कार्य प्रगति से जुड़े TIP को भुगतान के लिए एक प्रणाली विकसित की गई है। समय-सीमा और शिकायत निवारण और विवाद समाधान ढांचे के उल्लंघन के लिए दंड प्रणाली का भी ज़िक्र किया गया है। भारत सरकार (GOI) के पास, येसटैक मैनुअल के किसी भी प्रावधान को स्पष्ट करने, संशोधित करने, वापस लेने या समीक्षा करने का अधिकार है। कुल मिलाकर, यह उपज मूल्यांकन और परिणाम के स्वरूप दावा भुगतान में पारदर्शिता/जवाबदेही और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए एक ऐसा तंत्र है, जिसमें हितों का टकराव नहीं है।

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