अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में कृषि व ग्रामीण विकास बैंकों का विशेष योगदान : केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह

नाबार्ड के उदेश्यों की पूर्ति तभी हो सकती है जब एक-एक पाई जो उपलब्ध है वो ग्रामीण विकास और कृषि के क्षेत्र में ही फाइनेंस व रीफाइनेंस हो और यह तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक कृषि क्षेत्र के अंदर long-term finance, इन्फ्रास्ट्रक्चर व माइक्रो इरिगेशन को हम बढ़ावा नहीं देते

नई दिल्ली I 16 जुलाई I केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह आज नई दिल्ली में कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (ARDBs) के राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। देश के पहले केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों का इतिहास भारत में लगभग 9 दशक पुराना है। कृषि ऋण के दो स्तंभ हैं, लघुकालीन और दीर्घकालीन। 1920 के दशक से किसान को दीर्घकालीन ऋण देने की शुरूआत हुई जिससे अपने खेत में कृषि के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के किसान के स्वप्न के सिद्ध होने की शुरूआत हुई। देश की कृषि को भाग्य के आधार से परिश्रम के आधार पर परिवर्तित करने का काम केवल और केवल कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों ने किया। उस वक़्त कोऑपरेटिव सेक्टर के इस आयाम ने किसान को आत्मनिर्भर करने की दिशा में बहुत बड़ी शुरूआत की । कई बड़े राज्य ऐसे हैं जहां बैंक चरमरा गए हैं और इस पर भी विचार करने की ज़रूरत है। नाबार्ड के उद्देश्यों की परिपूर्ति तभी होती है जब उपलब्ध सारा पैसा ग्रामीण विकास और कृषि के क्षेत्र में ही लगे। लेकिन ये तब तक संभव नहीं है जब तक कृषि के क्षेत्र में हम दीर्घकालीन वित्त, इन्फ्रास्ट्रक्चर और माइक्रो-इरिगेशन को बढ़ावा नहीं देते। इस अवसर पर केंद्रीय सहकारिता और पूर्वोत्तर मामलों के राज्यमंत्री श्री बी.एल. वर्मा, सहकारिता मंत्रालय के सचिव, एनसीयूआई के अध्यक्ष और इफको के अध्यक्ष श्री दिलीप संघानी, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन- एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अध्यक्ष तथा कृभको के अध्यक्ष डॉ. चंद्र पाल सिंह यादव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

नई-नई कोऑपरेटिव सोसायटीज़ बनाकर किसान को मध्यम और लंबी अवधि के ऋण देने होंगे

श्री अमित शाह ने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों का काम सिर्फ़ फ़ायनांस करना नहीं है, बल्कि गतिविधियों का विस्तार करना है। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ़ बैंक ना चलाएं बल्कि बैंक बनाने के उद्देश्यों की परिपूर्ति की दिशा में काम करने का भी प्रयास करें। लॉंग टर्म फ़ायनांस के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सहकारिता के इस क्षेत्र की स्थापना की गई। नई-नई कोऑपरेटिव सोसायटीज़ बनाकर हमें किसान को मध्यम और लंबी अवधि के ऋण देने होंगे।

ऋण वसूली की दिशा में भी हमें तेज़ी लानी होगी।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि ऋण वसूली की दिशा में भी हमें तेज़ी लानी होगी। सेवाओं का भी विस्तार करना होगा, अपने अपने कार्यक्षेत्रों में कार्यशालाएं, संवाद करके किसानों में इरिगेटिड लैंड का प्रतिशत, उपज, उत्पादन बढ़ाने, किसान को समृद्ध बनाने और जागरूकता लाने के लिए परिसंवाद करने होंगे। उन्होंने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में किसी संस्थान का पद संभालना पर्याप्त नहीं है बल्कि जिस उद्देश्य के लिए 1924 से ये सेवाएं शुरू हुई हैं, उनकी प्राप्ति के लिए मेरे कार्यकाल में मैं क्या कर सकता हूं, इसकी चिंता करना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि तीन लाख से ज्यादा ट्रैक्टरों को इन बैंकों ने फाइनेंस किया है, लेकिन देश में 8 करोड़ से ज्यादा ट्रैक्टर हैं। 13 करोड़ किसानों में से लगभग 5.2 लाख किसानों को हमने मध्यम और लॉन्ग टर्म फाइनेंस दिया है। एक बैंक अच्छा काम करता है तो फेडरेशन का काम है कि सारे बैंकों को इसकी जानकारी देकर उसे आगे बढ़ाने का काम करे। बैंक स्पेसिफिक रिफॉर्म्स सेक्टर को नहीं बदल सकता मगर सेक्टर में रिफॉर्म्स हो गए तो सेक्टर अपने आप बदल जाएगा और सेक्टर बदल जाएगा तो सहकारिता बहुत मजबूत हो जाएगी। कुआं, पंप सेट, ट्रैक्टर, भूमि विकास, हॉर्टिकल्चर, मुर्गीपालन, मत्स्यपालन जैसे कई क्षेत्र आपके काम के अंदर समाहित है, लेकिन इनका एक्सटेंशन करने की जिम्मेदारी हमारी है और हमें इन्हें आगे बढ़ाना पड़ेगा तब जाकर जिस उद्देश्य के साथ इस सहकारिता इकाई की शुरुआत हुई, उन उद्देश्यों की पूर्ति होगी। व्यापार में बैंकिंग के अंदर नई विविधता लाने के लिए अगर किसी सुधार या बदलाव की जरूरत है तो सहकारिता मंत्रालय के द्वार आपके लिए 24X7 खुले हैं।

