दिवाली पर आर्थिक संकट.. पैक्स कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन, अटका करोड़ो का ब्याज अनुदान

सार

Jalore : जालोर, बाड़मेर, बालोतरा एवं सांचौर जिले में सहकारी समितियों के सैकड़ों कर्मचारियों का वेतन रुकने से परिवार के सामने अब आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, सरकार एवं सीसीबी ने अटकाया पैक्स के करोड़ों रुपए की दो प्रतिशत ब्याज अनुदान राशि

विस्तार

जालोर । डिजिटल डेस्क | 24 अक्टूबर | अल्पकालीन फसली ऋणों की वसूली के पेटे ग्राम सेवा सहकारी समितियों में देय 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान की राशि पिछले दो सालों से नहीं मिलने की वजह से जालोर, बाड़मेर, सांचौर एवं बालोतरा जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियों के सैकड़ों कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला हैं, वेतन नहीं मिलने की वजह से कर्मचारी आर्थिक संकट में फंसते जा रहें हैं, पिछले दो सालों से बकाया ब्याज अनुदान की राशि सहकारिता विभाग एवं सरकार के बीच आपसी खींचतान की वजह से अटक कर रह गई है। ब्याज अनुदान की राशि जारी नहीं होने की वजह से सहकारी समितियों में पिछले काफी समय से कार्यरत कार्मिकों को माह वार वेतन भुगतान जारी नहीं हो पाया हैं, बकाया ब्याज अनुदान की राशि आंवटन के मामले में विभागीय अधिकारी टालमटोल जवाब देकर विभाग एवं सरकार की छवि बचाने में प्रयासरत हैं ।

इन चार जिलों में 600 सहकारी समितियां

इन चार जिलों के 2 केंद्रीय सहकारी बैंक के मातहत 600 ग्राम सेवा सहकारी समितियां का संचालन किया जा रहा हैं, इन समितियों में 3 कर्मचारी अलग-अलग वेतन पर काम कर रहे हैं, जिसमें मुख्य कार्यकारी व्यवस्थापक, सहायक व्यवस्थापक एवं सैल्समैन, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी शामिल हैं। इन जिले की समितियों को प्रत्येक माह औसतन लाखों रुपए का व्यय कर्मचारियों के वेतन पर खर्च करना पड़ रहा है। इसके अलावा भी अन्य व्यय का भार समितियों पर है। वेतन देने व अन्य खर्चों के लिए 600 सहकारी समितियां पूरी तरह से फसली ऋण व्यवसाय की एवज में मिलने वाले दो प्रतिशत ब्याज अनुदान पर निर्भर हैं, जिले में वितरित फसली ऋणों की वसूली का कार्य संपन्न कर ब्याज अनुदान के दावें विभागीय स्तर पर भेजने के बावजुद ब्याज अनुदान की राशि का आंवटन नहीं हो पाया हैं,

खाद, बीज व ब्याज अनुदान पर टीका समितियों का संचालन

सूत्रों के अनुसार बाड़मेर सीसीबी और जालोर सीसीबी के कार्यक्षेत्र में संचालित 600 ग्राम सेवा सहकारी समितियां का संचालन किया जा रहा हैं, बाड़मेर जिले की सर्वाधिक ग्राम सेवा सहकारी समितियों के पास फसली ऋण व्यवसाय से मिलने वाली ब्याज अनुदान राशि ही आय का स्रोत हैं, जबकि जालोर में ब्याज अनुदान के साथ-साथ उर्वरक बिक्री से भी आय प्राप्त की जा रही हैं, परंतु सीजनली समय में खाद की आपूर्ति भी ठप होने से ब्याज अनुदान ही एकमात्र आय का स्रोत रह जाता हैं। बता दें कि 1 अप्रैल 2023 से जून 2023 तक का भी जालोर जिले में 5 करोड़ का ब्याज अनुदान अटका हुआ हैं, ब्याज अनुदान मिलने में होने वाले लेटलतीफी का असर कर्मचारियों के वेतन पर पड़ता है। अनुदान की राशि जारी नहीं होने की वजह से समितियां अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रही है।

सरकार नहीं देगी तो किसानों से किया जाएगा ब्याज वसूल

रायमलराम नेहरा

दिपावली तक बकाया ब्याज अनुदान की राशि का आंवटन नहीं होता हैं, तो रबी सीजन फसली ऋण वितरण से लेकर पैक्स कंप्यूटरीकरण योजना के कार्य का बहिष्कार किया जाएगा और बकाया ब्याज अनुदान की राशि के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय में समितियों की ओर से रिट पिटीशन दायर की जाएगी, साथ ही, सरकार स्तर से समयबद्ध ब्याज अनुदान प्राप्त नहीं होने पर सहकारिता के एक्सपर्टो से सलाह कर समिति स्तर से किसान सदस्यों से मय ब्याज राशि वसूल की जाकर आर्थिक बोझ से दबी समितियों को उभारने का प्रयास किया जाएगा,

हनुमानसिंह राजावत

-हनुमानसिंह राजावत/रायमलराम नेहरा, जिला अध्यक्ष व्यवस्थापक यूनियन जालोर/ बाड़मेर

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