जयपुर, 8 मार्च। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती ममता भूपेश ने सोमवार को विधानसभा में बताया कि आशा सहयोगिनियों को वर्तमान में शत प्रतिशत मानदेय राज्य सरकार द्वारा ही वहन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नियमानुसार केंद्र और राज्य सरकार के बीच अंशदान में 60ः40 का अनुपात होना चाहिए। लेकिन आशा सहयोगिनियों को 2,700 रुपये का पूरा मानदेय राज्य सरकार ही दे रही है। इसी तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के अंशदान में भी केंद्र सरकार अपने हिस्से का 60 प्रतिशत देने के बजाय वर्तमान में केवल 38 प्रतिशत ही दे रही है जबकि 62 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने प्रश्नकाल में विधायक श्री नारायण बेनीवाल के पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि राजस्थान देश में पहला ऎसा राज्य है जो आशा सहयोगिनियों के मानदेय को पूर्णतया वहन कर रहा है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा मानदेय राजस्थान में है हालांकि चिकित्सा विभाग द्वारा दिया जाने वाला मानदेय राज्यों में अलग-अलग है। श्रीमती भूपेश ने बताया राजस्थान सरकार के 2,700 रुपये के अंशदान को 40 प्रतिशत मानकर केंद्र बाकी 60 प्रतिशत अंशदान दे तो मानदेय में 4,050 रुपये तक की वृद्धि हो सकती है। उन्होंने विपक्ष से इस मुद्दे पर साथ आने की अपील करते हुए कहा कि केंद्र सरकार से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के अंशदान अनुपात को ही आशा सहयोगिनियों के लिए भी करवाने के प्रयास किए जाएं। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने इन्हें स्थायी करने या संविदाकर्मी मानने के प्रश्न के उत्तर में बताया कि भर्ती प्रक्रिया में इन्हें मानदेय कर्मचारी मानने और संविदा कर्मचारी के तौर पर भर्ती नहीं करना स्पष्ट है। इसलिए अभी स्थायीकरण या इन्हें संविदाकर्मी मानना विचाराधीन नहीं है। इससे पहले, विधायक श्री बेनीवाल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने बताया कि आशा सहयोगिनियों का पद मानदेय आधारित स्वैच्छिक सेवा पद है। इन पर राज्य सेवा के कार्मिकों की तरह सेवा नियम लागू नहीं होते हैं और न ही श्रमिकों के बराबर इनके कार्य के घंटे तय होते हैं। मानदेय कार्य समय के बाद ये किसी भी प्रकार के निजी कार्य के लिए स्वतंत्र रहती हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में आईसीडीएस की ओर से आशा सहयोगिनी को प्रतिमाह 2,700 रुपये के मानदेय का भुगतान किया जाता है। उन्होंने बताया कि 1 अगस्त, 2019 को 2,500 रुपये से बढ़ाकर 2,700 रुपये किया गया है। ये मानदेय शत प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा ही देय है। इसके अलावा, चिकित्सा विभाग से भी कार्य आधारित भुगतान दिया जा रहा है। कार्य आधारित भुगतान बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री की तरफ से भारत सरकार को पत्र लिखा गया है। उन्होंने बताया कि आशा सहयोगिनियों के मानदेय में बढ़ोत्तरी बजट की उपलब्धता पर कर दी जाएगी।
एएनएम के कोर्स में आरक्षण के संबंध में उन्होंने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लिए 5 प्रतिशत, आशा सहयोगिनियों के लिए 10 प्रतिशत, चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण किए जाने हेतु 1 जनवरी, 2021 को आदेश दिए गये हैं। उन्होंने आशा सहयोगिनियों को एक ही विभाग में किए जाने के संबंध में बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र के लाभार्थी और चिकित्सा विभाग के लाभार्थी समान होने के कारण आशा सहयोगिनियों को मानदेय आईसीडीएस विभाग की तरफ से और इंसेंटिव चिकित्सा विभाग द्वारा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आशा सहयोगिनियों को एक ही विभाग में रखे जाने के संबंध में पत्रावली प्रक्रियाधीन है। महिला एवं बाल विकास मंत्री ने आशा सुपरवाइजर के रिक्त पदों पर आशाओं को पदोन्नति के संबंध में बताया कि संदर्भित पदों पर निर्धारित योग्यता रखने वाली आशाओं को अनुभव के आधार पर बोनस अंक देकर वरीयता दिए जाने के लिए चिकित्सा विभाग द्वारा सक्षम स्तर से 318 पदों हेतु अनुमोदन के बाद प्रस्ताव भारत सरकार को भिजवाए गए हैं। उन्होंने बताया कि आशा सहयोगिनियों को एएनएम प्रशिक्षण में चयनित होने पर मानदेय पद रिक्त रखते हुए अवकाश स्वीकृत की अनुमति दिए जाने के संबंध में भी आदेश दिए गए हैं।