सभी पैक्स को 2500 करोड़ की लागत से कंप्यूटराइज किया जाएगा

श्री अमित शाह ने कहा कि वर्तमान में सिर्फ 13 राज्यों में कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अपेक्षाकृत दृष्टि से चल रहे हैं और यह सरकार की अपेक्षा के हिसाब से चल रहे हैं। आने वाले दिनों में नाबार्ड, फेडरेशन और सहकारिता विभाग की एक ज्वाइंट मीटिंग भी बुलाने वाला हूं कि कैसे हर एक राज्य में लॉन्ग टर्म फाइनेंस की एक मजबूत व्यवस्था खड़ी की जा सके। इसके लिए फेडरेशन को भी अपनी भूमिका निभानी पड़ेगी। श्री अमित शाह ने कहा कि सभी पैक्स को 2500 करोड़ की लागत से कंप्यूटराइज किया जाएगा। पैक्स, डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक, स्टेट कोऑपरेटिव बैंक और नाबार्ड सभी एकाउंटिंग की दृष्टि से ऑनलाइन हो जाएंगे और इससे पारदर्शिता के साथ पैक्स को चलाने में बहुत बड़ा फायदा होगा। हमने अभी प्रशिक्षण के संदर्भ में भी सहकारिता विश्वविद्यालय बनाने का भी एक सैद्धांतिक निर्णय किया है। ळम्ड प्लेटफार्म पर अभी प्रायोगिक स्तर पर 100 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाली सभी इकाइयां खरीद कर पाएगी। इससे हमारी खरीद भी सस्ती होगी, पारदर्शिता भी होगी और करप्शन भी बंद होगा।

देश में सहकारी डेटाबेस ही नहीं है

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश में सहकारी डेटाबेस ही नहीं है और जब तक डेटाबेस नहीं है तब तक एक्सपेंशन का सोच ही नहीं सकते। इस देश में कितने तटीय राज्यों में मछुआरों की सहकारी समिति नहीं है, इसका हमारे पास कोई डेटाबेस नहीं है। इस देश में कितनी इरीगेशन में काम करने वाली कॉपरेटिव हैं, हमारे पास कोई डेटाबेस नहीं है। कितने गांव पैक्स के लाभ से वंचित है इसका भी डेटाबेस नहीं है। यह डेटा बेस बनाने का काम भी हमने शुरू कर दिया है और इससे बहुत बड़ा फायदा होने वाला है। एक्सपेंशन तभी हो सकता है जब मालूम हो कि एक्सपेंशन कहां होना है। इस बेसिक काम को करना भी भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय ने शुरू किया है।

पैक्स को बहुआयामी बनाना चाहते हैं

पैक्स के मॉडल बाइलॉज सरकार ने भेजे हैं और केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने सभी सहकारिता आंदोलन के साथ जुड़े सभी कार्यकर्ताओं से निवेदन है कि पैक्स के मॉडल बाइलॉज के अंदर आपके सुझाव और प्रेक्टिकल अनुभव का निचोड़ आप जरूर हमें भेजिए। हम पैक्स को बहुआयामी बनाना चाहते हैं। ये गैस वितरण, भंडारण का काम करेगी, सस्ते अनाज की दुकान भी हम ले सकते हैं, पेट्रोल पंप भी ले सकते हैं, एफपीओ भी बन सकता है, कम्युनिकेशन सेंटर भी बन सकता है, नल से जल के वितरण का काम भी पैक्स कर सकते हैं। जब कंप्यूटराइज हो जाएंगे तब इन सारे आयामों को समाहित करने के लिए एक व्यवस्था भी खड़ी हो जाएगी। परंतु इसको मल्टीडाइमेंशनल, मल्टीपरपज बनाना है तो 70-80 साल पहले बने हुए मॉडल बाइलॉज को बदलना पड़ेगा। उनमें सहकारिता के तत्व को कम नहीं करना है परंतु आज के अनुरूप पैक्स में नई-नई कौन सी एक्टिविटी जुड़ सकती हैं, यह जोड़ने का हमने काम किया है।

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