जयपुर, 27 मई। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना संकट के कारण लोगों की आजीविका पर विपरीत असर पड़ा है। ऎसे में ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड प्रोटोकॉल के साथ मनरेगा के माध्यम से लोगों को रोजगार से जोड़कर उन्हें राहत दी जाए। उन्होंने कहा कि आगामी महीनों में मानसून को देखते हुए मनरेगा के तहत पौधारोपण का कार्य वृहद स्तर पर कराया जा सकता है। इसमें कोविड प्रोटोकॉल की पालना आसान होगी। इसको ध्यान में रखते हुए वन विभाग, मनरेगा एवं ग्रामीण विकास विभाग संयुक्त कार्ययोजना तैयार करें।
श्री गहलोत गुरूवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान में मई-जून के माह में तेज गर्मी के कारण मनरेगा श्रमिकों को गेंती, फावड़ा, परात आदि औजारों के उपयोग के साथ ही काम करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। राज्य सरकार ने पूर्व में भी इस समस्या को ध्यान में रखते हुए मानवीय दृष्टिकोण अपनाकर मजदूरी को यथावत रखते हुए कार्य समय में बदलाव किया था और इसके अनुरूप टास्क को भी कम किया था। उन्होंने निर्देश दिए कि मनरेगा श्रमिकों को गर्मी के मौसम में राहत देने के लिए टास्क कम करने के संबंध में भारत सरकार को पत्र लिखा जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण का स्तर काफी अधिक देखने को मिला है। इसे ध्यान में रखते हुए मनरेगा कार्यस्थलों पर कोविड प्रोटोकॉल की प्रभावी पालना सुनिश्चित कराई जाए। श्रमिक आवश्यक रूप से मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करें। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण की रोकथाम के लिए डोर-टू-डोर सर्वे कारगर उपाय है। इसे निरंतर जारी रखा जाए। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग अपने संसाधनों के माध्यम से इस कार्य को ग्रासरूट स्तर तक प्रभावी रूप से अंजाम दे।
श्री गहलोत ने कहा कि ग्रामीण विकास से जुड़ी विभिन्न योजनाओं में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सोशल ऑडिट प्रभावी माध्यम है। इस व्यवस्था को और मजबूत बनाएं ताकि योजनाओं का निचले स्तर तक प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो और पात्र परिवारों को इनका पूरा लाभ मिल सके।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि कोविड को ध्यान में रखते हुए मनरेगा में व्यक्तिगत श्रेणी के काम अधिक से अधिक किए जाएं। इस दौरान यह भी ध्यान रखा जाए कि भूमिहीन श्रमिकों को भी मनरेगा में पर्याप्त काम मिले।
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री केके पाठक ने ग्रामीण विकास से जुड़ी विभिन्न योजनाओं का प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण स्थगित किए गए मनरेगा कार्य 24 मई से पुनः प्रारंभ किए गए हैं। श्रमिकों के नियोजन के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक श्रेणी के करीब 3.72 लाख कार्य उपलब्ध हैं। इन कार्यों में कोविड प्रोटोकॉल की पालना के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना, सांसद-विधायक स्थानीय विकास निधि, मुख्यमंत्री जिला नवाचार निधि योजना, स्व विवेक जिला विकास योजना, सीमावर्ती क्षेत्र विकास कार्यक्रम सहित बजट घोषणाओं आदि की प्रगति से अवगत कराया।
सचिव पंचायतीराज श्रीमती मंजू राजपाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में डोर-टू-डोर सर्वे के साथ ही कोविड प्रोटोकॉल की पालना के लिए आईईसी गतिविधियों पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होेंने बताया कि अब तक 2.60 करोड़ घरों का डोर-टू-डोर सर्वे किया गया है। इनमें करीब 12 लाख लोगों को आईएलआई लक्षण नजर आने पर मेडिकल किट का वितरण किया गया है।
बैठक में प्रमुख सचिव वित्त श्री अखिल अरोरा, राजीविका की मिशन निदेशक श्रीमती शुचि त्यागी, मनरेगा आयुक्त श्री अभिषेक बगोतिया, निदेशक स्वच्छ भारत मिशन श्री विश्व मोहन शर्मा, निदेशक पंचायतीराज डॉ. घनश्याम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।