सार
राज्य की केन्द्रीय सहकारी बैंक और सहकारी समितियों के मध्य बढ़ते असंतुलन को नियत्रिंत करने के लिए अगस्त माह में बनी थी कमेटी, दो बैठक आयोजित होने के बावजुद परिणाम शुन्य, वही, आज फिर होगी अपेक्स बैंक में कमेटी की बैठक
विस्तार
जयपुर । डिजिटल डेस्क | 21 फ़रवरी | प्रदेश में आखिरकार सहकारी समितियों (GSS) और केन्द्रीय सहकारी बैकों (CCB) के मध्य बढ़ते असंतुलन को लेकर कमेटी तो बन गई है, और इस कमेटी में बतौर सदस्य शामिल किए गए व्यवस्थापक यूनियन प्रतिनिधी व सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों ने कमेटी की गत बैठक में अपने उपाय एवं सुझाव दे दिए है। लेकिन कमेटी की रिपोर्ट कब जारी की जाएगी, इसका केवल अंदाजा लगाया जा सकता है। क्योकि इस कमेटी का गठन तो सात माह पहले यानि अगस्त 2023 में ही कर दिया था, जिसके बाद इस कमेटी की बकायदा दो बैठक दी राजस्थान स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक यानि अपेक्स बैंक (Apex Bank) में आयोजित हुई, जिसमें ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं केन्द्रीय सहकारी बैंक के मध्य बढ़ते असंतुलन का कारण सीसीबी की ओर से पैक्स-लैम्पस पर एरियर ब्याज लगाने का हवाला सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों द्वारा दिया गया है। गौरतलब हैं कि गत दिनों सहकारिता मंत्री की मौजूदगी में केन्द्रीय सहकारी बैंकों के चेयरमैनों की अपेक्स बैंक में बैठक आयोजित हुई, जिसके दौरान बैंक व समितियों के स्तर पर व्याप्त वृहद असंतुलन की स्थिती को दूर करने का मामला चेयरमैनों ने सहकारिता मंत्री के समक्ष रखा था ।
1804 समितियां असंतुलन में
अपेक्स बैंक से प्राप्त आंकड़ो के मुताबिक, प्रदेश में 29 केन्द्रीय सहकारी बैकों एवं 1804 ग्राम सेवा सहकारी समितियां में निरतंर असंतुलन में वृद्धि हो रही है। अंसतुलन में वृद्धि के कारण आय से अधिक व्यय एवं वित्तिय अनियमितताएं इत्यादि बताया जा रहा है। अब जिलेवार अंसतुलन की स्थिती देखी जाए तो सबसे ज्यादा भरतपुर सीसीबी अंतर्गत 267 ग्राम सेवा सहकारी समितियां, वही बाड़मेर सीसीबी अंतर्गत महज 2 सहकारी समितियां असंतुलन की स्थिती में है।
आहोर का मामला 2 बार कमेटी के समक्ष
प्रदेश के जालोर केन्द्रीय सहकारी बैंक की आहोर शाखा अंतर्गत 22 ग्राम सेवा सहकारी समितियों पर बैंक की ओर से 1 करोड़ से ज्यादा का एरियर ब्याज लगाने का मामला गठित कमेटी की बैठक में दो बार संज्ञान में लाने के पश्चात स्थिती जस की तस है। इस तरह यह राशि आने वाले समय में बढ़ती ही जाएगी, परतु जब तक सहकारी समितियां असंतुलन की ओर अग्रसर होगी, तब तक इन सहकारी समितियों से जुड़े सदस्यों को कोई लाभ ही नहीं मिल पाएगा। यह समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक की सहकारी समितिया खुद असंतुलन के बोझ से दबी रहेगी व केंद्रीय सहकारी बैंक इन संस्थाओं का संचालन सुनिश्ति करने के लिए ओवर-ड्यू झेलता रहेगा।