मूंगफली में जड़गलन के प्रबंधन की सिफारिशें

जालोर 2 अगस्त। वर्तमान में जालोर जिले में रिमझिम बारिश होने, धूप नहीं खिलने के कारण मूंगफली के बोए गए क्षेत्र में जडगलन बीमारी की शिकायत क्षेत्र से प्राप्त हुई है। इस क्रम में क्षेत्रीय कृषि पर्यवेक्षक एवं सहायक कृषि अधिकारियों द्वारा मूंगफली फसल में जडगलन बीमारी के प्रबन्धन हेतु सुझाव दिए जा रहे है। 
कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ.आर.बीसिंह ने बताया कि यह बीमारी उन खेतों में अधिक सक्रिय हुई है जहां खेत में हर वर्ष मूंगफली की फसल बोई जा रही है।  मूंगफली में जडगलन रोग के रोकथाम के लिए बुवाई से पूर्व ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई कर फसल के अवशेष को नष्ट करना चाहिए। इस कार्य में रोटावेटर का प्रयोग सर्वोत्तम रहता है। भविष्य में किसानों को फसल चक्र का प्रयोग करते हुए लगातार मूंगफली की फसल एक खेत मे नहीं लेनी चाहिए। बुवाई के 15 दिन पहले 2.5 किग्रा ट्राईकोडर्मा हरजीयेनम या ट्राईकोडर्मा विरिडी प्रति हैक्टर की दर से 100 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर छायादार स्थान में रखकर बुवाई के समय भूमि में मिला देनी चाहिए। मूंगफली के बीज को फफूंदनाशी कार्बेन्डाजिम 2-3 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित कर बोना चाहिए अथवा ट्राईकोडर्मा हरजीयेनम या ट्राईकोडर्मा विरिडी 10 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करके बोना चाहिए।
उन्होंने बताया कि जड़गलन बीमारी का बेहतर प्रबन्धन बीमारी आने से पूर्व सफलता पूर्वक किया जा सकता है। खडी फसल में जडगलन रोग के प्रबन्धन हेतु इस रोग के लक्षण दिखाई देते ही रोगी पौधों को उखाडकर नष्ट करके सर्वांगी कवकनाशी रसायन जैसे कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू पी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर घोलकर छिडकाव करें। यह छिडकाव 15 दिन बाद दोहराना चाहिए।
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