सार
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि पैक्स और जिला सहकारी बैंकों द्वारा दिए जा रहे शॉर्ट-टर्म एग्रीकल्चर लोन ने देशभर के कृषि क्षेत्र में प्राण फूँकने का काम किया, अब जल्द ही पैक्स के माध्यम से लॉन्गटर्म एग्रीकल्चर फाइनेंस किया जाएगा शुरु
विस्तार
नई दिल्ली । डिजिटल डेस्क | 27 नवम्बर | नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ (NAFSCOB) के हीरक जयंती समारोह एवं ग्रामीण सहकारी बैंकों की राष्ट्रीय बैठक में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने भाग लिया। उन्होने अपने संबोधन में कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), ज़िला और राज्य सहकारी बैंक के त्रिस्तरीय ढांचे के बिना भारत की खेती, किसानों और गांवों द्वारा आज़ादी के 75 साल की यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करना असंभव था। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में लगभग 13 करोड़ किसानों को बिना किसी तकलीफ के लघु अवधि का कृषि ऋण मिलने की व्यवस्था ने पूरे देश के किसानों और कृषि क्षेत्र में नई जान डालने का काम किया है। उन्होंने कहा कि 2027 में भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी, जो सहकारिता क्षेत्र का भी एक लक्ष्य है। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री श्री कृष्णपाल और श्री मुरलीधर मोहोल, और सचिव, सहकारिता मंत्रालय सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सहकारिता क्षेत्र में 2 बाधाएं
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में 2 बाधाएं हैं – सीमलैस कानूनी ढांचे के तहत समानता का व्यवहार न मिलना और पिछले 75 साल में आई बुराइयों को ढूंढकर उन्हें दूर करना। उन्होंने कहा कि अगर हम इन दोनों बाधाओं को दूर कर लेते हैं तो अगले 5 साल सहकारिता क्षेत्र के लिए defining moment साबित होंगे। उन्होंने कहा कि भारत के सहकारिता क्षेत्र में विश्वभर की सहकारिता क्षेत्र का मार्गदर्शन करने की क्षमता है।
पैक्स की परंपरागत कार्यशैली में करना होगा बदलाव
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब तक पैक्स तकनीक से लैस नहीं होते, इनके एडमिनिस्ट्रेशन में पारदर्शिता नहीं आती और इनकी वायबिलिटी में कोई तकलीफ है, तब तक ज़िला और राज्य बैंक स्वस्थ नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि इनकी बेहतरी पैक्स को स्वस्थ रहने से ही संभव है। उन्होंने कहा कि हमें पैक्स के अब तक की परंपरागत कार्यशैली में बदलाव करना होगा, हमें नये युवाओं को न केवल कोऑपरेटिव्स में बल्कि पैक्स के कामकाज के साथ जोड़ने के लिए स्पेस भी देना होगा। उन्होंने कहा कि आज NAFSCOB में 34 स्टेट कोऑपरेटिव बैंक,352 ज़िला स्तरीय सहकारी बैंक और 105000 पैक्स हैं, जिनमें फिलहाल लगभग 65000 कार्यरत हैं, इस पूरे तंत्र को एक होकर काम करना चाहिए।
पैक्स के माध्यम से लॉन्ग टर्म फाइनेंस की संभावना खोज
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि जबतक हम पैक्स को मजबूत नहीं करते तब तक ज़िला सहकारी बैंक के कोईमायने ही नहीं हैऔर पैक्स को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार ने कई शुरुआत की हैं। उन्होंने कहा कि अब पैक्स प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र, डेयरी एवं मछुआरा समिति भी चला सकते हैं और लगभग 744 पैक्स को ड्रग लाइसेंस भी मिल गए हैं। इसके साथ ही पैक्स को फर्टिलाइजर का लाइसेंस भी मिला है और लगभग 39,000 पैक्स आजकॉमन सर्विस सेंटर बन चुके हैं और गांवों में 300 से ज्यादा सेवाएं देने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगले 5 साल में देश के 80% जिलों में ज़िला सहकारी बैंक खोले जाएंगे जिससे कोऑपरेटिव सेक्टर को मजबूती मिलेगी। श्री अमित शाह ने कहा कि NAFSCOB की भूमिका पैक्स को वायबल करना, पारदर्शी और आधुनिक बनाना और इनके कंप्यूटराइजेशन को पूर्ण रूप से हासिल करने की होनी चाहिए। श्री शाह ने कहा कि सरकार, पैक्स के माध्यम से लॉन्ग टर्म फाइनेंस की संभावना भी खोज रही है, जिससे पैक्स के बिजनेस में भी बढ़ोतरी होगी।