विनायका में ग्राम सेवा सहकारी समिति में गबन प्रकरण के निर्णय में देरी के लिए
जयपुर, 11 फरवरी। सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल अंजना ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि कोटा जिले के ग्राम पंचायत मुख्यालय विनायका में संचालित ग्राम सेवा सहकारी समिति में गबन प्रकरण के निर्णय में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि समिति को पुनर्जीवित किये जाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये गये हैं। श्री अंजना प्रश्नकाल में इस संबंध में विधायकों द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि 1980 के मामले को सुलझाने में 41 साल की देरी होना गंभीर है। इस मामले की पूरी जांच करवाकर देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रकरण मे कौन-कौन अधिकारी किस स्तर पर दोषी है इसकी जाँच होने के बाद ही वस्तुस्थिति की जानकारी का पता लग सकेेगा।इससे पहले विधायक श्री रामनारायण मीना के मूल प्रश्न के जवाब में श्री अंजना ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र पीपल्दा में वर्तमान में बालूपा, कैथूदा, सीनोता, बिसलाई तथा जालिमपुरा ग्राम पंचायतों में ग्राम सेवा सहकारी समिति नहीं है। निर्धारित मानदंड पूर्ण करने तथा जिला स्तरीय कमेटी की अनुशंषा सहित प्रस्ताव प्राप्त होने पर नियमानुसार नई ग्राम सेवा सहकारी समितियों का गठन किया जाता है। श्री अंजना ने बताया कि समिति में गबन के दो प्रकरण पाये गये हैं। प्रकरण संख्या एक में ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 1979-80 के अनुसार श्री शम्भूदयाल गुप्ता समिति के व्यवस्थापक द्वारा 40846 रूपये का गबन करने का मामला प्रकाश में आने पर प्रकरण दर्ज कर राज. सहकारी संस्था 1965 की धारा 74 के अन्तर्गत न्यायालय स्पेशल ऑडिटर, सहकारी समितियाँ, कोटा द्वारा निर्णय दिनांक 31 दिसम्बर 1980 में गबन का दोषी पाया गया।उन्होंने बताया कि प्रकरण संख्या दो में विनायका समिति की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर समिति में गबन का मामला प्रकाश में आने पर सहायक रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, कोटा द्वारा धारा 74(2) में प्रकरण दर्ज कर निर्णय दिनांक 31 अक्टूबर 1983 द्वारा श्री शम्भूदयाल गुप्ता को रुपये 104096.30 के गबन हेतु दोषी पाया गया।सहकारिता मंत्री ने बताया कि इस निर्णय के विरूद्ध श्री गुप्ता द्वारा न्यायालय अतिरिक्त रजिस्ट्रार, सहकारी समितियाँ, जयपुर के यहाँ अपील की गयी, जिसमें दिनांक 24 दिसम्बर 97 को न्यायालय द्वारा केस को रिमांड किया गया। रिमांड केस की पुनः सुनवाई करते हुये न्यायालय उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियाँ, कोटा द्वारा दिनांक 12.10.2018 को निर्णय पारित कर श्री शम्भूदयाल गुप्ता पूर्व व्यवस्थापक को रूपये 105020.26 के गबन हेतु दोषी ठहराया गया। श्री गुप्ता को दिनांक 2 मई 1991 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि आरोपी के लम्बे समय से फरार (मफरूर) होने से तथा उसके हिस्से की भूमि न्यायालय मजिस्टे्रट, इटावा के पत्रानुसार राज हक में कुर्क करने तथा राज हक मे दर्ज करने के कारण वसूली की कार्यवाही नहीं हो सकी । उन्होंने कहा कि प्रकरण संख्या दो में विनायका ग्राम सेवा सहकारी समिति में गबन के अन्य प्रकरण में न्यायालय स्पेशल ऑडिटर, सहकारी समितियाँ, कोटा द्वारा राजस्थान सहकारी संस्था अधिनियम 1965 की धारा 74(2) के अन्तर्गत दिनांक 07.10.1980 को श्री धन्नालाल सोनी पूर्व व्यवस्थापक को रुपये 10770 रुपये के गबन के लिए दोषी ठहराया गया एवं दिनांक 17.08.1985 को गबन राशि वसूली हेतु डिक्री जारी की गयी जिसमें वेतन से कटौती के आदेश जारी किये गये हैं।श्री अंजना ने बताया कि श्री सोनी को दिनांक 8.10.1985 को निलंबित करने के कारण वेतन से कटौती नहीं की जा सकी। श्री सोनी को दिनांक 9.3.1990 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया जिनकी 6 वर्ष पूर्व मृत्यु भी हो चुकी है। उन्होंने बताया कि 3 अवसायनाधीन विनायका ग्राम सेवा सहकारी समिति लि0 में ऋण रुपये 5.7 लाख एवं ब्याज रुपये 7.03 लाख कुल रुपये 12.10 लाख का दायित्व होने एवं समिति में रुपये 10.00 लाख की हानि होने के कारण तथा संबद्ध केन्दीय सहकारी बैंक लि. कोटा के वर्ष 2015-16 में रुपये 16.78 करोड़ की संचित हानि थी, जो वर्ष 2019-20 में भी लगभग रुपये 11.64 करोड़ की संचित हानि में होने एवं बैंक के पास सदस्यों को ऋण वितरण हेतु अतिरिक्त फंड की व्यवस्था नहीं होने से उक्त समिति को पुनर्जीवित नहीं किया जा सका, जिसके लिए किसी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।उन्होंने बताया कि विभाग के आदेश दिनांक 4.2.2021 के क्रम में उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, कोटा द्वारा आदेश क्रमांक 3664-70 दिनांक 9.02.2021 द्वारा अवसायनाधीन ग्राम सेवा सहकारी समिति, विनायका को पुनर्जीवित किये जाने के आदेश जारी कर दिये गये है।