निगरानी समिति की बैठक में अधिकारियों ने दिये निर्देश

जालोर 4 अगस्त। 10000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना के अंतर्गत जिला स्तरीय निगरानी समिति (डी-एमसी) की द्वितीय बैठक जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय कुमार वासु की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
बैठक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय कुमार वासु ने प्रधान संस्था कृषि विज्ञानं केंद्र, केशवना को निर्देश दिये की कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा निर्धारित समय सीमा 31 अगस्त 2021 तक आहोर, जालोर, सायला, जसवंतपुरा, चितलवाना तथा भीनमाल ब्लॉकों मे किसान उत्पादक समूहों का सम्बंधित सहकारी अधिनियम के तहत करना सुनश्चित करें साथ ही भारत सरकार के निर्देशानुसार किसान उत्पादक कंपनी के पंजीकरण पश्चात् कम से कम 300 किसान सदस्यो को दिसम्बर माह के अंत से पहले जोड़ना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिये कि अधिक से अधिक संख्या में किसानों को एफ़पीओ से जोड़ने के लिए प्रधान संस्था कृषि विज्ञानं केंद्र, केशवना क्लस्टर क्षेत्र में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करे तथा 15 से 20 किसानों के किसान हित समूहों (एफ़आईजी) का निर्माण करें जिनसे मिलकर किसान उत्पादक समूह का गठन किया जा सके। उन्हांने बैठक मे उपस्थित समिति के सभी सदस्यों से कहा की प्रधान संस्था कृषि विज्ञानं केंद्र, केशवना को किसान उत्पादकों के निर्माण के लिए आवश्यक सहायता संबन्धित विभाग प्रदान करें।
जिला स्तरीय निगरानी समिति (डी-एमसी) के सदस्य सचिव एवं जिला अग्रणी बैंक प्रबन्धक एस. आर. माली ने सभी सदस्यों का बैठक में स्वागत करते हुये बताया की समिति की गत बैठक में जालोर जिले के आहोर, जालोर, सायला, जसवंतपुरा, चितलवाना तथा भीनमाल ब्लॉक में क्रमश; जीरा, मसाले और आयल सीड्स उत्पादों को चिन्हित कर निगरानी समिति द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया था। उन्होंने समिति के सभी सदस्यों को अवगत कराया की जालोर जिले के सायला, जसवंतपुरा, चितलवाना तथा भीनमाल ब्लॉक मे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन हेतु क्लस्टर आधारित व्यापार संगठन के रूप मे प्रधान संस्था तथा आहोर और जालोर ब्लाक में कृषि विज्ञानं केंद्र, केशवना का चयन किया गया है।
नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक ने किसान उत्पादक संगठन और 10,000 एफपीओ के गठन और संवर्धन के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना के दिशा-निर्देशों पर एक विस्तृत पॉवर प्वाइंट प्रस्तुति देते हुए बताया की किसान उत्पादन संगठन के संवर्धन के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु नए एफपीओ को वित्तीय सहायता अधिकतम रु.18 लाख/एफपीओ या वास्तविक, जो भी कम हो, गठन के वर्ष से तीन वर्षों के दौरान प्रदान किया जाएगा। भारत सरकार इस योजना के तहत किसान उत्पादक संगठन को इक्विटी ग्रांट की मैचिंग ग्रांट के रूप में अधिकतम 15.00 लाख रुपये प्रति एफपीओ तक प्रदान करेगी। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा किसान उत्पादक संगठनो को संस्थागत ऋण के प्रवाह में तेजी लाने के लिए उपयुक्त क्रेडिट गारंटी कवर प्रदान करने के लिए एक हजार करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी फंड (सीजीएफ) नाबार्ड मे स्थापित किया गया है, जिसके माध्यम से बैंको द्वारा दिये गए ऋण पर नाबार्ड क्रेडिट गारंटी कवरेज प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा किसान उत्पादक संगठन को इक्विटि ग्रांट दी जाएगी इसलिए किसान उत्पादक समूहों के गठन की प्रक्रिया के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाए की एफ़पीओ के कुल सदस्यों के 50 प्रतिशत किसान छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसान हो तथा एफ़पीओ के निदेशक मण्डल में कम से कम एक महिला किसान का भी निदेशक होना आवश्यक है। एक सदस्य एफ़पीओ की कुल इक्विटी का अधिकतम 10 प्रतिशत ही शेयर अपने पास रख सकता है।
बैठक के दौरान उप निदेशक कृषि विस्तार, अग्रणी जिला अधिकारी, उप निदेशक आत्मा, उप-रजिस्ट्रार-समितियां, डीपीएम-राजीविका, क्लस्टर आधारित व्यापार संगठन के प्रतिनिधि और वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र भी उपस्थित रहे तथा सभी ने अपने अमूल्य सुझाव साझा किए।
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